धान खरीद में दिक्कतों के लिए एसकेएम ने केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया
एसकेएम ने पंजाब और हरियाणा में धान खरीद में आई कमी के लिए भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार और उसकी नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है।
पंजाब और हरियाणा में धान की धीमी खरीद और उठान में देरी के कारण किसानों को बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने पंजाब और हरियाणा में धान खरीद में आई कमी के लिए भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार और उसकी नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है। साथ ही हरियाणा और पंजाब की राज्य सरकारों पर भी समय रहते केंद्र पर दबाव बनाने में विफल रहने का आरोप लगाया।
एसकेएम का आरोप है कि धान खरीद का संकट कॉरपोरेट समर्थक केंद्रीय बजट से उपजा है। जिसका उद्देश्य एक ही झटके में पीडीएस और एमएसपी को खत्म करना है। एसकेएम ने एक बयान जारी कर पिछले सीजन का धान गोदामों और चावल मिलों से उठाने में एफसीआई की नाकामी का मुद्दा उठाया। इसके चलते पंजाब और हरियाणा में धान खरीद की भयावह स्थिति पैदा हुई।
एसकेएम ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट 2022-23 और 2023-24 में खाद्य और उर्वरक सब्सिडी में कटौती की है और 2024-25 में भी इसे जारी रखा है, जिससे खाद्य सब्सिडी में 67552 करोड़ रुपये और उर्वरक सब्सिडी में 87339 करोड़ रुपये की भारी कटौती हो गई है।
एसकेएम का कहना है कि भाजपा शासित राज्य खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के नियमों में बदलाव कर सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) की योजना से जोड़ रहे हैं, जिसके तहत सुनियोजित रूप से लाभार्थियों को अनाज देने के बजाए उनके बैंक खातों में नकद हस्तांतरण की योजना को लागू किया जा रहा है। महाराष्ट्र में राज्य सरकार ने 32 लाख राशन कार्डों को नकद हस्तांतरण में बदल दिया है और भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) से चावल और अनाज उठाना बंद कर दिया है।
एसकेएम ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने केंद्रीय भंडारण निगम (सीडब्ल्यूसी) को खत्म कर दिया है, जिसके कारण सार्वजनिक क्षेत्र में भंडारण सुविधाओं में बड़े पैमाने पर कमी आई है। एफसीआई ने भी अपनी भंडारण सुविधाओं को बड़ी कंपनियों को किराए पर दे दिया है। इन कॉरपोरेट समर्थक नीतियों के कारण एफसीआई ने चालू सीजन में धान खरीद के लिए आवश्यक क्षमता का प्रबंधन नहीं किया।
एसकेएम ने पंजाब की भगवंत मान सरकार और हरियाणा की नायब सिंह सैनी सरकार की भी आलोचना करते हुए कहा कि वे गोदामों और चावल मिलों से धान का स्टॉक समय पर उठाने, वर्तमान संकट से बचने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाने में विफल रहे हैं।