टमाटर की कीमतों में गिरावट शुरू, किसानों के लिए 400 से 600 रुपये प्रति क्रेट रह गया दाम
प्याज के बाद अब टमाटर की कीमतों में भी गिरावट आई है। पिछले 15 दिनों में थोक बाजार में दाम 40 फीसदी घटकर 400-600 रुपये प्रति क्रेट हो गए हैं। कर्नाटक और आंध्र प्रदेश से नई फसल आने के कारण कीमत में यह गिरावट आई है
प्याज के बाद अब टमाटर की कीमतों में गिरावट शुरू हो गई है। बीते 15 दिनों में टमाटर के दाम थोक बाजार में 40 फीसदी तक कम हुए हैं। 15 दिन पहले टमाटर का औसत थोक मूल्य 900-1000 रुपये प्रति क्रेट (25 किलो) के आसपास था, जो अब गिरकर 400 से 600 रुपये प्रति क्रेट पर आ गया है। कर्नाटक और आंध्र प्रदेश से टमाटर की नई फसल आने लगी है, जिससे कीमतों में गिरावट आई है। इसका असर खुदरा कीमतों पर भी दिखना शुरू हो गया है। बाजार में टमाटर का दाम घटकर अब 60 से 70 रुपये प्रति किलोग्राम पहुंच गया है जो 15 दिन पहले 100 रुपये किलो तक पहुंच गया था। जैसे-जैसे दक्षिणी राज्यों में टमाटर की आवक बढ़ेगी, कीमतों में और गिरावट आएगी।
भारतीय सब्जी उत्पादक संघ के अध्यक्ष श्रीराम गाढवे ने रूरल वॉयस को बताया कि कर्नाटक और आंध्र प्रदेश से टमाटर की नई आ रही है, जिससे दाम कम हो गए हैं। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे नई फसल की आवक बढ़ेगी, दाम और कम होंगे। उन्होंने कहा कि अगले एक महीने के अंदर टमाटर की कीमतों में भारी गिरावट देखने को मिल सकती है।
हिमाचल की सोलन सब्जी मंडी में आढ़ती सतीश ने रूरल वॉयस को बताया कि पिछले 15 दिनों में टमाटर के दाम काफी कम हो गए हैं। उन्होंने कहा कि 15 दिन पहले 1000 रुपये प्रति क्रेट तक दाम मिल रहा था, लेकिन अब दाम घटकर 400 से 600 प्रति क्रेट पर आ गया है। उन्होंने कहा कि हिमाचल में हो रही बारिश से कई इलाकों में टमाटर की फसल प्रभावित हुई है। साथ ही क्वालिटी पर भी असर पड़ा है। इस वजह से भी दाम कम हो गए हैं। उन्होंने कहा कि कीमतों में गिरावट की एक वजह यह भी है कि दक्षिण भारत के टमाटर उत्पादक राज्यों से नई फसल आने लगी है।
किसानों के लिए 20-25 रुपये प्रति किलोग्राम रह गया दाम
बाजार में एक महीने पहले तक टमाटर का दाम 100 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया था, जिससे किसानों को भी अच्छे भाव मिल रहे थे। एक महीने पहले किसानों को 30-35 रुपये प्रति किलोग्राम दाम मिल रहा था, जो अब घटकर 20-22 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गया है। टमाटर की उत्पादन लागत ही 20-22 रुपये प्रति किलोग्राम तक आती है। किसानों का कहना है कि कीमतें हर साल बढ़ती हैं लेकिन बिचौलियों के कारण उन्हें कुछ खास मुनाफा नहीं होता। हालांकि, कीमतें बढ़ने से उन्हें थोड़ी राहत जरूर मिलती है लेकिन यह साल के कुछ ही महीनों में होता है।
क्यों बढ़ी थी टमाटर की कीमतें
टमाटर की कीमतें बढ़ने के पीछे अप्रैल-मई में पड़ी भीषण गर्मी और हीट वेव बड़ी वजह रहीं। अप्रैल-मई में पड़ी भीषण गर्मी के चलते फसल प्रभावित हुई थी। इस वजह से मुख्य टमाटर उत्पादक राज्यों से टमाटर की आवक कम हो गई थी और दाम तेजी से बढ़े थे। हालांकि, हिमाचल से टमाटर की आवक जारी थी। इस वजह से यहां के किसानों को अच्छे दाम मिल रहे थे लेकिन अब दक्षिणी राज्यों से टमाटर की नई फसल आना शुरू हो गई है, जिससे कीमतों में गिरावट आई है।