बारिश न होने से सेब की फसल पर संकट, भीषण गर्मी से ऐसे करें बचाव

हिमाचल प्रदेश में बारिश न होने से इस बार सेब की फसल खतरे में दिखाई दे रही है। कम बारिश होने से सेब की ड्रॉपिंग बढ़ गई है। जिसका असर सेब उत्पादन पर देखने को मिलेगा।

बारिश न होने से सेब की फसल पर संकट, भीषण गर्मी से ऐसे करें बचाव

भीषण गर्मी और बारिश न होने से सेब की उपज पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। मई और जून में सामान्य से कम बारिश होने के चलते जहां सेब की फसल को नुकसान पहुंच रहा है वहीं, फसल में अब ड्रॉपिंग भी होने लगी है। जिसका सीधा असर सेब उत्पादन पर पड़ रहा है। कम बारिश होने के चलते सेब उत्पादन में भी कमी आई है। पिछले साल कम कीमत मिलने से नुकसान झेल रहे बागवान इस साल अच्छे सीजन की उम्मीद कर रहे हैं। 2023 के सेब सीजन की शुरुआत में भले ही बागवनों को दाम अच्छा मिला था। लेकिन, बाद में कीमतों में आई गिरावट से बागवानों को नुकसान हुआ था। 

बागवानों को पेश आ रही इन समस्याओं पर रूरल वॉयस से बात करते हुए बागवानी विशेषज्ञ और नौणी विश्वविद्यालय (डॉ वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय) के रिटायर्ड प्रोफेसर एसपी भारद्वाज ने कहा कि पहाड़ों में इस बार गर्मी पिछले सालों के मुकाबले ज्यादा पड़ रही है। जबकि, बारिश भी काफी कम हुई है। इसका सीधा असर सेब उत्पादन पर पड़ रहा है। बारिश न होने के चलते पानी के प्राकृतिक स्रोत सूख गए हैं और सेब बागवानों को सिंचाई करने से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इतना ही नहीं अत्यधिक गर्मी पड़ने से कई क्षेत्रों में सेब के पेड़ सूखने की कगार पर पहुंच गए हैं। पर्याप्त पानी न मिलने से जहां पेड़ों में कीट और कई रोग देखने को मिल रहे हैं। वहीं, सेब के फल भी झड़ने लगे हैं। 

पेड़ के तलों को ढककर रखें बागवान 

बागवानी विशेषज्ञ एसपी भारद्वाज ने बताया कि जिन क्षेत्रों में पानी की कमी है, वहां बागवान पेड़ के तलों को ढककर रखें। ऐसा करने से पेड़ ज्यादा पानी नहीं सोखेंगे और उनमें नमी की कमी नहीं होगी। उन्होंने बताया कि अत्यधिक गर्मी पड़ने पर ऐसा करना सबसे ऊचित रहता है। इसके लिए बागवान घास, पॉलिथीन, पत्थरों या लकड़ी की बाड़ का इस्तेमाल कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि पेड़ के तलों को ढककर रखने से वहां ज्यादा हीट नहीं बनती और नमी बनी रहती है। इसके अलावा पड़े के तलों और आसपास खरपतवार भी नहीं उगती, जो पानी सोखते हैं। 

उन्होंने कहा कि अगर क्षेत्र में पानी की कमी है तो बागवान तीन दिन बाद पेड़ में पानी डाल सकते हैं। हालांकि, बागवानों को इस बात का भी ध्यान रखना है कि पेड़ों में ज्यादा पानी न डाला जाए। उन्होंने बताया की गर्मी भले ही ज्यादा पड़ रही हो, लेकिन इसका एक फायदा यह है की सेब की फसल पर ज्यादा बीमारियां देखने को नहीं मिलेगी। 

स्प्रे करने से बचें किसान

एसपी भारद्वाज ने बागवानों को गर्मियों के दौरान पेड़ों पर स्प्रे न करने की भी हिदायत दी। कई बार स्प्रे करने से पेड़ पर इसका विपरीत प्रभाव देखने को मिलता है। उन्होंने कहा कि स्प्रे करने से पेड़ का रक्षा तंत्र कमजोर पड़ जाता है। जिससे उत्पादन में कमी आती है। ऐसे में बागवान गर्मियों के दौरान पेड़ों पर स्प्रे करने से बचें। उन्होंने कहा कि अगर स्थिति ऐसी ही रही और मानसून की बारिश में और देरी हुई तो इससे उत्पादन पर असर पड़ेगा। बारिश न होने से सेब की ग्रोथ नहीं होगी और इसका रंग भी फीका पड़ जाएगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द पहाड़ों में मानसून की दस्तक होगी और बागवानों को राहत मिलेगी।

बागवान पहले ही झेल रहे नुकसान 

रूरल वॉयस से बात करते हुए हिमाचल प्रदेश सब्जी और फल उत्पादक संघ के अध्यक्ष हरीश चौहान ने बताया कि इस साल ज्यादा गर्मी पड़ने से सेब की फसल पर असर पड़ा है। सेब की ड्रॉपिंग काफी बढ़ गई है। अगर समय पर बारिश नहीं हुई तो सेब उत्पादन में कमी आ सकती है। उन्होंने कहा कि सेब बागवान पहले ही नुकसान झेल रहे हैं। पिछले सीजन से बागवानों को फसल का उचित दाम नहीं मिल पाया था। प्रदेश में जहां औसतन 1400 से 1500 रुपये (प्रति बॉक्स) के बीच किसानों का सेब बिका था। वहीं, ईरान-तुर्की समेत बाहरी देशों से इंपोर्ट होने वाले सेब ने भी प्रदेश की बागवानी पर असर डाला है। बाहर से इंपोर्ट होने वाले सेब के चलते बागवानों की उचित दाम नहीं मिलता और उन्हें घाटे में अपनी फसल बेचने को मजबूर होना पड़ता है। 

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