दालों के शुल्क मुक्त आयात पर जोर, किसानों को कैसे मिलेंगे सही दाम?

दालों के शुल्क मुक्त आयात के कारण घरेलू फसल आने के साथ ही दलहन फसलों की कीमतें एमएसपी से नीचे आ सकती हैं। इससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ेगा। साथ ही दालों के मामले में आत्मनिर्भरता लाने की कोशिशों को भी झटका लगेगा।

दालों के शुल्क मुक्त आयात पर जोर, किसानों को कैसे मिलेंगे सही दाम?

दालों की महंगाई को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार ने अरहर के शुल्क मुक्त आयात की अवधि को एक साल के लिए बढ़ाकर 31 मार्च, 2026 तक निर्धारित कर दिया है। यह फैसला देश में दलहन उत्पादक किसानों के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है। साथ ही दालों के मामले में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य से भी मेल नहीं खाता है।

इस बीच, मसूर और चना जैसी दालों की नई फसल बाजार में आने के पहले ही उनकी कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे चली गई हैं। खास बात यह है कि चना और मसूर मध्य प्रदेश की प्रमुख दलहन फसलें हैं और केंद्र में कृषि मंत्री मध्य प्रदेश से ही आते हैं। दालों का शुल्क मुक्त आयात किसानों के हितों का संरक्षण करने के सरकार के दावों पर सवाल खड़ा करता है।

भारत में दालों का आयात म्यांमार, आस्ट्रेलिया, अफ्रीका और कनाडा से होता है। अरहर और उड़द का अधिकांश आयात अफ्रीकी देशों और म्यांमार से होता है। चना, मटर और मसूर का आयात आस्ट्रेलिया, रूस और कनाडा से होता है। भारत में मूंग के अलावा सभी प्रमुख दालों जैसे अरहर, उड़द, मसूर, चना और पीली मटर का शुल्क मुक्त आयात हो रहा है।

चालू सीजन के लिए सरकार के चना का एमएसपी 5650 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है जबकि बाजार कीमतें इसके नीचे आ गई हैं। अगले माह से चना की नई फसल आएगी, जिसके बाद कीमतों में और अधिक गिरावट आने की आशंका है। आस्ट्रेलिया से देश में करीब 10 लाख टन चना आयात होने का अनुमान है। अरहर के आयात में 3.5 लाख टन का आयात म्यांमार और सात लाख टन का आयात अफ्रीका से होगा। पिछले लगभग एक साल के दौरान करीब 28 लाख टन पीली मटर का आयात भी भारत में हो चुका है। पीली मटर के शुल्क मुक्त आयात की अवधि 28 फरवरी, 2025 तक निर्धारित है जिसे आगे बढ़ाए जाने की संभावना है।

सरकार ने मसूर का एमएसपी 6700 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है जबकि इस समय बाजार में इसकी कीमतें 5700 से 5800 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास चल रही है। मसूर का भारत में ऑस्ट्रेलिया से शुल्क मुक्त आयात हो रहा है यानी मार्च में जब हमारी घरेलू फसल आएगी तो कीमतों में और अधिक गिरावट आ सकती है। सरकार ने उड़द, चना और मसूर के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति 31 मार्च, 2025 तक दे रखी है। खास बात यह है कि आस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देशों के लिए भारत मसूर के निर्यात का प्रमुख बाजार है।

हालांकि सरकार ने पिछले दिनों कहा था कि वह अरहर, उड़द और मसूर की शत-प्रतिशत खरीद एमएसपी पर करेगी। लेकिन बड़े पैमाने पर दालों के आयात के चलते किसानों को उपज का सही कीमत कैसे मिलेगा, इस पर बड़ा सवालिया निशान है। दालों के शुल्क-मुक्त आयात के कारण घरेलू फसल आने के साथ ही दलहन फसलों की कीमतें एमएसपी से नीचे आ सकती हैं। इससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ेगा। साथ ही दालों के मामले में आत्मनिर्भरता लाने की कोशिशों को भी झटका लगेगा।  

 

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