प्राकृतिक कृषि उत्पादों पर एमएसपी देने वाला पहला राज्य बना हिमाचल: सुखविंदर सिंह सुक्खू

हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक खेती उत्पादों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) देने वाला भारत का पहला राज्य बन गया है। यह बात मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू ने शुक्रवार को आईएनआरएई के वैज्ञानिकों के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के दौरान कही। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्राकृतिक रूप से उगाए गए गेहूं-मक्का और गाय-भैंस के दूध के लिए भी एमएसपी प्रदान कर रहा है

प्राकृतिक कृषि उत्पादों पर एमएसपी देने वाला पहला राज्य बना हिमाचल: सुखविंदर सिंह सुक्खू

हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक कृषि उत्पादों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) देने वाला पहला राज्य बन गया है। राज्य सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों से प्राकृतिक रूप से उगाए गए गेहूं के लिए 40 रुपये प्रति किलोग्राम और मक्का के लिए 30 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से एमएसपी प्रदान कर रही है। इसके अलावा, गाय का दूध 45 रुपये प्रति लीटर और भैंस का दूध 55 रुपये प्रति लीटर की दर से खरीदा जा रहा है। यह बात हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू ने शुक्रवार को फ्रांसीसी राष्ट्रीय कृषि, खाद्य और पर्यावरण अनुसंधान संस्थान (आईएनआरएई) के वैज्ञानिकों के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के दौरान कही। 

सुखविंदर सिंह सुखू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश ने प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। हिमाचल देश का पहला ऐसा राज्य है जो प्राकृतिक खेती के तरीकों से उगाए गए उत्पादों के लिए एमएसपी प्रदान कर रहा है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश अगले पांच से छह वर्षों में प्राकृतिक खेती में देश का अग्रणी राज्य बनने के लिए तैयार है। राज्य में सीईटीएआरए प्रमाणन प्रणाली लागू की गई है, जिसका उद्देश्य किसानों के लिए उचित मूल्य सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की हिम उन्नति योजना के तहत क्लस्टर आधारित दृष्टिकोण के साथ 2,600 कृषि समूहों की स्थापना की जा रही है, जिसमें लगभग 50 हजार किसान शामिल होंगे। इस योजना का मुख्य उद्देश्य रसायन मुक्त उपज का उत्पादन और प्रमाणन करना है।

आईएनआरएई के वैज्ञानिकों ने हिमाचल प्रदेश की प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार के प्रयासों की सराहना की और सीईटीएआरए प्रमाणन प्रणाली की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि आईएनआरएई अन्य देशों में इस प्रमाणन प्रणाली को अपनाने की संभावनाएं तलाशेगा। यह दौरा यूरोपीय आयोग द्वारा वित्तपोषित एक्रोपिक्स परियोजना का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य कृषि-पारिस्थितिक फसल संरक्षण में सह-नवाचार को आगे बढ़ाना है।

इस अवसर पर आईएनआरएई की टीम का नेतृत्व प्रोफेसर एलिसन मैरी लोकोंटो कर रही थीं, जो लैबोरेटोयर इंटरडिसिप्लिनरी साइंसेज इनोवेशन सोसाइटीज (एलआईएसआईएस) की उप निदेशक हैं। हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती में हुई प्रगति का आकलन करने के लिए यह टीम हिमाचल आई है, जो आने वाले दिनों में वाईएस परमार बागवानी और वानिकी विश्वविद्यालय, नौनी और राज्य के अन्य विभिन्न स्थानों का दौरा करेगी। इस टीम में प्रोफेसर मिरेइल मैट, डॉ. एवलिन लोस्टे और डॉ. रेनी वैन डिस भी शामिल हैं।

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