मक्का में गिरावट जारी, भाव घटने से किसानों को 20 हजार रुपये प्रति एकड़ का हो रहा नुकसान
बाजार के जानकारों का कहना है कि रबी मक्के की मंडियों में आवक तेज हो गई है। इससे कीमतों पर दबाव बढ़ गया है। इस महीने की शुरुआत में 1850-1950 रुपये प्रति क्विंटल बिकने वाला मक्का अब 1750-1850 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गया है। निर्यात और पॉल्ट्री क्षेत्र से भी मांग निकल कर नहीं आ रही है। इससे भी कीमतों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। पिछले साल इस समय मक्के का औसत भाव 2150-2350 रुपये प्रति क्विंटल था।
मक्का के भाव में गिरावट का रुख लगातार जारी है। रबी सीजन के मक्का की मंडियों में आवक बढ़ने, निर्यात मांग के अभाव और विदेशी बाजारों में दाम घटने से औसतन भाव 1750-1850 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है। इसकी वजह से किसानों को पिछले साल की तुलना में 400-500 रुपये प्रति क्विंटल का नुकसान उठाना पड़ रहा है। 2022-23 के लिए सरकार ने मक्के का एमएसपी 1962 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है।
बाजार के जानकारों का कहना है कि रबी मक्का की मंडियों में आवक तेज हो गई है। इससे कीमतों पर दबाव बढ़ गया है। इस महीने की शुरुआत में 1850-1950 रुपये प्रति क्विंटल बिकने वाला मक्का अब 1750-1850 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गया है। निर्यात और पॉल्ट्री क्षेत्र से भी मांग निकल कर नहीं आ रही है। इससे भी कीमतों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। पिछले साल इस समय मक्का का औसत भाव 2150-2350 रुपये प्रति क्विंटल था।
बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में रबी मक्का की खेती प्रमुखता से होती है। बिहार के पूर्णिया जिले के किसान नवीन कुमार कहते हैं कि प्रति एकड़ मक्के की औसत पैदावार 50 क्विंटल है। इस लिहाज से देखें तो मौजूदा भाव पर किसानों को पिछले साल की तुलना में 20-25 हजार रुपये प्रति एकड़ का नुकसान हो रहा है। इसके अलावा इस साल लागत में भी बढ़ोतरी हुई है। खाद और डीजल के दाम बढ़ गए हैं। साथ ही मजदूरी की लागत भी बढ़ गई है। पिछले साल मैंने 2150 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर मक्का बेचा था। मेरी फसल तैयार है लेकिन भाव को देखते हुए मैंने फसल बेची नहीं है। अगर जल्दी ही भाव में सुधार नहीं हुआ तो फिर फसल बेचनी पड़ेगी क्योंकि आगे भाव और गिरने की आशंका ज्यादा है। तब नुकसान और बढ़ेगा।
जिले के ही एक अन्य किसान विजय कुमार के मुताबिक, पिछले चार-पांच साल से फरवरी-मार्च में बिहार में आंधी-तूफान का प्रकोप ज्यादा रहा है जिससे फसल बर्बाद होती थी। इस बार आंधी-तूफान से राहत मिली है जिससे पैदावार बढ़ी है। किसानों को उम्मीद थी पैदावार बढ़ने से लागत के मुकाबले मुनाफा बढ़ेगा लेकिन भाव घटने से मुनाफा प्रभावित हो गया। पिछले साल की तुलना में किसानों को नुकसान झेलना पड़ रहा है।