FAO फूड आउटलुकः दाम अधिक होने के कारण इस वर्ष अल्प विकसित और विकासशील देशों में खाद्य पदार्थों की मांग घटेगी
इस साल दुनिया का खाद्य आयात बिल रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की संभावना है। हालांकि इसमें वृद्धि की दर पिछले दो वर्षों की तुलना में कम होगी। इसका कारण फल, सब्जी, चीनी तथा डेयरी प्रोडक्ट की कीमतों में वृद्धि है। इनके दाम बढ़ने के कारण मांग में गिरावट के आसार हैं, खासकर आर्थिक रूप से कमजोर देशों में। संयुक्त राष्ट्र के कृषि एवं खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने अपनी छमाही फूड आउटलुक रिपोर्ट में यह बात कही है।
इस साल दुनिया का खाद्य आयात बिल रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की संभावना है। हालांकि इसमें वृद्धि की दर पिछले दो वर्षों की तुलना में कम होगी। इसका कारण फल, सब्जी, चीनी तथा डेयरी प्रोडक्ट की कीमतों में वृद्धि है। इनके दाम बढ़ने के कारण मांग में गिरावट के आसार हैं, खासकर आर्थिक रूप से कमजोर देशों में। संयुक्त राष्ट्र के कृषि एवं खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने अपनी छमाही फूड आउटलुक रिपोर्ट में यह बात कही है।
एफएओ का आकलन है कि 2023 में ग्लोबल फूड बिल 1.98 लाख करोड़ डॉलर का होगा। यह 2022 की तुलना में 1.5 प्रतिशत अधिक है। इससे पहले 2022 में ग्लोबल फूड बिल में 11% और 2021 में 18% की वृद्धि हुई थी।
रिपोर्ट के अनुसार विकसित देशों में तो खाद्य आयात का बिल बढ़ेगा लेकिन सबसे कम विकसित देशों के आयात बिल में 1.5% की गिरावट के आसार हैं। इसी तरह नेट फूड इंपोर्ट करने वाले विकासशील देशों की डिमांड में 4.9% की गिरावट का अंदेशा इसने जताया है।
एफएओ ऐसे हो ने चिंता जताते हुए कहा है कि सबसे कम विकसित और विकासशील देशों के आयात बिल में गिरावट का मतलब है कि वहां लोगों की क्रय क्षमता में कमी आ रही है। इसके साथ एक तथ्य यह भी है कि अनेक प्राथमिक खाद्य वस्तुओं की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में तो गिरावट आई है, लेकिन रिटेल स्तर पर कीमतों में कमी देखने को नहीं मिली है। इससे कॉस्ट ऑफ लिविंग पर दबाव 2023 में भी बना रहेगा।
इससे पहले 2007-08 में वैश्विक खाद्य संकट आया था। उस समय अमेरिकी डॉलर के मूल्य में गिरावट के चलते खाद्य आयातकों को कीमतों में वृद्धि का ज्यादा असर नहीं झेलना पड़ा था। लेकिन इस बार वैसा नहीं हो रहा है। उदाहरण के लिए अप्रैल 2022 से सितंबर 2022 के दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में मक्के की कीमतों में 10.2% की कमी आई, लेकिन विकासशील देशों में घरेलू स्तर पर कीमतों में 4.8% की ही कमी हुई। एफएओ के वरिष्ठ अर्थशास्त्री अल मामून अमरोक ने कहा है कि खाद्य कीमतें बढ़ने से सामाजिक अशांति बढ़ेगी, लोगों की वित्तीय चुनौतियां बढ़ेंगी तथा गरीबी एवं खाद्य असुरक्षा कम करने के लिए अब तक जो प्रयास किए गए हैं वह बेमानी हो जाएंगे।
रिपोर्ट के अनुसार इस वर्ष 151.3 करोड़ टन मोटे अनाज का उत्पादन होने की उम्मीद है। यह अब तक का रिकॉर्ड होगा। पिछले साल की तुलना में इसमें 3% की वृद्धि होगी। अमेरिका में इस वर्ष मक्का उत्पादन में बढ़ोतरी और ब्राजील में भी फसल काफी अच्छी रहने के कारण यह अनुमान जताया गया है। चावल का उत्पादन 2023-24 के सीजन में 1.3% बढ़कर 52.35 करोड़ टन तक पहुंचने का अनुमान जताया गया है, लेकिन गेहूं उत्पादन में 3% गिरावट का अंदेशा है। यह 2022 के लगभग 80 करोड़ टन की तुलना में 77.3 करोड़ टन रहने की उम्मीद है। रूस और ऑस्ट्रेलिया में इस वर्ष गेहूं उत्पादन में गिरावट के कारण ग्लोबल आउटपुट में कमी आएगी। इसके अलावा, तिलहन, दूध, चीनी का उत्पादन विश्व स्तर पर बढ़ने के आसार है।