संसद में सुरजेवाला ने सरकार को घेरा, किसानों से बदला लेने का आरोप लगाया

राज्यसभा में गुरुवार कांग्रेस सांसद रणदीप सुरजेवाला ने केंद्र सरकार के बजट को किसान विरोधी बताते हुए, एमएसपी और किसानों की आय दोगुनी करने के वादों पर सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने सरकार पर एमएसपी में वादाखिलाफी का आरोप लगाया और पीएम किसान सम्मान निधि से 35 फीसदी किसानों के वंचित होने की बात कही।

संसद में सुरजेवाला ने सरकार को घेरा, किसानों से बदला लेने का आरोप लगाया

राज्यसभा में गुरुवार को बजट पर चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद रणदीप सुरजेवाला ने केंद्र सरकार को जमकर निशाना साधा। सुरजेवाला ने सरकार के बजट को किसान विरोध बताया और सरकार पर किसानों से बदला लेने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि आज देश के अन्नदाता ने जब 400 पार को 240 पर लाकर खड़ा कर दिया है, तो सरकार बजट के जरिए किसानों से बदला ले रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने देश के किसानों से दो वादे किए थे। पहला वादा था किसानों को लागत पर 50 फीसदी मुनाफा मिलेगा। यानी इनपुट कॉस्ट, फैमिली लेबर, जमीन की किराया और उपकरणों की कीमत पर 50 फीसदी मुनाफा मिलेगा, यही एमएसपी होगी। दूसरा वादा था कि 2022 तक किसान की आय दोगुनी हो जाएगी।

सुरजेवाला ने कहा कि क्या 2024 का बजट और सरकार इन वादों पर खरी उतरी है। इसका हल बड़ा सीधा था, या तो सरकार एमएसपी बढ़ाती, फसल की खरीद करती, किसान की आय दोगुनी हो जाती। या सरकार प्रति एकड़ उत्पादन बढ़ाती, जिससे किसाना की आय दोगुनी हो जाती है। लेकिन, क्या ये हुआ, सवाल यह है। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में पैरा चार में कहा, "अन्न्दाता के लिए हमने एक महीने पहले सभी मुख्य फसलों के लिए उत्तम न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा करके, लागत पर 50 फीसदी मार्जन देने का वादा पूरा किया।" उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री ने संसद में सरेआम झूठ बोला है। इससे बड़ा झूठ कोई हो नहीं सकता। सच ये है कि एक भी फसल ऐसी नहीं जिसके लिए लागत पर 50 फीसदी मुनाफा दिया गया हो।

सुरजेवाला ने कहा कि कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) की रिपोर्ट के अनुसार, खरीफ 2024-25 में धान के लिए सी2+ 50% 3012 रुपये प्रति क्विंटल होना चाहिए था, लेकिन सरकार ने दिया 2300 रुपये प्रति क्विंटल, जो 700 रुपये कम है। इसी तरह, अन्य फसलों के लिए भी सी2+50% नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि मैं वित्त मंत्री ने पूछना चाहता हूं की वह एक फसल बता दें, जिस पर सरकार ने लागत पर 50 फीसदी मुनाफा पर एमएसपी दिया हो। रिपोर्ट के मुताबिक, एक भी फसल ऐसी नहीं जिस पर किसानों को फायदा मिला हो। यानी वित्त मंत्री ने सरेआम पटल पर झूठ बोला। 

सुरजेवाला ने कहा कि सरकार एमएसपी तो तय करती है, लेकिन एमएसपी पर फसल नहीं खरीदती। मोदी सरकार में एमएसपी अब "मैक्सिमम सफरिंग फॉर फार्मर" बन गया है। उन्होंने कृषि मंत्रालय के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 में देश में गेहूं, तिहलन और दालों का उत्पादन बड़े पैमाने पर हुआ। लेकिन, सरकार ने उत्पादन के मुकाबले आधी खरीद भी नहीं की। उन्होंने कहा कि एक ओर तो सरकार एमएसपी देने का वादा करती है और दूसरी ओर किसानो से एमएसपी पर खरीद ही नहीं होती। किसानों के साथ इसे बड़ा अन्नया क्या हो सकता है।

सुरजेवाला ने किसानों के लिए केंद्र सरकार की योजनाओं पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि आज देश के 35 फीसदी से अधिक किसान पीएम किसान सम्मान निधि से वंचित हैं। साल 2018 की कृषि जनगणना के मुताबिक, देश में 14.64 करोड़ किसान थे। लेकिन जब योजना शुरू हुई तो केवल 11 करोड़ किसानों को किस्त दी गई। यानी पहले दिन ही 3 करोड़ से ज्यादा किसान इस योजना से बाहर कर दिए गए। 2021-22 में 10.79 करोड़ किसानों को यह किस्त दी गई। बीते 8 जून को इसकी 17वीं किस्त 9.26 करोड़ किसानों को दी गई। यानी देश के कुल 5.17 करोड़ किसान सम्मान निधि से वंचित हैं।  

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