केंद्रीय कैबिनेट ने एफसीआई में 10,700 करोड़ रुपये की इक्विटी डालने को मंजूरी दी
केंद्रीय कैबिनेट ने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) में वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 10,700 करोड़ रुपये की इक्विटी डालने को मंजूरी दी है। यह कदम कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने, किसानों का कल्याण सुनिश्चित करने और एफसीआई की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने के लिए उठाया गया है, जिससे खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होगी
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) में वित्तीय वर्ष 2024-25 में कार्यशील पूंजी के लिए 10,700 करोड़ रुपये की इक्विटी डालने को मंजूरी दे दी है। इस निर्णय का उद्देश्य कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देना और देश भर के किसानों का कल्याण सुनिश्चित करना है। यह रणनीतिक कदम किसानों को समर्थन देने और भारत की कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया।
उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, यह राशि एफसीआई के मौजूदा वेस एंड मीन्स एडवांस को इक्विटी में बदलकर दी जाएगी। इस कदम से एफसीआई अपनी वित्तीय जरूरतों को बेहतर तरीके से पूरा कर सकेगा, जिससे अल्पकालिक उधारी की निर्भरता कम होगी और ब्याज की लागत घटेगी, जिससे सरकार की सब्सिडी पर दबाव कम होगा।
एफसीआई की शुरुआत 1964 में 100 करोड़ रुपये की अधिकृत पूंजी और 4 करोड़ रुपये की इक्विटी से हुई थी। अब इसकी अधिकृत पूंजी फरवरी 2024 में 21,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। वित्त वर्ष 2019-20 में एफसीआई की इक्विटी 4,496 करोड़ रुपये थी, जो वित्त वर्ष 2023-24 में बढ़कर 10,157 करोड़ रुपये हो गई। अब, भारत सरकार ने एफसीआई के लिए 10,700 करोड़ रुपये की महत्वपूर्ण इक्विटी को मंजूरी दी है, जो इसे वित्तीय रूप से मजबूत करेगी और इसके परिवर्तन के लिए की गई पहलों को एक बड़ा बढ़ावा देगी।
एफसीआई न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खाद्यान्नों की खरीद, रणनीतिक खाद्यान्न भंडार के रखरखाव, कल्याणकारी उपायों के लिए खाद्यान्नों के वितरण और बाजार में खाद्यान्नों की कीमतों के स्थिरीकरण के माध्यम से खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।