युवाओं में आवश्यक जलवायु कौशल विकसित करेगा ब्रिटिश काउंसिल का ‘क्लाइमेट स्किल’ प्रोग्राम
भारत में युवाओं को जलवायु परिवर्तन के आसन्न प्रभाव के प्रति रेसिलिएंट बनाने के लिए ब्रिटिश काउंसिल ने "क्लाइमेट स्किल" प्रोग्राम लॉन्य किया है। यह प्रोग्राम भारत, ब्राजील, इंडोनेशिया, मैक्सिको और वियतनाम सहित पांच देशों में 18-30 वर्ष की आयु के युवाओं के लिए शुरू किया गया है।
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शैक्षिक अवसरों और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए यूके के अंतरराष्ट्रीय संगठन ब्रिटिश काउंसिल ने शनिवार को एचएसबीसी इंडिया के साथ साझेदारी में "क्लाइमेट स्किल - सीड्स फॉर ट्रांजिशन इंडिया" प्रोग्राम लांच किया। इस पहल का उद्देश्य भारत में युवाओं और समुदायों को जलवायु परिवर्तन के आसन्न प्रभाव के प्रति रेसिलिएंट बनाना है। साथ ही युवाओं को नेट जीरो उत्सर्जन के लक्ष्य की ओर बढ़ने के अवसरों में योगदान करने के लिए आवश्यक कौशल से लैस करना है।
यह प्रोग्राम विश्व स्तर पर जलवायु कौशल का दृष्टिकोण स्थापित करने के लिए ब्रिटिश काउंसिल के लंबे समय से चल रहे अंतर्राष्ट्रीय प्रयास का हिस्सा है, जो युवाओं को सशक्त बनाता है। यह निर्णयकर्ताओं को वैकल्पिक जलवायु शिक्षा की रणनीतियों के बारे में बताता है और जमीनी स्तर पर राष्ट्रीय और वैश्विक जलवायु चुनौतियों का समाधान करता है।
यह केवल चर्चा मात्र से आगे बढ़कर सरकारों, समुदायों और संस्थानों के साथ साझेदारी करने का प्रयास करता है, ताकि भविष्य की पीढ़ी के लिए ठोस समाधान तैयार किए जा सकें। साथ ही जीवन के सभी पहलुओं पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को बेहतर ढंग से समझा जा सके और उन्हें जलवायु परिवर्तन के मद्देनजर आवश्यक कौशल से लैस किया जा सके। यह प्रोग्राम भारत, ब्राजील, इंडोनेशिया, मैक्सिको और वियतनाम सहित पांच देशों में 18-30 वर्ष की आयु के युवाओं के लिए शुरू किया गया है।
ब्रिटिश काउंसिल के चीफ एक्जीक्यूटिव स्कॉट मैकडोनाल्ड ने कहा, "ब्रिटिश काउंसिल में हम युवाओं को जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए आवश्यक कौशल और ज्ञान से सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। "क्लाइमेट स्किल - सीड्स फॉर ट्रांजिशन इंडिया" प्रोग्राम एचएसबीसी के साथ साझेदारी सस्टेनेबल भविष्य के हमारे साझा दृष्टिकोण को दर्शाती है। आवश्यक जलवायु रेसिलिएंस स्किल कौशल से लैस हो कर युवा हरित अर्थव्यवस्थाओं में परिवर्तन का नेतृत्व कर सकते हैं और अपने समुदायों में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। ये कौशल हमारे ग्रह और उसके प्राकृतिक संसाधनों के जीवन के अनुमानों पर विचार करते समय तेजी से महत्वपूर्ण होते जा रहे हैं।"
ब्रिटिश काउंसिल से साझेदारी पर, एचएसबीसी इंडिया के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर हितेंद्र दवे ने कहा, " यह सहयोग और ऐसे कार्यक्रमों के सह-निर्माण का हमारा लंबा इतिहास रहा है, जो एक बड़े सामाजिक उद्देश्य को प्राप्त करने में मदद करते हैं। जलवायु कौशल कार्यक्रम पर हमारी साझेदारी युवाओं और शिक्षा पर केंद्रित होगी, जो युवा पीढ़ी को जलवायु परिवर्तन को समझने और उसके अनुकूल होने के लिए तैयार करने में हमारी संयुक्त प्रतिबद्धता को दर्शाती है। साथ मिलकर, हमारा लक्ष्य भारत में हाशिए पर पड़े युवा समुदायों के बीच जलवायु साक्षरता और रोजगार क्षमता में सुधार करना है।"
जुलाई 2024 से फरवरी 2026 तक चलने वाले इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य सरकारी संस्थानों, नीति निर्माताओं, उच्च शिक्षण संस्थानों और युवाओं सहित प्रमुख हितधारकों के बीच जागरूकता बढ़ाना, भागीदारी और जुड़ाव को प्रोत्साहित करना है। इसका उद्देश्य 2 हजार युवाओं को सीधे जोड़ना और 300 मास्टर प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित करना है। यह पहल जलवायु के प्रति कार्रवाई में ब्रिटिश काउंसिल के नेतृत्व और इसकी आगामी वैश्विक जलवायु परिवर्तन रणनीति पर प्रकाश डालती है। इस प्रोग्राम का एक अनूठा पहलू यह है कि इसका ध्यान युवाओं के नेतृत्व वाली सामाजिक कार्रवाई को जलवायु शिक्षा के साथ एकीकृत करके शहरी और ग्रामीण दोनों युवाओं को सशक्त बनाने पर है। कार्यक्रम की अंतर्राष्ट्रीय कनेक्टिविटी का उद्देश्य स्थानीय स्तर पर नेतृत्व वाले हस्तक्षेप प्रदान करना और उन्हें पांच देशों में वैश्विक नेटवर्क से जोड़ना है।