इजरायल-हमास युद्ध के चलते ईरान को भारतीय बासमती निर्यात में गिरावट
ईरान और इजरायल के बीच चल रहे तनाव के चलते बासमती चावल के निर्यात में कमी आई है। इस स्थिति के चलते बासमती निर्यातकों और राइस मिलर्स ने बासमती धान की खरीद भी कम कर दी है जिसका सीधा असर कीमतों पर पड़ा है
मध्य पूर्व में इजरायल और हमास के बीच चल रहे युद्ध का भारतीय बासमती निर्यात पर असर पड़ने लगा है। वहीं इजरायल और ईरान के बीच बढ़ रहे तनाव के कारण भारतीय बासमती एक्सपोर्ट पर अधिक असर पड़ा है। सउदी अरब के बाद ईरान भारतीय बासमती चावल का दूसरा बड़ा आयातक है। भारत से निर्यात होने वाले बासमती चावल का लगभग 25 फीसदी हिस्सा हर साल ईरान को होता है, लेकिन मौजूदा संघर्ष की वजह से इस निर्यात में बड़ी कमी आई है।
कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल भारत से ईरान को 9.98 लाख टन बासमती चावल का निर्यात किया गया था जबकि इस साल अप्रैल से अगस्त तक 3.98 लाख टन बासमती चावल का निर्यात किया गया है।
इस स्थिति के चलते बासमती निर्यातकों और राइस मिलर्स ने बासमती धान की खरीद कम कर दी है जिसका सीधा असर कीमतों पर पड़ा है। हरियाणा और पंजाब की मंडियों में बासमती धान की 1509 किस्म की कीमतें 2800 से 3200 रुपये प्रति क्विटंल के बीच हैं, जबकि पिछले साल इस समय तक इसका दाम 3500 से 3800 रुपये प्रति क्विंटल था। अंतराष्ट्रीय बाजार में भी बासमती चावल की कीमतों में कमी आई है। निर्यातकों के मुताबिक 1509 बासमती चावल की कीमत लगभग 880 डॉलर प्रति टन है, जो पिछले साल से लगभग 15 फीसदी कम है। पिछले साल इस समय तक अंतराष्ट्रीय बाजार में 1509 बासमती चावल का भाव 1000 डॉलर प्रति टन से ऊपर था। बासमती निर्यातकों का तर्क है कि ईरान-इजरायल संघर्ष के चलते बासमती एक्सपोर्ट पर असर पड़ रहा है, जिससे इसकी कीमतों में गिरावट आई है।
बासमती चावल निर्यातकों का कहना है कि ईरान और इजरायल के बीच चल रहे संघर्ष के कारण बीमा कंपनियों ने ईरान को निर्यात पर बीमा देना भी बंद कर दिया है, जिससे व्यापार में और रुकावट आ रही है। बीमा सुरक्षा के बिना निर्यातकों के लिए जोखिम बढ़ गया है, और वे निर्यात करने से हिचक रहे हैं।
ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुशील गोयल ने रूरल वॉयस को बताया कि ईरान-इजरायल संघर्ष से निर्यात पर असर तो पड़ा है, लेकिन केंद्र सरकार पिछले महीने न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) हटाए जाने के बाद बासमती धान की कीमतों में सुधार भी हुआ है। 1509 धान की कीमतें 500 से 700 रुपये तक बढ़ी हैं, जिससे किसानों को थोड़ी राहत मिली है। उन्होंने कहा कि इजारयल और ईरान के बीच चल रहे तनाव के चलते मिडिल ईस्ट (खाड़ी देशों) में भी बासमती चावल की डिमांड पर असर पड़ सकता है, लेकिन उद्योग को उम्मीद है कि कुल मिलाकर आगे भी डिमांड बनी रहेगी।
हरियाणा राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुशील जैन ने रूरल वॉयस को बताया कि ईरान-इजरायल संघर्ष के कारण भारतीय बासमती चावल के निर्यात पर सीधा असर पड़ा है। इसके चलते बीमा कंपनियों ने ईरान को निर्यात पर बीमा देना बंद कर दिया है। जिससे बासमती के निर्यात में दिक्क्तें आ रही हैं।