ग्लासगो का असर वाराणसी पर, गंगा में होगा सीएनजी नावों का संचालन
ग्लासगो शिखर सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व कर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 2070 तक जीरो उत्सर्जन का वादा किया है। इसका असर उनके संसदीय क्षेत्र वाराणसी में देखने को मिलेगा। जहां गंगा नदी में चलने वाली 500 नौकाओं को डीजल और पेट्रोल की जगह सीएनजी से चलाया जाएगा
ग्लासगो शिखर सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व कर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 2070 तक जीरो उत्सर्जन का वादा किया है। इसका असर उनके संसदीय क्षेत्र वाराणसी में देखने को मिलेगा जहां गंगा नदी में चलने वाली 500 नौकाओं को डीजल और पेट्रोल की जगह सीएनजी से चलाया जाएगा।
जीरो उत्सर्जन कार्बन-तटस्थ होने काम मतलब उस वातावरण से है जहां पर्यावरण में ग्रीन हाउस गैसों में वृद्धि नहीं होती है। काशी में गंगा नदी में लगभग 1,700 बड़ी और छोटी नावें पर्यटकों के लिए घाटों पर चलती हैं। सरकार ने डीजल नौकाओं द्वारा उत्सर्जन में कटौती करने के लिए इन्हें सीएनजी से चलने वाली नौकाओं के रूप में मुफ्त में बदलने का बीड़ा उठाया है।
डीजल और पेट्रोल इंजन से निकलने वाले जहरीले धुएं की तुलना में सीएनजी ग्रीनहाउस उत्सर्जन को 7-11 फीसदी तक कम करता है, जबकि सल्फर डाइऑक्साइड जैसी गैसों की कमी के कारण प्रदूषण भी कम होता है।
वाराणसी एक लोकप्रिय सांस्कृतिक और धार्मिक पर्यटन स्थल है जो बड़ी संख्या में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय टूरिस्टों को आकर्षित करता है। अब तक, 177 नावों को पहले ही सीएनजी किट के साथ लगाया जा चुका है, जबकि अधिकारियों ने दावा किया कि 19 नवंबर को 'देव दीपावली' उत्सव में कुल 500 सीएनजी नावें सीएनजी से तैयार हो जाएगी होंगी।