लीफ कलर चार्ट से धान की फसल में यूरिया की बचत और अधिक उत्पादन संभव
धान की फसल में यूरिया का प्रयोग नियंत्रित करने के उद्देश्य से फिलीपींस के मनीला में स्थित अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईआरआरआई) के कृषि वैज्ञानिकों के द्वाऱा लीफ-कलर-चार्ट का तैयार किया गया है। इस चार्ट के माध्यम से किसान धान की फसल में दी जाने वाली नाइट्रोजन की ज़रूरी मात्रा का सही अनुमान लगा कर आवश्यकता से अधिक यूरिया के इस्तेमाल से बच सकते है और अपनी धान की फसल से अच्छी उपज ले सकते हैं
किसानों द्वारा फ़सलों में उर्वरक का उपयोग फसल की बेहतर उत्पादकता के लिए किया जाता है लेकिन अक्सर किसान अधिक पैदावार के लालच में रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल जरूरत से ज्यादा मात्रा में करते हैं तो उसका दुष्प्रभाव होने से फ़सल अच्छी होने के बजाय ख़राब होने लगती है । दरअसल पौधों की न्यूट्रिएंट की अपनी मांग होती है। कब कितने उर्वरक की जरूरत पडे़गी ये बड़ा सवाल किसानों के सामने अक्सर रहता है। विशेष तौर पर धान की फ़सल में यूरिया के जरूरत से ज्यादा प्रयोग ने इस सवाल को और गंभीर बना दिया है। कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि यूरिया के अधिक प्रयोग से धान की फसल पर कीट –बीमारी का प्रकोप बढ़ जाता है और धान के उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। वहीं दूसरी तरफ किसानों की लागत बढ़ जाती है। धान की फसल में यूरिया का प्रयोग नियंत्रित करने के उद्देश्य से फिलीपींस के मनीला में स्थित अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईआरआरआई) के कृषि वैज्ञानिकों के द्वाऱा लीफ-कलर-चार्ट का तैयार किया गया है। इस चार्ट के माध्यम से किसान धान की फसल में दी जाने वाली नाइट्रोजन की ज़रूरी मात्रा का सही अनुमान लगा कर आवश्यकता से अधिक यूरिया के इस्तेमाल से बच सकते है और अपनी धान की फसल से अच्छी उपज ले सकते हैं।
पत्तियों के रंग से नाइट्रोजन की अधिकता और कमी की पहचान
दरअसल धान के बढ़ते पौधे की पत्तियों का रंग इस काम में बहुत सहायक है। इनकी हरियाली को एक संकेतक के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। धान की पत्तियों का रंग कितना गहरा या कितना हल्का है ये तय करता है कि फसल को नाइट्रोजन की उचित मात्रा ज़मीन से मिल पा रही है या नही । इस प्रश्न के लिए सबसे सस्ता और आसान हल है लीफ कलर चार्ट यानी रंग मापी पट्टी। ये एक प्लास्टिक की शीट होती है जिसमें हरे रंग के कुछ कॉलम बने होते हैं। चार्ट, गहरे हरे रंग से लेकर पीले- हरे रंग तक के 6 कॉलम में बंटा होता है। हर कॉलम की नंबरिंग होती है,और पत्तियों से मिलान के बाद तय नंबरिंग के अनुसार नाइट्रोजन का डोज बताया गया है। ऐसी चार्ट बाजारों में आसानी से उपलब्ध है जो मात्र 50-60 रुपए में किसानों को मिल जाती है। चार्ट के अनुसार फ़सल का रंग जितने गहरे हरे रंग का होगा उसमें उतनी ज्यादा नाइट्रोजन की मात्रा होगी...ज़ाहिर है तब फसल में यूरिया की ज़रूरत कम होगी और अगर पौधों मे नाइट्रोजन की मात्रा कम होगी तो धान की पत्तियो का रंग भी हल्का हरा या पीला होगा।
कैसे करें पत्तियों के रंग से लीफकलर चार्ट की मिलान?
अब सवाल यह है, कि कितने दिन की फसल के साथ मिलान करें ? कृषि वैज्ञानिक बताते हैं की 21 दिन की धान की फसल से लेकर धान में बालियां निकलने की शुरूआती अवस्था तक लीफ कलर चार्ट का इस्तेमाल करें । इसके लिए खेत के 10 प्रतिनिधि पौधों का चुनाव करें । सुबह 8-10 बजे या शाम में 2 से 4 बजे के बीच चयन किए गये इन पौधों की शीर्ष पत्तियों के रंगों का चार्ट से मिलान करें । अगर 10 पत्तियों में से 6 पत्तियों का रंग ऊपर के गहरा हरा, हरा या धानी वाले कॉलम 6,5, और 4 के रंगों के अनुसार है तो खेतों में नाइट्रोजन का प्रयोग नहीं करना होता है। अगर धान की पत्तियों का रंग लीफ कलर चार्ट में कॉलम 3 से लेकर कॉलम 1 के रंग से मिलता है तो धान की फसल में नाइट्रोजन का प्रयोग करना जरूरी है । इन कॉलमों का रंग हल्का हरा या हल्का पीला होता है । इसलिए प्रति एकड़ के हिसाब से यूरिया डालें । लीफ-कलर-चार्ट के प्रत्येक कॉलम के रंग के हिसाब से प्रति एकड़ यूरिया की मात्रा निर्धारित की गई है। हर 10 दिन के अंतराल पर यह प्रक्रिया दोहराएं और ज़रूरत के मुताबिक यूरिया डालें।
पत्तियों के मिलान के समय सावधानी
लीफ कलर चार्ट के उपयोग के समय कुछ सावधानियों को भी ध्यान में रखना जरूरी है। जैसे- फसल में लीफ कलर चार्ट से मिलान करने वाली पत्तियां पूरी तरह से रोगमुक्त होनी चाहिए। पत्ती के रंग का मिलान करते समय लीफ कलर चार्ट को शरीर की छाया में रखना चाहिए औऱ पत्ती के मध्य भाग को चार्ट के ऊपर रख कर मिलान करना चाहिए। पत्ती का चार्ट से मिलान करते समय सूर्य की रोशनी चार्ट पर नही पड़नी चाहिए । जब धान के खेत में पानी ठहराव हो यूरिया का प्रयोग न करे और धान की फूल की अवस्था के बाद यूरिया का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
लीफ कलर चार्ट के प्रयोग से लाभ
इस चार्ट के इस्तेमाल से आप धान की फसल को अनावश्यक यूरिया देने से बच जाएंगे । इससे यूरिया की बचत होगी यानी आपकी लागत कम होगी। इससे 10 से 15 किलोग्राम प्रति एकड़ नाइट्रोजन बचाया जा सकता है। आपके खेतों की उर्वरता बनी रहेगी। ज्यादा यूरिया के बोझ से फसल खराब नहीं होगी। साथ ही भूमिगत जल की गुणवत्ता भी खराब होने से बचेगी। आप इस रंगमापी पट्टी का प्रयोग कर आसानी से अपना मुनाफा बढ़ा सकते हैं।