डीएपी पर सब्सिडी या खुदरा कीमतें बढ़ाने की होगी जरूरत, ऊंची अंतरराष्ट्रीय कीमतों से कंपनियों पर पड़ रहा असरः एफएआई
हाल के महीनों में डाइ-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) की वैश्विक कीमतों में 150 डॉलर प्रति टन से ज्यादा की वृद्धि हुई है। इस तेज वृद्धि को देखते हुए फर्टिलाइजर उद्योग के शीर्ष संगठन फर्टिलाइजर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफएआई) ने कहा है कि अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में दरें ऊंची बनी रहती हैं तो सब्सिडी या खुदरा कीमतें बढ़ाने की आवश्यकता होगी।
हाल के महीनों में डाइ-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) की वैश्विक कीमतों में 150 डॉलर प्रति टन से ज्यादा की वृद्धि हुई है। इस तेज वृद्धि को देखते हुए फर्टिलाइजर उद्योग के शीर्ष संगठन फर्टिलाइजर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफएआई) ने कहा है कि अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में दरें ऊंची बनी रहती हैं तो सब्सिडी या खुदरा कीमतें बढ़ाने की आवश्यकता होगी। फर्टिलाइजर कंपनियां वर्तमान में डीएपी की 50 किलो की बोरी 1,350 रुपये में बेच रही हैं। डीएपी की वैश्विक कीमतें इस साल जुलाई में 440 डॉलर प्रति टन थी जो बढ़कर 595 डॉलर प्रति टन हो गई हैं।
एफएआई के अध्यक्ष एन सुरेश कृष्णन ने मीडिया से बातचीत में कहा कि डीएपी के आयात मूल्य को देखते हुए फर्टिलाइजर उद्योग के लिए मौजूदा कीमत पर इसकी बिक्री करना व्यावहारिक रूप से थोड़ी चुनौतीपूर्ण होगी। यदि वैश्विक कीमतें मौजूदा स्तर पर बनी रहती हैं, तो या तो खुदरा कीमतें बढ़ाने या सरकार से ज्यादा समर्थन की आवश्यकता हो सकती है।
उन्होंने कहा, "अंतरराष्ट्रीय मूल्य में अस्थिरता और रबी सीजन 2023-24 के लिए एनबीएस (न्यूट्रिशन आधारित सब्सिसडी) की दरों में कमी पीएंडके (फॉस्फेटिक और पोटाश) क्षेत्र की व्यवहार्यता को प्रभावित कर रही है।" एफएआई ने मांग की कि यूरिया को भी पीएंडके उर्वरकों की तर्ज पर एनबीएस योजना के तहत लाया जाना चाहिए ताकि यूरिया और पीएंडके उर्वरकों की खुदरा कीमतों की असमानताओं को ठीक करने में मदद मिल सके।
अप्रैल 2022 में डीएपी की कीमत 924 अमेरिकी डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई थी, जबकि फॉस्फोरिक एसिड की कीमत 1,530 डॉलर प्रति टन हो गई थी। जुलाई 2023 में फॉस्फेरिक एसिड का दाम घटकर 970 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गया और अक्टूबर 2023 में यह फिर से बढ़कर 985 डॉलर प्रति टन हो गया। अमोनिया की कीमतों में भी इसी तरह का रुझान देखा गया है जो अप्रैल 2022 में 1,530 अमेरिकी डॉलर प्रति टन थी। जुलाई 2023 में अमोनिया का दाम घटकर 285 डॉलर पर आ गया और अक्टूबर 2023 में फिर से बढ़कर 575 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गया।
कृष्णन ने म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी) पर कम सब्सिडी पर चिंता जताते हुए कहा कि इसकी वजह से मिट्टी का यह पोषक तत्व डीएपी से महंगा हो गया है और इसकी खपत कम हो गई है। उन्होंने कहा, "एमओपी की खपत में लगातार गिरावट आई है। एमओपी पर सब्सिडी में भारी कमी से मिट्टी के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और यह फसलों के पोषण की वृद्धि के लिए नुकसानदेह होगी।
घरेलू उर्वरक क्षेत्र की प्रगति के बारे में कृष्णन ने कहा कि चालू वित्त वर्ष 2023-24 में यूरिया उत्पादन पिछले वर्ष के 2.85 करोड़ टन से बढ़कर 3 करोड़ टन होने की उम्मीद है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले कुछ वर्षों में घरेलू उत्पादन में वृद्धि के साथ देश आत्मनिर्भर हो जाएगा।
कृष्णन ने बताया कि नैनो यूरिया की खपत भी बढ़ रही है। उम्मीद है कि वर्ष 2030 तक नैनो यूरिया कुल मांग का 20 फीसदी पूरा कर सकता है। इस वर्ष अप्रैल-अक्टूबर के दौरान यूरिया और एमओपी का आयात पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में क्रमशः 9.7 फीसदी और 63.8 फीसदी बढ़ गया। इस दौरान डीएपी और एनपीके के आयात में क्रमशः 8.8 फीसदी और 18 फीसदी की कमी दर्ज की गई।