अमेरिका को हवाई मार्ग से अनार का होगा निर्यात, एपीडा ने भेजा पहला परीक्षण खेप
अनार के परीक्षण निर्यात से भारतीय निर्यातकों और अमेरिकी आयातकों के बीच क्षमता निर्माण में मदद मिलेगी ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि गुणवत्तापूर्ण फलों का निर्यात किया जाता है। अमेरिकी बाजारों में भारतीय आमों की स्वीकार्यता से उत्साहित निर्यातकों को उम्मीद है कि अनार भी अमेरिका में एक सफल उत्पाद बन जाएगा।
अमेरिकी बाजारों में भारतीय आमों के बाद अब अनार की मांग बढ़ रही है। इसे देखते हुए अमेरिका को हवाई मार्ग से अनार का निर्यात किए जाने की संभावना तलाशी जा रही है। फलों के निर्यात की संभावनाओं को बढ़ावा देने के लिए कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने हवाई मार्ग से अमेरिका को अनार की पहली खेप का परीक्षण निर्यात किया है। एपीडा ने अनार की जो पहली खेप अमेरिका को निर्यात की है उसमें भारत के राष्ट्रीय पादप संरक्षण संगठन (एनपीपीओ) और अमेरिका की एनिमल एंड प्लान्ट हेल्थ इंस्पेक्शन सर्विस (यूएस-एपीएचआईएस), महाराष्ट्र राज्य कृषि विपणन बोर्ड (एमएसएएमबी), आईसीएआर-अनार पर राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र, सोलापुर (एनआरसी-सोलापुर) और अन्य का सहयोग था।
एपीडा के अध्यक्ष अभिषेक देव ने कहा कि अमेरिका में अनार के निर्यात में वृद्धि से अधिक कीमत प्राप्त होगी और किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी। अनार के आयातकों से उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली है। अनार का परीक्षण निर्यात एपीडा में पंजीकृत 'आईएनआई फार्म्स' द्वारा किया गया जो भारत से फलों और सब्जियों के शीर्ष निर्यातकों में से एक है। इसने किसानों के साथ सीधे जुड़ कर केला और अनार की मूल्य श्रृंखला बनाई है। एग्रोस्टार समूह की एक इकाई के रूप में यह दुनिया भर के 35 से अधिक देशों में निर्यात किए जाने वाले उत्पादों को ध्यान में रखते हुए किसानों को कृषि विज्ञान, कृषि-निवेश और ऑफ-टेक की संपूर्ण सेवाएं प्रदान करता है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि अनार के परीक्षण निर्यात से भारतीय निर्यातकों और अमेरिकी आयातकों के बीच क्षमता निर्माण में मदद मिलेगी ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि गुणवत्तापूर्ण फलों का निर्यात किया जाता है। अमेरिकी बाजारों में भारतीय आमों की स्वीकार्यता से उत्साहित निर्यातकों को उम्मीद है कि अनार भी अमेरिका में एक सफल उत्पाद बन जाएगा। अनार की निर्यात मूल्य श्रृंखला की क्षमता सुनिश्चित करने को ध्यान में रखते हुए एपीडा राज्य सरकारों के साथ मिलकर ‘अनार-नेट’ के तहत खेतों को पंजीकृत करने के लिए नियमित आधार पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करता है। एपीडा ने अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में उच्च गुणवत्ता वाले भारतीय अनार की अनुमति देने का मार्ग खोलकर बाजार तक पहुंच हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
अपनी उच्च एंटीऑक्सीडेंट सामग्री और सुपर फल विशेषताओं के कारण महाराष्ट्र के 'भगवा' अनार में पर्याप्त निर्यात क्षमता है। अनार की 'भगवा' किस्म की विदेशी बाजारों में काफी मांग है। महाराष्ट्र का सोलापुर जिला देश से अनार निर्यात में लगभग 50 फीसदी योगदान देता है। वित्त वर्ष 2022-23 में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), बांग्लादेश, नेपाल, नीदरलैंड, सऊदी अरब, श्रीलंका, थाईलैंड, बाहरीन, ओमान आदि देशों को 5.83 करोड़ अमेरिकी डॉलर मूल्य के 62,280 मीट्रिक टन अनार का निर्यात किया गया। भारत बागवानी फसलों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। वर्ष 2021-22 में भारत ने बागवानी फसलों का कुल 33.32 करोड़ मीट्रिक टन उत्पादन किया जिसमें फलों और सब्जियों की हिस्सेदारी 90 फीसदी है। 2021-22 में फलों का कुल उत्पादन 10.71 करोड़ टन था जिसमें अनार का उत्पादन लगभग 30 लाख टन रहा।
दुनिया के अनार उत्पादन में भारत का स्थान सातवां है और खेती का कुल रकबा लगभग 2,75,500 हेक्टेयर है।महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, राजस्थान और आंध्र प्रदेश प्रमुख अनार उत्पादक राज्य हैं। एपीडा ने अनार के निर्यात को बढ़ावा देने और आपूर्ति श्रृंखला की बाधाओं को दूर करने के लिए अनार के लिए निर्यात संवर्धन मंच (ईपीएफ) का गठन किया है। ईपीएफ में वाणिज्य विभाग, कृषि विभाग, राज्य सरकारों, राष्ट्रीय रेफरल प्रयोगशालाओं और उत्पाद के शीर्ष दस अग्रणी निर्यातकों के प्रतिनिधि शामिल हैं।
एपीडा ने उत्पादन से पहले, उत्पादन, कटाई के बाद, लॉजिस्टिक्स, ब्रांडिंग से लेकर विपणन गतिविधियों तक अनार मूल्य श्रृंखला की समस्याओं को दूर करने के लिए कई पहल की हैं। निजी क्षेत्र में यूरोपीय संघ को निर्यात करने के लिए 250 से अधिक पैक हाउस स्थापित करने के अलावा, निर्यात के लिए सामान्य अवसंरचना विकास संवर्द्धन क्षमता तथा अवसंरचना के तहत राज्य सरकारों को वित्तीय सहायता भी प्रदान की गई है। एपीडा ने देश-प्रधान निर्यात प्रोत्साहन कार्यक्रमों के लिए रणनीति तैयार की है और नए बाजारों में निर्यात क्षमता का भरपूर इस्तेमाल करने के लिए यूरोपीय संघ के देशों, मध्य पूर्व और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के लिए अंतर्राष्ट्रीय क्रेता-विक्रेता बैठकें आयोजित की हैं।