गेहूं की बढ़ती कीमतों के बीच सरकार ने कहा आयात शुल्क में बदलाव का प्रस्ताव नहीं, कीमतों पर है नजर

गेहूं की बढ़ती कीमतों और उद्योग द्वारा की जा रही आयात शुल्क घटाने की मांग के बीच सरकार ने कहा है कि गेहूं पर आयात शुल्क में बदलाव का अभी कोई विचार नहीं है। केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि विभाग कीमतों पर नजर बनाए हुए है। गेहूं की जमाखोरी और बढ़ती कीमतों को कंट्रोल करने के लिए उचित कदम उठाए जा रहे हैं

गेहूं  की बढ़ती कीमतों के बीच सरकार ने कहा आयात शुल्क में बदलाव का प्रस्ताव नहीं, कीमतों पर है नजर

गेहूं की बढ़ती कीमतों और उद्योग द्वारा की जा रही आयात शुल्क घटाने की मांग के बीच सरकार ने कहा है कि गेहूं पर आयात शुल्क में बदलाव का अभी कोई विचार नहीं है। केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि विभाग कीमतों पर नजर बनाए हुए है। गेहूं की जमाखोरी और बढ़ती कीमतों को कंट्रोल करने के लिए उचित कदम उठाए जा रहे हैं।

असल में गेहूं की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है। पिछले एक महीने में गेहूं 8 फीसदी तक मंहगा हुआ है। गेहूं की कीमतें 2700 रुपये प्रति क्विंटल तक तक पहुंच गई हैं। वहीं, देशभर की थोक मंडियों में गेहूं के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। इसी बीच उद्योग की ओर से गेहूं आयात और उस पर लगने वाली ड्यूटी को घटाने की मांग उठी है। वहीं, इस पर बयान जारी कर सरकार ने साफ किया है की ड्यूटी घटाने पर सरकार कोई विचार नहीं कर रही है।

गेहूं की कीमतें ऐसी स्थिति में बढ़ रही हैं जब देश में गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है। केंद्र सरकार के रबी सीजन (2023-24) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक देश में 11.2 करोड़ टन गेहूं उत्पादन हुआ है। इसके बावजूद चालू रबी मार्केटिंग सीजन (2024-25) में गेहूं की सरकारी खरीद 266 लाख टन तक ही पहुच सकी है जो 2023-24 के मुकाबले केवल तीन लाख टन ही अधिक है। चालू सीजन के लिए सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2275 रुपये प्रति क्विटंल रखा है। हालांकि मध्य प्रदेश और राजस्थान में राज्य सरकार द्वारा 125 रुपये प्रति क्विटंल का बोनस देने से गेहूं का खरीद मूल्य 2400 रुपये प्रति क्विटंल रहा। केंद्रीय पूल में 1 जून, 2024 को गेहूं का स्टॉक 299.05 लाख टन था जो पिछले साल इसी तिथि को 313,8 लाख टन था।

रूरल वॉयस से बात करते हुए रोलर फ्लोर मिल्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष प्रमोद कुमार जैन ने बताया कि बाजार में गेहूं की काफी शॉर्टेज है। जिस वजह से गेहूं के दाम बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार भी इस बार गेहूं खरीद का टारगेट पूरा नहीं कर पाई है। कई ट्रेडर्स और किसान अच्छे दाम की उम्मीद में गेहूं को स्टॉक कर रहे हैं। जिस वजह से बाजार में गेहूं का दाम बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि अगर स्थिति ऐसी ही रही तो सरकार को गेहूं का आयात करना पड़ेगा, ताकि उद्योग की मांग को पूरा किया जा सके। इसके साथ ही उन्होंने सरकार से ओपन मार्केट सेल और गेहूं का आयात शुल्क घटाने की मांग भी उठाई।  

योजनाओं के लिए नहीं होगी गेहूं की कमी

सरकार ने अपने बयान में यह भी कहा है कि किसी भी सरकारी स्कीम के लिए गेहूं की कमी नहीं होने दी जाएगी। सरकार का कहना है कि फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआई) ने अब तक 266 लाख टन गेहूं की खरीदी की है, जो तय टारगेट 320 लाख टन से काफी कम है। वहीं, गेहूं का सीजन अब लगभग खत्म होने की कगार पर है। देश के ज्यादतर राज्यों में गेहूं की खरीद पूरी हो चुकी है। जबकि, बचे हुए राज्यों में इस महीने के अंत तक गेहूं की खरीद पूरी होने की उम्मीद है। मंडियों में आवक को देखते हुए जून महीने में गेहूं खरीद में कोई उल्लेखनीय बढ़ोतरी की उम्मीद नहीं है। 

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