भारी बारिश से कई राज्यों में खरीफ की फसलों को नुकसान, धान और गन्ना भी प्रभावित

देशभर में भारी बारिश और लंबा मानसून खरीफ की फसलों को नुकसान पहुंचा रहा है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश और दक्षिण भारत के कई राज्यों में फसलें प्रभावित हुई हैं। मानसून के अक्टूबर तक जारी रहने की संभावना है, जिससे फसलों की कटाई में देरी हो सकती है और उत्पादन प्रभावित हो सकता है। आईएमडी के अनुसार, सितंबर में मानसून की बारिश सामान्य से अधिक होने और अक्टूबर के अंत तक जारी रहने की संभावना है

भारी बारिश से कई राज्यों में खरीफ की फसलों को नुकसान, धान और गन्ना भी प्रभावित

देश भर में हो रही भारी बारिश और मानसून लंबा खिंचने के कारण खरीफ की दलहन-तिलहन, गन्ना, धान समेत अन्य फसलों पर काफी नुकसान पहुंच रहा है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश समेत दक्षिण भारत के कई राज्यों में फसलें बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। कई क्षेत्रों में तो किसानों की पूरी फसल बर्बाद हो गई। सितंबर में ज्यादा बारिश होने से खरीफ फसलों की कटाई पर भी असर पड़ेगा। 

देश में आमतौर पर दक्षिण-पश्चिम मानसून की अवधि जून से सितंबर तक होती है और सितंबर के मध्य से इसकी वापसी शुरू हो जाती है। लेकिन इस साल मानसून के लंबे खिंचने से सितंबर में खूब बारिश हो रही है। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने इस साल अक्टूबर तक बारिश की संभावना जताई है। 

देश भर में सामान्य से अधिक बारिश      

आईएमडी के अनुसार, देश में अब तक मानसून की बारिश सामान्य से 8 फीसदी अधिक हुई है। देश के 41 फीसदी क्षेत्र में मानसून की बारिश सामान्य रही है जबकि 35 फीसदी क्षेत्र में सामान्य से अधिक और 9 फीसदी क्षेत्र में अत्यधिक बारिश दर्ज की गई है। देश का 15 फीसदी क्षेत्र अब भी बारिश की कमी से जूझ रहा है।  

इस साल सबसे ज्यादा बारिश पश्चिमी क्षेत्र में हुई, जो सामान्य से 23 फीसदी अधिक है। मध्य भारत में सामान्य से 19 फीसदी अधिक और उत्तर पश्चिम भारत में सामान्य से 7 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है। हालांकि, पूर्व और उत्तर पूर्व में बारिश अभी भी सामान्य से 17 फीसदी कम है।

राजस्थान में मक्का, सोयाबीन और बाजरा को नुकसान

राजस्थान में ज्यादा बारिश से मक्का, सोयाबीन और बाजरा की फसल प्रभावित हुई हैं। बारां जिले के किसान धर्मा धाकड़ ने रूरल वॉयस को बताया कि सितंबर में हुई भारी बारिश से राज्य के कई इलाकों में फसलों को नुकसान हुआ है। बारां, कोटा, बूंदी और झालावाड़ जिलों में मक्का और सोयाबीन की 25-30 फीसदी फसल खराब हो गई है, जबकि डीडवाना, कुचामन, अलवर जैसे जिलों में बाजरा की फसल पर बुरा असर पड़ा है। कुछ क्षेत्रों में तो बाजरा की पूरी फसल बर्बाद हो गई है, जिससे किसान काफी परेशान हैं। अधिक बारिश से नदी-नहरों का जलस्तर बढ़ गया है, जिससे निचले इलाकों में खेतों में पानी भर गया और फसलें खराब हो गईं।

गिरदावरी रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश 

फसलों के नुकसान का आकलन करने के लिए सरकार ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने अधिकारियों को अतिवृष्टि से हुए फसलों के नुकसान की गिरदावरी का कार्य जल्द पूरा करने को कहा है। उन्होंने कहा कि जल्द फसलों को आकलन करके किसानों को उचित मुआवजा दिया जाएगा। 

यूपी में धान को नुकसान, गन्ने में लगा रोग 

उत्तर प्रदेश में भी अधिक बारिश से धान और गन्ने की फसलें प्रभावित हुई हैं। तराई किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष तजिंदर सिंह विर्क ने रूरल वॉयस को बताया कि तराई क्षेत्रों में अधिक बारिश से धान की 15 से 25 फीसदी फसल को नुकसान हुआ है। एक महीने पहले भी भारी बारिश से फसलों को नुकसान हुआ था। अब फिर से फसलों को नुकसान हुआ है। अधिक बारिश और उत्तराखंड के बांधों से छोड़े गए पानी के चलते तराई में नदियों का जलस्तर बढ़ गया है, जिससे कई क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति बन गई है। 

भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के प्रदेश उपाध्यक्ष कपिल खाटियान ने रूरल वॉयस बताया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बारिश की वजह से गन्ने की फसल को काफी नुकसान हो रहा है। ज्यादा बारिश और उमस के कारण गन्ने में रोग लग गया है, जिससे पत्तियां पीली और काली पड़ रही हैं। कहीं गन्ने में फनका रोग है, तो कहीं उकठा रोग, जिससे किसान बहुत परेशान हैं। कीटनाशक इस्तेमाल करने के बाद भी फसल पर कोई असर नहीं हो रहा। उन्होंने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में करीब 20-25 फीसदी गन्ने की फसल रोग से प्रभावित हुई है।

मध्य प्रदेश में सोयाबीन और मक्के को नुकसान 

मध्य प्रदेश में अगले हफ्ते से सोयाबीन की कटाई शुरू होनी है, लेकिन लगातार हो रही बारिश के कारण इसमें देरी हो सकती है। वहीं अधिक बारिश के चलते कई इलाकों में सोयाबीन की फसल को 15 से 20 फीसदी तक नुकसान हुआ है। संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य राम इनानिया ने रूरल वॉयस को बताया कि नीमच, मंसौर, हरदा, धार, खरगौन समेत प्रदेश के कई जिलों में बारिश से खेतों में पानी भर गया है, जिससे फसलें खराब हो रही हैं। ऐसे हालात में समय पर कटाई की उम्मीद नहीं है, क्योंकि गीले खेतों में मशीनों का काम करना मुश्किल है। अगर बारिश जारी रही और फसल ज्यादा समय तक खड़ी रही, तो सोयाबीन की गुणवत्ता भी खराब हो सकती है। पहले ही कीमतों में गिरावट झेल रहे किसानों के लिए यह नई मुसीबत है। कई क्षेत्रों में मक्के की फसल को भी नुकसान पहुंचा है। 

इस बीच, प्रदेश सरकार ने बारिश से हुए नुकसान का आकलन करने के लिए कृषि और राजस्व विभाग को निर्देश दिए हैं, और जिलाधिकारियों से जल्द सर्वे रिपोर्ट मांगी है।

आगे कैसा रहेगा मौसम 

आईएमडी के अनुसार, 14 से 17 सितंबर के बीच उत्तराखंड, पश्चिम उत्तर प्रदेश, हरियाणा-चंडीगढ़-दिल्ली, पूर्वी उत्तर प्रदेश, पूर्वी राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, कोंकण और गोवा में मध्यम से भारी बारिश हो सकती है। इसी तरह, विदर्भ, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, मराठवाड़ा, गुजरात और मध्य प्रदेश में 15 से 18 सितंबर के बीच बारिश का अलर्ट जारी किया गया है। इसके अलावा, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, पुडुचेरी और तेलंगाना में 15 से 17 सितंबर के बीच बारिश होने की संभावना है।

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