देश भर में सामान्य से 4 फीसदी अधिक बरसा मानसून, लेकिन पंजाब, हरियाणा और पूर्वोत्तर में तीन से 34 फीसदी तक कम बारिश

1 जून से 17 अगस्त तक देश में भले ही सामान्य से 4 फीसदी अधिक बारिश हो चुकी हो, लेकिन पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और पूर्वोत्तर भारत के कई राज्यों में मानसून की बारिश अभी भी सामान्य से कम है। इन क्षेत्रों में कम बारिश होने से खेती-किसानी पर प्रतिकूल असर पड़ा है

देश भर में सामान्य से 4 फीसदी अधिक बरसा मानसून, लेकिन पंजाब, हरियाणा और पूर्वोत्तर में तीन से 34 फीसदी तक कम बारिश

देश में मानसून अब आधे से ज्यादा बीत चुका है, लेकिन कई हिस्सों में अभी भी बारिश की कमी बनी हुई है। जिसका प्रतिकूल असर खेती-किसानी पर पड़ा है। 1 जून से 17 अगस्त तक देश में भले ही सामान्य से 4 फीसदी अधिक बारिश हो चुकी हो, लेकिन पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश और पूर्वोत्तर भारत के कई राज्यों में मानसून की बारिश अभी भी सामान्य से कम है। 

पंजाब-हरियाणा, बिहार में सबसे कम बारिश 

उत्तर पश्चिम भारत में 10 दिन पहले मानसून की बारिश 5 फीसदी कम थी, लेकिन अब बारिश ने इस कमी को पूरा कर लिया है। लेकिन देश में सामान्य से अधिक बारिश के बावजूद देश के कई हिस्सों में अभी भी बारिश का स्तर समान्य से तीन फीसदी से 34 फीसदी तक कम बना हुआ है। जिसका असर खरीफ की फसलों के उत्पादन में कमी और उत्पादन लागत में बढ़ोतरी के रूप में किसानों के उपर पड़ने की आशंका है। पंजाब में 34 फीसदी, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली में 15 फीसदी, हिमाचल प्रदेश में 21 फीसदी, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में सामान्य से 28 फीसदी कम बारिश हुई है। वहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 7 फीसदी, पूर्वी उत्तर प्रदेश में 13 फीसदी और उत्तराखंड में 3 फीसदी कम बारिश हुई है।

पूर्व और उत्तर पूर्व भारत में भी मानसून की बारिश के लिहाज से स्थिति चिंताजनक है। अरुणाचल प्रदेश में 16 फीसदी, मणिपुर-नागालैंड-त्रिपुरा में 24 फीसदी, पश्चिम बंगाल के गंगा क्षेत्र में 22 फीसदी, झारखंड में 13 फीसदी, बिहार में 25 फीसदी और असम में 5 फीसदी कम बारिश हुई है। इसके विपरीत, मध्य और दक्षिण भारत में इस वर्ष मानसून अच्छा रहा है। मध्य भारत में 17 अगस्त तक सामान्य से 11 फीसदी और दक्षिण भारत में 21 फीसदी अधिक बारिश हुई है। 

देश के कई क्षेत्रों में किसान आज भी खेती-बाड़ी के लिए बारिश के पानी पर निर्भर हैं। लेकिन बारिश नहीं होने से उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। देश में इस साल मानसून की शुरुआत अच्छी रही थी, खासकर मध्य और दक्षिण भारत में भारी बारिश हुई थी। लेकिन उत्तर और पूर्वोत्तर भारत में मानसून की रफ्तार धीमी पड़ गई,  जिसका असर अब स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है।

अगस्त-सितंबर में अधिक बारिश का अनुमान 

आईएमडी ने अगस्त और सितंबर में सामान्य से अधिक बारिश का अनुमान जताया है। अगस्त के अंत तक अनुकूल ला नीना स्थितियों के विकसित होने की संभावना है, जिससे मानसूनी बारिश बढ़ सकती है। हालांकि, मानसून के दूसरे हिस्से में कुछ क्षेत्रों में सामान्य से कम बारिश की संभावना बनी हुई है, विशेषकर पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र और पूर्वोत्तर के कुछ हिस्सों में।

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