महिला दिवस विशेषः श्रम बल में शामिल होने वाली 79% नई महिलाओं को काम असंगठित क्षेत्र में
श्रम बल में शामिल होने वाली 79% नई महिलाएं असंगठित क्षेत्र में जा रही हैं, संगठित क्षेत्र में पुरुषों को अधिक काम मिल रहा है।
वर्ष 2030 तक दुनिया में कामकाजी उम्र के प्रत्येक पांच लोगों में से एक भारतीय होगा। भारत लगातार 7% से ऊपर की विकास दर हासिल करेगा या नहीं, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि भारत जनसांख्यिकी में इस बदलाव का कितना लाभ उठाता है। सीधे शब्दों में कहें तो मौजूदा कामकाजी लोगों और आने वाली श्रम शक्ति, दोनों को खपाने के लिए 11.5 करोड़ से अधिक नौकरियां सृजित करनी पड़ेंगी। इस सफलता के दो प्रमुख तत्व हैं- महिला श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) में बढ़ोतरी और औपचारिक क्षेत्र में नौकरियां पैदा करना। लेकिन श्रम बल में शामिल होने वाली 79% नई महिलाएं असंगठित क्षेत्र में जा रही हैं।
ग्लोबल रिसर्च फर्म नेटिक्सिस ने महिला दिवस पर जारी एक रिपोर्ट में यह बात कही है। इसके मुताबिक पिछले दशक में भारत ने इन दोनों मोर्चों पर प्रगति की है, लेकिन अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है। नए श्रम सर्वेक्षण के आधार पर देखें तो श्रम बल में महिला भागीदारी दर 2012 के 31% से बढ़कर 2023 में 37% हो गई है। पुरुषों की भागीदारी दर 80% के आसपास ही है। कुल श्रम भागीदारी दर 2012 में 56% थी, जो 2023 में बढ़कर 58% हो गई है। यह श्रम बल में महिलाओं के शामिल होने के कारण हो सका है।
रिपोर्ट के अनुसार, पिछले एक दशक में भारत में लगभग 11.2 करोड़ नौकरियां पैदा हुई हैं और इसमें 6.1 करोड़ महिलाएं और 5.1 करोड़ पुरुष हैं। हालांकि दूसरे एशियाई देशों से तुलना करें तो इस अनुपात को और बढ़ाने की गुंजाइश है। वियतनाम में महिला एलएफपीआर 75% और चीन में 71% है। पूरे एशिया का औसत 63% है।
संगठित क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी कम
नेटिक्सिस की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के विकास की एक अहम शर्त श्रम बाजार को संगठित बनाने की है। एक बड़ा मध्यम वर्ग बनाने, भारतीय परिवारों की क्रय शक्ति बढ़ाने, प्रत्यक्ष कर से मिलने वाले राजस्व का हिस्सा बढ़ाने और पेंशन और म्यूचुअल फंड में अधिक निवेश के लिए यह महत्वपूर्ण है। पेरोल डेटा के आधार पर देखा जाए तो बीते 10 वर्षों में संगठित क्षेत्र में 6.4 करोड़ नौकरियां बढ़ी हैं। महिलाएं इस प्रक्रिया में तेजी से शामिल हो रही हैं, लेकिन अब भी केवल 1.28 करोड़ महिलाएं संगठित क्षेत्र में हैं। श्रम बल में शामिल होने वाली 79% नई महिलाएं असंगठित क्षेत्र में जा रही हैं, संगठित क्षेत्र में पुरुषों को अधिक काम मिल रहा है।
इन दोनों मोर्चों पर प्रगति हुई है, फिर भी भारत को 2030 तक महिला एलएफपीआर को 50% करने और संगठित क्षेत्र में नौकरी का अनुपात 20% तक करने की जरूरत है। इसके लिए प्रति वर्ष 1.65 करोड़ नौकरियां पैदा करने की आवश्यकता होगी। बीते दशक में प्रति वर्ष 1.24 करोड़ नौकरियां पैदा हुई हैं। इन 1.65 करोड़ नौकरियों में से 1.04 करोड़ संगठित क्षेत्र में होनी चाहिए। ऐसा करने और श्रम बल की डिमांड बढ़ाने के लिए सभी स्तर पर सुधार लागू करने होंगे। अगर ऐसा हुआ तो यह न केवल भारत बल्कि दुनिया को भी बदल देगा।