चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य 42 रुपये प्रति किलो तय करे सरकार: एनएफसीएसएफ
राष्ट्रीय सहकारी चीनी कारखाना महासंघ (एनएफसीएसएफ) ने केंद्र से चीनी का एमएसपी कम से कम 42 रुपये प्रति किलोग्राम तक बढ़ाने का आग्रह किया है।
नेशनल फे़रेशन ऑफ कोआपरेटिव शुगर फैक्टरीज (एनएइसीएसएफ) ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) को बढ़ाकर 42 रुपये प्रति किलो करने की जरूरत है। फेडरेशन के अध्यक्ष हर्षवर्धन पाटिल ने केंद्र सरकार से कहा है कि गन्ने के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में हर साल लगातार बढ़ोतरी के मद्देनजर चीनी के एमएसपी को बढ़ाकर कम से कम 42 रुपये किलो करने की जरूरत है। एनएफसीएसएफ ने चीनी के उत्पादन लागत में वृद्धि के आंकड़ों के साथ इस संबंध में केंद्र सरकार को अपना प्रस्ताव पहले ही सौंप दिया है।
पुणे में एक बैठक के दौरान, पाटिल ने लंबे समय से लंबित मुद्दे को हल करने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा एफआरपी लगातार बढ़ रहा है, जिससे चीनी उद्योग की व्यवहार्यता सुनिश्चित करने के लिए एमएसपी में भी इसी अनुपात में वृद्धि की आवश्यकता है। इस बैठक में केंद्रीय खाद्य एवं सहकारिता मंत्रालयों, राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) के निदेशक और अन्य अधिकारी भी मौजूद थे।
बैठक के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए हर्षवर्धन पाटिल ने कहा कि चीनी के एमएसपी में वृद्धि का मुद्दा लंबे समय से लंबित है। एनएफसीएसएफ और इस्मा ने संयुक्त रूप से देश भर से एकत्रित तथ्यात्मक जानकारी और विश्वसनीय आंकड़ों के आधार पर चीनी की उत्पादन लागत की गणना की है और 3 जून, 2024 को केंद्र सरकार के संबंधित विभागों को भेज दिया है। हर्षवर्धन पाटिल ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि अगर चीनी का एमएसपी 42 रुपये प्रति किलोग्राम हो जाता है तो चीनी उद्योग व्यवहार्य हो सकता है। इस दौरान एनएफसीएसएफ के प्रबंध निदेशक प्रकाश नायकनवरे भी उपस्थित रहे।
पाटिल ने उम्मीद जताई कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में केंद्रीय मंत्रिमंडल अपने पहले सौ दिनों के भीतर इस मामले पर सकारात्मक निर्णय लेगा। उन्होंने कई सफल पहल पर भी प्रकाश डाला, जिसमें 24 अप्रैल को चीनी मिलों को इथेनॉल उत्पादन के लिए 7 लाख टन बी-हैवी शीरा का उपयोग करने की अनुमति देने का निर्णय और आगामी पेराई सत्र के लिए गन्ना हार्वेस्टिंग मशीनों की आपूर्ति के लिए एनसीडीसी के साथ सहयोगात्मक प्रयास शामिल हैं। गन्ना हार्वेस्ट वाली मशीनें सहकारी कारखानों को उनकी पेराई क्षमता के अनुसार उपलब्ध कराई जाएंगी।