महिला दिवस विशेषः दो साल में आर्य.एजी में महिला नेतृत्व वाले एफपीओ की संख्या 128% बढ़ी

इन एफपीओ में महिलाओं की भागीदारी महत्वपूर्ण है। इन संगठनों में नौ में से दस शेयरधारक महिलाएं हैं, जो समावेशी और समान व्यवसाय मॉडल की ओर एक बदलाव को दर्शाता है। इन एफपीओ में से लगभग 44% महाराष्ट्र में स्थित हैं।

महिला दिवस विशेषः दो साल में आर्य.एजी में महिला नेतृत्व वाले एफपीओ की संख्या 128% बढ़ी

भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महिलाएं एक परिवर्तन की अगुआई कर रही हैं। पिछले दो वर्षों में आर्य.एजी (Arya.ag) में महिला-नेतृत्व वाले किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) की संख्या 128% बढ़ी है। आज 50,000 से अधिक महिलाएं इन एफपीओ में सीधे तौर पर जुड़ी हैं, जो सामूहिक प्रयासों के जरिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रही हैं। उनका यह प्रयास आर्थिक आजादी, बाजार तक पहुंच और कृषि व्यवसाय में नेतृत्व के लिए नए अवसर उत्पन्न कर रहा है।

इन एफपीओ में महिलाओं की भागीदारी महत्वपूर्ण है। इन संगठनों में नौ में से दस शेयरधारक महिलाएं हैं, जो समावेशी और समान व्यवसाय मॉडल की ओर एक बदलाव को दर्शाता है। इन एफपीओ में से लगभग 44% महाराष्ट्र में स्थित हैं। इसके बाद बिहार, मध्य प्रदेश और झारखंड हैं। कर्नाटक, असम, आंध्र प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में भी इनकी उपस्थिति बढ़ रही है।

इन एफपीओ के व्यापार मॉडल विकसित हो रहे हैं। 70% से अधिक महिला-नेतृत्व वाले एफपीओ परामर्श, बाजार सेवाओं और सलाहकार भूमिकाओं पर केंद्रित हैं, जबकि बाकी सीधे कृषि उत्पादन में हैं। यह विविधता दिखाती है कि महिलाएं कृषि के निर्णय लेने में खेती के अलावा भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

आर्य.एजी के सीईओ प्रसन्ना राव ने कहा, “महिला किसान अब केवल कृषि में योगदानकर्ता नहीं हैं। वे वित्तीय निर्णय लेने वाली, व्यापार रणनीतिकार और आपूर्ति श्रृंखलाओं में प्रमुख खिलाड़ी बन चुकी हैं। वित्त, भंडारण और विश्वसनीय बाजार कनेक्शन तक पहुंच प्रदान करके, हम महिला-नेतृत्व वाले कृषि व्यवसायों के उदय का समर्थन कर रहे हैं।”

इसका प्रभाव केवल आर्थिक लाभ तक सीमित नहीं है। इन महिला-नेतृत्व वाले एफपीओ ने मूल्य निर्धारण में सुधार और फसल हानि को कम करके छोटे किसानों की आय बढ़ाने में मदद की है। बिहार के देहायत एफपीओ की रेशमा कुमारी ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया, "हमारा एफपीओ निष्क्रिय हो गया था, लेकिन आर्य.एजी  के समर्थन से हम एक आत्मनिर्भर मॉडल में परिवर्तित हो गए हैं। किसानों की आय चार गुना बढ़ गई है, और अब हमारी पहुंच बेहतर बाजारों तक है।"

महिलाओं का योगदान कृषि तक सीमित नहीं है। वे एग्रीटेक, वित्त, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन और ग्रामीण उद्यमिता में भी नेतृत्व कर रही हैं। महिलाएं पेशेवर कृषि नवाचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। डिजिटल वित्तीय समाधान विकसित करने से लेकर बड़े पैमाने पर कृषि व्यवसाय संचालन तक उनकी भूमिका है। मानव संसाधन, प्रौद्योगिकी और नीति-निर्माण में उनकी विशेषज्ञता एक अधिक समावेशी और मजबूत कृषि क्षेत्र को आकार दे रही है।

नवी उमेद एफपीसी लिमिटेड की चेयरपर्सन सुनीता वाघमरे ने बताया कि उनकी किसान उत्पादक कंपनी की यात्रा 3,500 महिलाओं के साथ शुरू हुई थी और अब इसका टर्नओवर 6.5 करोड़ रुपये है। वह बताती हैं कि कैसे उन्होंने हल्दी और सोयाबीन के व्यापार से शुरुआत की, जबकि उनके पास बाजार में अनुभव बहुत कम था। 

अपने कृषि उद्यमों पर अधिक नियंत्रण प्राप्त करके, महिलाएं मूल्य निर्धारण में सुधार कर रही हैं, जोखिमों को कम कर रही हैं और आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत कर रही हैं। इस महिला दिवस पर महिला-नेतृत्व वाले एफपीओ की तेज वृद्धि भारतीय कृषि में एक मौलिक बदलाव को रेखांकित करती है। जैसे-जैसे अधिक महिलाएं नेतृत्व की भूमिकाओं में कदम रख रही हैं, वे ग्रामीण आर्थिक विकास को फिर से परिभाषित कर रही हैं और कृषि व्यवसाय के भविष्य को आकार दे रही हैं।

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