संयुक्त किसान मोर्चा की अपील, नीतियों में बदलाव के लिए बदलें सरकार
एसकेएम ने लोकसभा चुनाव को कृषि पर कब्जे के खिलाफ संघर्ष और कॉरपोरेट एकाधिकार के चंगुल से बाहर निकालने का अवसर बताया।
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने केंद्र की मोदी सरकार पर कॉरपोरेट समर्थक और किसान विरोधी होने का आरोप लगाते हुए आम जनता से भाजपा सरकार को चुनाव में सबक सिखाने का आह्वान किया है। एसकेएम ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने किसानों की आर्थिक स्थिति खराब करने वाली नीतियां बनाईं ताकि किसानों की जमीन हड़प कर उन्हें खेती से बाहर किया जाए।
संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, तीनों कृषि कानून और मुक्त व्यापार समझौते कॉरपोरेट को बढ़ावा देने के लिए थे। एसकेएम ने लोकसभा चुनाव को कृषि पर कब्जे के खिलाफ संघर्ष और कॉरपोरेट एकाधिकार के चंगुल से बाहर निकालने का एक अवसर बताया। साथ ही आम जनता से नीतियों में बदलाव के लिए सरकार में बदलाव करने की अपील की है।
एसकेएम ने खासतौर पर अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों से "आरक्षण की रक्षा के लिए भाजपा को खारिज करने" की अपील की। साथ ही भाजपा की निजीकरण, ठेका मजदूरी को बढ़ावा देने की नीति को ठुकराने का आह्वान किया।
लोकसभा चुनाव का सातवां और अंतिम चरण 1 जून को होगा, जिसमें 57 निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान होगा। इस चरण में पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और झारखंड की सीटें हैं। लोकसभा चुनाव के सातवें और अंतिम चरण के मतदान से पहले संयुक्त किसान यूनियन की भाजपा सरकार के खिलाफ अपील पंजाब के लिहाज से काफी मायने रखती है।
पंजाब में भाजपा नेताओं को पहले ही किसानों की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है। उधर, हरियाणा-पंजाब के शंभू बॉर्डर पर कई किसान संगठन मोर्चा जमाए हुए हैं और केंद्र सरकार की वादाखिलाफी और किसानों के दमन को लेकर सवाल उठा रहे हैं। हाल के दिनों में पंजाब में किसान संगठनों ने भाजपा नेताओं के घर के बाहर भी धरना दिया।