ए2 के नाम पर दूध की गुणवत्ता का दावा भ्रामक और नियम विरूद्ध: एफएसएसएआई

एफएसएसएआई ने ए1 या ए2 के आधार पर दुध उत्पादों की मार्केटिंग में गुणवत्ता का दावा करने को भ्रामक और खाद्य सुरक्षा से जुड़े नियमों का उल्लंघन बताया है। इस संबंध में आदेश जारी करते हुए एफएसएसएआई ने ई-कॉमर्स व्यवसायों को ऐसे दावे हटाने के निर्देश दिए हैं

ए2 के नाम पर दूध की गुणवत्ता का दावा भ्रामक और नियम विरूद्ध: एफएसएसएआई
प्रतिकात्मक फोटो

दूध और दूध उत्पादों में ए1 या ए2 के नाम पर गुणवत्ता का दावा दिग्भ्रमित करने वाला और खाद्य संरक्षा मानक कानून का उल्लंघन है। जो कंपनियां इस तरह का दावा कर दूध और दूध के उत्पाद बेच रही हैं उन्हें इसे तुरंत हटाने का निर्देश दिया गया है। भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने 21 अगस्त को जारी एक निर्देश में यह बात कही है।  एफएसएसएआई के निर्देश के मुताबिक, ए1 या ए2 के आधार पर दूध उत्पादों की मार्केटिंग में गुणवत्ता का दावा करना भ्रामक और खाद्य सुरक्षा से जुड़े नियमों का उल्लंघन है। 

आदेश में कहा गया है कि एफएसएसएआई के संज्ञान में आया है कि कई फूड बिजनेस आपरेटर (एफबीओ) एफएसएसएआई लाइसेंस संख्या और पंजीकरण प्रमाणपत्र संख्या के तहत ए1 और ए2 के नाम पर दूध और दूध से बने उत्पाद जैसे घी, मक्खन, दही आदि की बिक्री कर रहे हैं। दूध में ए1 और ए2 का अंतर केवल प्रोटीन (बीटा कैसीन) की संरचना से संबंधित है, जो उपभोक्ताओं के लिए भ्रम पैदा कर सकता है। इसके अलावा, खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य उत्पाद मानक और खाद्य योजक) विनियम, 2011 में दूध के मानक के तौर पर ए1 या ए2 प्रकार का कोई उल्लेख नहीं है। इस आधार पर दूध और दूध उत्पादों पर ए2 का दावा करना नियमों के विपरीत है।

एफएसएसएआई ने ई-कॉमर्स फूड बिजनेस आपरेटर्स को भी निर्देश दिया है कि वे अपनी वेबसाइटों से ए1 और ए2 प्रोटीन से संबंधित सभी दावों को तुरंत हटा दें। प्राधिकरण ने स्पष्ट किया कि ऐसे सभी दावे एफएसएस अधिनियम, 2006 और उसके तहत बनाए गए विनियमों के अनुरूप नहीं हैं।

हालांकि, एफएसएसएआई ने एफबीओ को अपने मौजूदा प्री-प्रिंटेड लेबल्स का उपयोग करने के लिए छह महीने की समयसीमा दी है। इसके बाद कोई अतिरिक्त समय या विस्तार नहीं दिया जाएगा  और इसका सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित करना अनिवार्य होगा।

इंडियन डेयरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डॉ. आर एस सोढ़ी ने एफएसएसएआई के निर्देश को ट्वीट करते हुए कहा है कि  कंपनियों को दूध या उत्पादों पर A1 या A2 का दावा करने की अनुमति नहीं है। यह उपभोक्ताओं को A1 दूध उत्पादों की तुलना में A2 उत्पादों की श्रेष्ठता के संबंध में खाद्य और डेयरी कंपनियों के अवैज्ञानिक दावों से बचाने के लिए एफएसएसएआई के इस कदम को ऐतिहासिक बताया है। 

यह कदम उपभोक्ताओं को सही और प्रमाणित जानकारी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से उठाया गया है, जिससे दूध उत्पादों की गुणवत्ता को लेकर किसी भी प्रकार का भ्रम न हो। असल में कई कंपनियां ए2 के नाम पर दूध और दूध उत्पादों की बेहतर गुणवत्ता का दावा कर ऊंची कीमतों पर अपने उत्पाद बेच रही हैं। 

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