आरबीआई ने रेपो रेट को बरकरार रखा, पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 6.7 फीसदी
आरबीआई ने लगातार 10वीं बार रेपो रेट 6.5 फीसदी पर बरकरार रखा है और भविष्य में दरों में कटौती के संकेत दिए हैं। मुद्रास्फीति 4.5 फीसदी पर स्थिर रहने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए जीडीपी वृद्धि अनुमान 7.2 फीसदी है, जबकि खपत और निवेश में वृद्धि हो रही है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने लगातार 10वीं बार प्रमुख ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया है। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने का निर्णय लिया है। हालांकि, आरबीआई ने अपने रुख में बदलाव करते हुए आने वाले समय में ब्याज दरों में कटौती का संकेत दिया है। फरवरी 2023 में रेपो रेट को 6.25 फीसदी से बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया गया था, तब से इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है। चालू वित्त वर्ष में जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को भी आरबीआई ने 7.2 फीसदी पर बरकरार रखा है, हालांकि पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 6.7 फीसदी रही है।
बुधवार को आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने एमपीसी के निर्णयों की जानकारी देते हुए कहा कि आने वाले महीनों में खाद्य मुद्रास्फीति में कमी आ सकती है जबकि कोर मुद्रास्फीति अपने निचले स्तर पर है। मानसून, खरीफ की बुवाई और आपूर्ति की स्थिति को देखते हुए उन्होंने चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति 4.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि भारत के आर्थिक विकास का परिदृश्य बरकरार रहा है और निजी खपत और निवेश में वृद्धि हुई है। मौद्रिक नीति समिति ने रुख बदला है लेकिन विकास को समर्थन देते हुए मुद्रास्फीति को लक्ष्य के अनुरूप बनाए रखने पर स्पष्ट रूप से ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
एमपीसी के रुख में बदलाव दिसंबर में होने वाली बैठक में ब्याज दर में कटौती का संकेत देता है। सितंबर में लगातार दूसरे महीने वार्षिक खुदरा मुद्रास्फीति आरबीआई के 4 प्रतिशत के लक्ष्य से नीचे रही है। आरबीआई की उम्मीद के मुताबिक, इस महीने फिर से इसमें उछाल आएगा, जिसका मुख्य कारण आधार प्रभाव है।
गौरतलब है कि पिछले महीने अमेरिका के केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरों में 50 बेसिस प्वाइंट की कमी की थी जिसके बाद भारत में भी ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद की जा रही थी। लेकिन आरबीआई ने ब्याज दरों में कमी की बजाय खुदरा महंगाई को काबू करने पर फोकस बनाए रखा है। अगर खुदरा महंगाई काबू में रहती है तो दिसंबर में ब्याज दरों में कटौती का फैसला लिया जा सकता है।
आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की जीडीपी ग्रोथ के 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। हालांकि, दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ को अनुमान 7.2 फीसदी से घटाकर 7 फीसदी कर दिया है। तीसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 7.3 फीसदी से बढ़ाकर 7.4 प्रतिशत किया है जबकि चौथी तिमाही का जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 7.2 फीसदी से बढ़ाकर 7.4 प्रतिशत किया गया है।
2024-25 की पहली तिमाही में जीडीपी में 6.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जबकि आरबीआई का अनुमान 7.1 फीसदी था। आरबीआई गवर्नर का कहना है कि भारत के आर्थिक विकास के दो प्रमुख चालक – खपत और निवेश जोर पकड़ रहे हैं। कृषि क्षेत्र में बेहतर परिदृश्य और ग्रामीण मांग के कारण निजी उपभोग की संभावनाएं उज्ज्वल दिख रही हैं। सेवाओं में निरंतर उछाल से शहरी मांग को भी बढ़ावा मिलेगा। केंद्र और राज्यों के सरकारी व्यय में बजट अनुमानों के अनुरूप तेजी आने की उम्मीद है। मानसून की सामान्य से अधिक वर्षा और बेहतर खरीफ बुवाई से एग्रीकल्चर ग्रोथ को मदद मिली है।