जलवायु परिवर्तन की स्थिति में वैज्ञानिकों को रोडमैप बनाकर आगे बढ़ना होगाः नरेंद्र सिंह तोमर
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की स्थापना को 93 साल हो गए हैं। वर्ष 1929 में स्थापना से लेकर आज तक इसके द्वारा लगभग 5,800 बीज-किस्में जारी की गई हैं, वहीं इनमें से लगभग दो हजार किस्में तो वर्ष 2014 से अभी तक 8 वर्षों में ही रिलीज की गई है। यह बहुत ही महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इनमें बागवानी, जलवायु अनुकूल व फोर्टिफाइड किस्मों की बीज-किस्में भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि आज जलवायु परिवर्तन की स्थिति आ रही है तो वैज्ञानिकों की सबसे बड़ी चिंता का विषय यही है, इस दिशा में रोडमैप बनाकर आगे बढ़ना होगा
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की स्थापना को 93 साल हो गए हैं। वर्ष 1929 में स्थापना से लेकर आज तक इसके द्वारा लगभग 5,800 बीज-किस्में जारी की गई हैं, वहीं इनमें से लगभग दो हजार किस्में तो वर्ष 2014 से अभी तक 8 वर्षों में ही रिलीज की गई है। यह बहुत ही महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इनमें बागवानी, जलवायु अनुकूल व फोर्टिफाइड किस्मों की बीज-किस्में भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि आज जलवायु परिवर्तन की स्थिति आ रही है तो वैज्ञानिकों की सबसे बड़ी चिंता का विषय यही है, इस दिशा में रोडमैप बनाकर आगे बढ़ना होगा, देश को परिणाम देना है ताकि भारत के कृषि उत्पादों के निर्यात की भी और अच्छी स्थिति बन सकें, इसमें सभी केवीके और आईसीएआर के संस्थानों के अन्य वैज्ञानिकों की भूमिका महत्वपूर्ण है। आईसीएआर के 94वें स्थापना दिवस पर कृषि मंत्री ने यह बातें कहीं। इस मौके पर उन्होंने वैज्ञानिकों व किसानों को पुरस्कार भी वितरित किए।
नेशनल एग्रीकल्चर साइंस कॉम्पलैक्स, पूसा दिल्ली में आयोजित स्थापना दिवस समारोह में तोमर ने कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक है क्योंकि आईसीएआर ने गत वर्ष तय किया था कि आजादी के अमृत महोत्सव में ऐसे 75 हजार किसानों से चर्चा कर उनकी सफलता का दस्तावेजीकरण किया जाएगा, जिनकी आय दोगुनी या इससे ज्यादा बढ़ी है। सफल किसानों का यह संकलन देश के इतिहास में मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने आईसीएआर के अन्य प्रकाशनों का भी विमोचन किया और कहा कि आईसीएआर को स्थापना दिवस संकल्प दिवस के रूप में मनाना चाहिए। इस अवसर पर वर्षभर के संकल्प लिए जाएं और अगले स्थापना दिवस तक इन्हें पूरा करना चाहिए। आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में, आय बढ़ने वाले लाखों किसानों में से 75 हजार किसानों का संकलन कर एक ई-प्रकाशन तैयार किया गया है। साथ ही Doubling Farmers Income पर राज्यवार संक्षिप्त प्रकाशन भी तैयार किया गया है।
कृषि मंत्री ने कहा कि भारत कृषि प्रधान देश है और कृषि ऐसा क्षेत्र है, जिसमें निरंतर काम करने की जरूरत है, नित-नई चुनौतियों का समाधान करने की जरूरत है। वर्तमान में चुनौती पारंपरिक खेती को बढ़ावा देने के साथ-साथ तकनीक का इस्तेमाल करते हुए आगे बढ़ने की भी है। प्रधानमंत्री की कोशिश है कि गांव, गरीब-किसानों के जीवन में बदलाव आएं, इसलिए ग्रामीण क्षेत्र में अधोसंरचनाएं विकसित हो, जीवन सुगम हो व कृषि मुनाफे में परिवर्तित हो, इसके लिए बहुआयामी प्रयत्न किए हैं। नए रोजगार सृजित करने के लिए योजनाएं लागू कर फंडिंग की जा रही है। लोगों को रोजगार से जोड़ा जा रहा है, कृषि क्षेत्र में रोजगार के अवसर पैदा किए जा रहे हैं। पढ़ा-लिखा व्यक्ति जब खेती में आता है तो योग्यता व अनुभव के साथ तकनीक को जोड़ने से रोजगार के इतने अवसर पैदा किए जा सकते हैं, जिससे कि रोजगार की समस्या का समधान हो सकता है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के विजन पर नई शिक्षा नीति का उदय हुआ, अब स्कूली शिक्षा में कृषि पाठ्यक्रम का समावेश किया जा रहा है। कृषि शिक्षा संस्थान, नई शिक्षा नीति को कैसे अंगीकार करें, यह काम आगे बढ़कर आईसीएआर ने किया है, इसका सद्परिणााम आगे देखने को मिलेगा। उन्होंने कृषि उत्पादकता के क्षेत्र में काम करने सहित दलहन, तिलहन, कपास उत्पादन को बढ़ाने के लिए भी आईसीएआर व केवीके को संकल्पबद्ध होकर प्रयास करने को कहा। इससे पहले देश के विभिन्न हिस्सों के कुछ किसानों से कृषि मंत्री ने आनलाइन संवाद किया। हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात आदि के किसानों से कृषि मंत्री की चर्चा में यह बात उभरी कि सरकारी योजनाओं, संस्थागत सहयोग से इनकी आय बढ़ रही हैं, जीवन स्तर सुधर रहा है।
कार्यक्रम को केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी, नीति आयोग के सदस्य डॉ. रमेश चंद और आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्र ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर आईसीएआर के अधिकारी, कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति, वैज्ञानिक व प्रगतिशील किसान भी मौजूद थे। देश के 731 केवीके और आईसीएआर के संस्थानों में भी स्थापना दिवस पर कार्यक्रम हुए, जिनमें हजारों किसानों के साथ स्थानीय सांसद-विधायकों व अन्य जनप्रतिनिधियों ने शिरकत की।