मध्य प्रदेश के मूंग किसानों का बढ़ा संकट, स्लॉट बुक न होने से एमएसपी पर उपज बेचना मुश्किल
मध्य प्रदेश में मूंग खरीद का मुद्दा लगातार गरमाया हुआ है। प्रदेश में खरीद की तारीख भले ही बढ़ा दी गई है, लेकिन सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी के कारण जो किसान स्लॉट बुक नहीं करवा सके उनके लिए एमएसपी पर मूंग बेचना मुश्किल।
मध्य प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर मूंग खरीद एक बार फिर विवादों में है। सड़क से लेकर संसद तक इस मुद्दे पर घमासान मचा हुआ है। मूंग खरीद को लेकर राज्य के किसान सड़कों पर हैं। वहीं, संसद में भी यह मुद्दा उठाया जा चुका है। वजह है किसानों से मूंग की पूरी खरीद नहीं होना, जबकि प्रदेश में इस साल मूंग की अच्छी पैदावार हुई है। प्रदेश में मूंग खरीद की प्रक्रिया शुरुआत से ही सवालों के घेरे में है।
बीते दिनों प्रदेश सरकार ने किसानों के विरोध के बाद ग्रीष्मकालीन मूंग की खरीद की तारीख बढ़ाने का ऐलान किया था। किसानों को स्लॉट बुकिंग के लिए एक दिन का समय भी दिया गया था। 1 अगस्त को स्लॉट बुकिंग होनी थी। लेकिन, सॉफ्टवेयर में आई गड़बड़ी के कारण एक बार फिर किसानों को स्लॉट बुकिंग में मुश्किलें आईं। ऐसे में जो किसान अपना स्लॉट बुक नहीं करवा पाए, अब उन्हें मजबूरी में एमएसपी से कम भाव पर मूंग बेचनी पड़ेगी। फिलहाल बाजार में मूंग का भाव 6500 से 8000 रुपये प्रति क्विंटल के बीच है, जबकि एमएसपी 8558 रुपये प्रति क्विंटल है। इस तरह किसानों को सीधा डेढ़ से दो हजार रुपये प्रति क्विंटल का नुकसान होगा।
स्लॉट बुक नहीं करवा पाए हजारों किसान
मध्य प्रदेश कांग्रेस के किसान प्रकोष्ठ के अध्यक्ष केदार शंकर सिरोही ने रूरल वॉयस को बताया कि प्रदेश सरकार ने मूंग खरीद की प्रक्रिया को बढ़ाते हुए किसानों को स्लॉट बुकिंग के लिए 1 अगस्त का समय दिया था। लेकिन 1 अगस्त को स्लॉट बुकिंग का पोर्टल सिर्फ 2 से 3 घंटे चल पाया। जिस कारण हजारों किसान अपना स्लॉट बुक नहीं करवा पाए। उन्होंने कहा कि इससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ेगा, क्योंकि बाजार में मूंग का भाव एमएसपी से कम है।
खरीद प्रक्रिया में गड़बड़ी के आरोप
केदार सिरोही ने मूंग खरीद में गड़बड़ी का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में मूंग किसानों से दो तरीके से लूट की जा रही है। कई खरीद केंद्रों पर किसानों से मूंग खरीदने के एवज में प्रति ट्रॉली 5 से 10 हजार रुपये लिए जा रहे हैं। ऐसे कई मामले पूरी खरीद प्रक्रिया के दौरान सामने आए हैं। इतना ही नहीं, अच्छी क्वालिटी न होने का हवाला देकर भी किसानों से अतिरिक्त मूंग तुलवाकर लूट की जा रही है।
क्यों परेशान हैं मूंग किसान
मूंग खरीद शुरू होने के बाद से ही किसान विभिन्न समस्याओं का सामना कर रहे हैं। शुरुआत में प्रति हेक्टेयर और प्रति दिन मूंग बेचने की सीमा को लेकर किसानों में नाराजगी थी, जिसे बाद में बढ़ाया गया। सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी और समय से पहले खरीद बंद होने के कारण नाराज किसान सड़कों पर उतर आए थे। किसानों के विरोध के बाद सरकार ने 5 अगस्त तक खरीद जारी रखने का ऐलान तो किया, लेकिन सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी के कारण फिर स्लॉट बुकिंग में दिक्कतें आई। वहीं, कांग्रेस का दावा है कि अब भी हजारों किसान मूंग बेचने से वंचित रह गए हैं।
दालों की शत-प्रतिशत खरीद का दावा
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार यह दावा कर रहे हैं कि सरकार किसानों से अरहर, उड़द और मसूर की शत-प्रतिशत खरीद करेगी। किसान ये दालें जितनी भी पैदा करेंगे, सरकार पूरा खरीदेगी। लेकिन, कृषि मंत्री के गृह राज्य मध्य प्रदेश में ही किसान मूंग की उपज बेचने के लिए परेशान हैं। यहां सवाल यह भी है कि जब प्रदेश में किसानों को दाल उत्पादन के लिए प्रेरित किया जा रहा है, तो सरकार को खरीद भी उसी स्तर पर करनी चाहिए थी।
हाल ही केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री राम नाथ ठाकुर ने संसद में दालों के आयात का आंकड़ा पेश किया था। जिसके अनुसार देश में वित्त वर्ष 2023-24 में दालों का आयात 90 फीसदी तक बढ़ा है। एक ओर तो सरकार दालों के मामले में आत्मनिर्भर होने की बात कहती है, वहीं अगर किसानों से खरीद ही नहीं होगी तो सरकार की यह योजना कैसे सिर चढ़ेगी।