गेहूं की पछेती बुवाई के लिए आईसीएआर ने इन किस्मों की दी सलाह
आईसीएआर-भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान ने गेहूं की पछेती बुवाई को लेकर एडवाइजरी जारी की है। इसमें किसानों को समय पर बुवाई करने और स्थिति के अनुसार सही किस्में चुनने की सलाह दी गई है। साथ ही गेहूं की पछेती बुवाई के लिए कुछ खास किस्में भी सुझाई गई हैं।
आईसीएआर के करनाल स्थित भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान ने गेहूं की पछेती बुवाई को लेकर एडवाइजरी जारी की है। एडवाइजरी में किसानों को समय पर बुवाई करने और स्थिति के अनुसार सही किस्में चुनने की सलाह दी गई है। साथ ही गेहूं की पछेती बुवाई के लिए कुछ खास किस्में भी सुझाई गई हैं।
25 नवंबर के बाद इन किस्मों की करें बुवाई
पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, पश्चिम और पूर्वी यूपी, बिहार, बंगाल और झारखंड में 25 नवंबर के बाद बुवाई के लिए पीबीडब्ल्यू 752, पीबीडब्ल्यू 771, डीबीडब्ल्यू 173, एचडी 3059, और एचडी 3118 जैसी उन्नत किस्में सुझाई गई हैं। सभी जोन के लिए एचडी 3271, एचआई 1621 और डब्ल्यूआर 544 किस्मों को बोने की सलाह दी गई है। वहीं, मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान के किसान बुवाई के लिए पीबीडब्ल्यू 752, एचडी 3407, एचआई 1634 और एमपी 3336 जैसी किस्मों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
देरी से बुवाई कर रहे किसानों को 125 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बीज की बुवाई करने की सलाह दी गई है। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, पश्चिम और पूर्वी यूपी, बिहार, बंगाल और झारखंड में एनपीके 150:60:40 किग्रा प्रति हेक्टेयर के हिसाब से उर्वरक का उपयोग करने की सलाह दी गई है। वहीं, मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान में यह दर 90:60:40 किग्रा प्रति हेक्टेयर रखने की सलाह दी गई है
खरपतवार प्रबंधन और सिंचाई
खरपतवार को नियंत्रित करने के लिए पायरोक्सासल्फोन 85 (60 ग्राम/एकड़), क्लोडिनाफॉप (60 ग्राम/हेक्टेयर), फेनोक्साप्रॉप (100 ग्राम/हेक्टेयर), सल्फोसल्फ्यूरॉन (25 ग्राम/हेक्टेयर) या पिनोक्साडेन (50 ग्राम/हेक्टेयर) का इस्तेमाल करें। इनका इस्तेमाल बुवाई के 30 से 35 दिनों के बाद करें, जब मिट्टी में पर्याप्त नमी हो। किसानों को पहली सिंचाई बुवाई के 20-25 दिन बाद करने की सलाह दी गई है।
दीमक और गुलाबी तना छेदक नियंत्रण
दीमक प्रभावित क्षेत्रों में बीज का उपचार क्लोरोपाइरीफॉस (0.9 ग्राम ए.आई./किलो बीज या 4.5 मिली प्रति किलो बीज) से करें। इसके अलावा थायमेथोक्साम 70 डब्ल्यूएस (0.7 ग्राम ए.आई/किलो बीज या 4.5 मिली प्रति किलो बीज) और फिप्रोनिल (0.3 ग्राम ए.आई/किलो बीज या 4.5 मिली प्रति किलो बीज) का इस्तेमाल भी किया जा सकता है।
गुलाबी तना छेदक का प्रकोप गेहूं उत्पादन वाले क्षेत्रों में अधिक देखने को मिलता है। इसके प्रबंधन के लिए, कीट दिखाई देने पर क्विनालफोस (800 मिली/एकड़) का पत्तियों पर छिड़काव करें। सिंचाई करने से भी इस कीट से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।