डीएपी पर 3500 रुपये प्रति टन का स्पेशल पैकेज जारी रखने को कैबिनेट की मंजूरी
यह विशेष पैकेज डीएपी पर न्यूट्रिएंट आधारित सब्सिडी (एनबीएस) स्कीम के तहत मिलने वाली सब्सिडी के अलावा है। बुधवार का कैबिनेट का फैसला 1 जनवरी, 2025 से सरकार के अगले आदेश तक जारी रहेगा, ताकि किसानों को किफायती दाम पर डीएपी की उपलब्धता बनी रहे।
सरकार एनबीएस के तहत विनियंत्रित कॉम्प्लेक्स उर्वरकों (पीएंडके उर्वरक) के 28 ग्रेड पर तय दरों के हिसाब से सब्सिडी देती है। वैश्विक बाजार में डीएपी की उपलब्धता के संकट और दाम बढ़ने के चलते सरकार ने जुलाई 2024 में डीएपी पर खरीफ सीजन के लिए एनबीएस के अतिरिक्त एकमुश्त विशेष पैकेज देने का फैसला लिया था। उस फैसले के तहत यह इसेंटिव 1 अप्रैल, 2024 से 31 दिसंबर, 2024 की अवधि के लिए था। इस पैकेज पर 2625 करोड़ रुपये का खर्च आया था। बुधवार की कैबिनेट की बैठक में इस विशेष पैकेज को 1 जनवरी, 2025 से अगले आदेश तक के लिए बढ़ा दिया गया है। इसके साथ ही 1 अप्रैल 2024 से डीएपी के लिए स्वीकृत विशेष पैकेज की कुल राशि 6,475 करोड़ रुपये से अधिक हो जाएगी, जिससे किसानों को सस्ती कीमत पर डीएपी की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। सरकार ने कहा है कि वह किसानों को चालू रबी सीजन में डीएपी की किफायती दाम पर उपलब्धता के लिए प्रतिबद्ध है।
पिछले दिनों उर्वरक उद्योग ने कहा था कि वैश्विक बाजार में डीएपी की ऊंची कीमतों और रुपये के कमजोर होने के चलते डीएपी की आयात लागत बढ़ गई है। वहीं सरकार द्वारा दिये गये 3500 रुपये प्रति टन के विशेष पैकेज की अवधि 31 दिसंबर, 2024 को समाप्त हो रही है। ऐसे में उद्योग के पास जनवरी, 2025 से डीएपी के दाम बढ़ोतरी के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है। यह बढ़ोतरी करीब 200 रुपये प्रति बैग का अनुमान लगाया गया था। लेकिन सरकार के पैकेज को जारी रखने के फैसले के बाद डीएपी की कीमतों में बढ़ोतरी की संभावना लगभग न के बराबर रह गई है। देश में सालाना करीब 100 लाख टन डीएपी की खपत होती है। डीएपी के लिए देश करीब 90 फीसदी तक आयात पर ही निर्भर है। इसमें डीएपी और उसके कच्चे माल का आयात दोनों शामिल हैं।