रूरल वॉयस एग्रीकल्चर कॉन्क्लेव में चार श्रेणी में दिए गए पुरस्कार 

रूरल वॉयस एग्रीकल्चर कॉन्क्लेव एंड नेकॉफ अवार्ड्स 2024 में कृषि के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले एक किसान, सहकारी संस्था, सामाजिक संस्था और सार्वजनिक संस्था को सम्मानित किया गया। उत्तराखंड के शिक्षा और सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत ने अपने कर कमलों से इन्हें पुरस्कृत किया।

रूरल वॉयस एग्रीकल्चर कॉन्क्लेव में चार श्रेणी में दिए गए पुरस्कार 

रूरल वॉयस एग्रीकल्चर कॉन्क्लेव एंड नेकॉफ अवार्ड्स 2024 में कृषि के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले एक किसान, सहकारी संस्था, सामाजिक संस्था और सार्वजनिक संस्था को सम्मानित किया गया। उत्तराखंड के शिक्षा और सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत ने अपने कर कमलों से इन्हें पुरस्कृत किया।

किसान श्रेणी में उमेश कुमार को पुरस्कार
आधुनिक खेती करने वाले शामली जिले के भैंसवाल गांव के किसान श्री उमेश कुमार ने अपने इलाके में खेती के विकास में महत्वपूर्ण योगदान किया है। उन्होंने बिना केमिकल फर्टिलाइजर के ऑर्गेनिक खेती शुरू की और उत्पादन को फर्टिलाइजर वाली खेती के बराबर लेकर गए। उत्तर प्रदेश सरकार की मदद से उन्होंने महाराष्ट्र जाकर गन्ने की ट्रेंच फार्मिंग का तरीका सीखा और शामली जिले में इसका प्रयोग करने वाले पहले किसान बने। यही नहीं, जिले के 25 से 30 प्रतिशत किसानों को ट्रेंच फार्मिंग के लिए तैयार भी किया। 

शामली जिला बोर्ड में सदस्य, श्री उमेश कुमार गन्ना, धान, गेहूं, सरसों और चना के साथ फल-सब्जियों की भी ऑर्गेनिक खेती करते हैं। ऐसे समय जब पराली जलाने की समस्या गंभीर होती जा रही है, वे गन्ना और धान की पराली की खेत में ही मल्चिंग करते हैं। केमिकल फर्टिलाइजर की जगह उन्होंने वर्मीकंपोस्ट और पानी बचाने के लिए ड्रिप सिंचाई को अपनाया है।

कोऑपरेटिव श्रेणी में उत्तराखंड कोऑपरेटिव रेशम फेडरेशन लिमिटेड सम्मानित
उत्तराखंड राज्य बनने के बाद रेशम विभाग के सामने सबसे बड़ी चुनौती प्रदेश के कच्चा रेशम उत्पादकों को मार्केटिंग की सुविधा उपलब्ध कराना और मूल्य भुगतान करना था। इन चुनौतियों के समाधान के लिए एक शीर्ष सहकारी समिति के गठन की परिकल्पना की गई और वर्ष 2002 में उत्तराखंड कोऑपरेटिव रेशम फेडरेशन अस्तित्व में आया। पुरस्कार उत्तराखंड कोऑपरेटिव रेशम फेडरेशन लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर श्री आनंद शुक्ला ने ग्रहण किया।

फेडरेशन ने भारत सरकार के केंद्रीय रेशम बोर्ड और राज्य सरकार के सहयोग से दो करोड़ रुपये की धनराशि से रिवॉल्विंग फंड बनाया, जिसका मुख्य उद्देश्य रेशम कीटपालकों को जल्दी भुगतान की व्यवस्था करना था। फेडरेशन की समिति हर साल रेशम का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करने के लिए अपनी सिफारिशें भी देती है।

पूरी रेशम मूल्य शृंखला पर काम करने के साथ फेडरेशन फार्म-टू-फैशन कांसेप्ट और उच्च क्वालिटी वाले रेशम धागे का उत्पादन आरंभ किया। साथ ही, एक ही जगह पर सभी पोस्ट-ककून गतिविधियां शुरू कीं। इस समय लगभग 6000 रेशम कीटपालक और 210 संबद्ध बुनकर फेडरेशन से जुड़े हैं।

सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थान श्रेणी में एनसीडीसी सम्मानित
देश में कोऑपरेटिव सेक्टर को मजबूत बनाने में NCDC का बड़ा योगदान रहा है। वर्ष 1963 में स्थापित यह संस्था कृषि उत्पादों के उत्पादन, प्रोसेसिंग, मार्केटिंग, स्टोरेज और आयात-निर्यात जैसे क्षेत्र में प्रोजेक्ट फाइनेंसिंग करती है। प्राइमरी और सेकंडरी स्तर की कोऑपरेटिव सोसायटी की फाइनेंसिंग के लिए यह राज्य सरकारों को लोन और ग्रांट देती है। एनसीडीसी ने ग्रामीण, औद्योगक, सहकारिता क्षेत्रों में भी प्रोजेक्ट फाइनेंसिंग की शुरुआत की है। यह संस्था देश में फैले 18 क्षेत्रीय और राज्य स्तरीय डायरेक्टरेट के माध्यम से कार्य करती है।

सामाजिक क्षेत्र के संस्थान श्रेणी में सुलभ इंटरनेशनल स्कूल ऑफ एक्शन सोशियोलॉजी एंड सोशियोलॉजी ऑफ सैनिटेशन (SISASSS) को सम्मान
SISASS की स्थापना 1993 में मशहूर समाजसेवी डॉ. बिंदेश्वर पाठक ने की थी। डॉ. पाठक ने समाजशास्त्र की परिकल्पना सामाजिक परिवर्तन के एक माध्यम के तौर पर की। सुलभ इंटरनेशनल स्कूल शुरुआत से हाशिए पर खड़े समुदायों को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। खासकर सफाई कर्मचारियों के बच्चों को। यह स्कूल उन्हें क्वालिटी शिक्षा के साथ कौशल विकास का अवसर भी मुहैया कराता है। पुरस्कार ग्रहण किया सुलभ मूवमेंट के प्रेसिडेंट कुमार दिलीप ने।

सुलभ इंटरनेशनल स्कूल एक ऐसे भविष्य का निर्माण करना चाहता है जहां शिक्षा, समानता, खाद्य सुरक्षा और स्वस्थ वातावरण सबको उपलब्ध हो। यह स्कूल देश भर में मेंस्ट्रूअल हाइजीन पर केंद्रित पहल का नेतृत्व करने के साथ ऐतिहासिक शहर वृंदावन और वाराणसी में निराश्रित विधवाओं की देखभाल भी करता है।

इस संस्थान ने कृषि के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण पहल की शुरुआत की है। यह खाद्य असुरक्षा से लड़ने, क्लाइमेट रेजिलेंस और महिला किसानों के जीवन में बदलाव लाने के लिए खाद्य सार्वभौमिकता और सस्टेनेबल खेती को बढ़ावा दे रहा है। इसके प्रयासों ने महाराष्ट्र में 2500 से अधिक महिलाओं को अपनी खाद्य प्रणाली पर नियंत्रण रखने के लिए सशक्त बनाया है। इन महिलाओं ने देसी बीज तैयार किए, बीज बैंक स्थापित किया और वैल्यू एडेड मिलेट प्रोडक्ट भी बनाए। इस सफलता को सुलभ ने बिहार के दरभंगा और मधुबनी जिलों में भी दोहराया है जहां महिला किसान अपने दम पर परिवर्तन ला रही हैं।

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