ग्रामीण इलाकों में आमदनी में 4 फीसदी से अधिक वृद्धि, कृषि कर्ज भी 4.5 फीसदी बढ़ा
आर्थिक मामलों के विभाग की जनवरी की रिपोर्ट के अनुसार 2021-22 में रबी फसलों का रकबा रिकॉर्ड 701 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया। यह पिछले साल की तुलना में 1.5 फीसदी ज्यादा है। बीते 5 वर्षों के औसत से तुलना करें तो इस वर्ष रबी का रकबा 15.4 फीसदी अधिक है
दिसंबर 2021 के दौरान ग्रामीण इलाकों के पुरुषों की आमदनी एक साल पहले की तुलना में 4.1 फीसदी और महिलाओं की 4.3 फीसदी बढ़ी है। इससे पता चलता है कि बुवाई का रकबा बढ़ने से कृषि मजदूरों की मांग लगातार बनी हुई है। केंद्र सरकार के आर्थिक मामलों के विभाग की तरफ से जारी जनवरी महीने की आर्थिक रिपोर्ट में ये बातें कही गई हैं। इसमें कहा गया है कि मनरेगा से ग्रामीण इलाकों के कामगार लोगों को अतिरिक्त सुरक्षा मिली है, जैसा बीते दो वर्षों में हुआ है। इसके मुताबिक दिसंबर में कृषि क्षेत्र को कर्ज एक साल पहले की तुलना में 14.5 फीसदी और नवंबर 2021 की तुलना में 5.5 फीसदी बढ़ा है।
रिपोर्ट के अनुसार 2021-22 में रबी फसलों का रकबा रिकॉर्ड 701 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया। यह पिछले साल की तुलना में 1.5 फीसदी ज्यादा है। बीते 5 वर्षों के औसत से तुलना करें तो इस वर्ष रबी का रकबा 15.4 फीसदी अधिक है। खास बात यह है कि तिलहन की बुवाई में 32.8 फीसदी की वृद्धि हुई है। इससे खाद्य तेलों के आयात पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी। 1 फरवरी को पेश किए गए बजट में देश में तिलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए व्यापक स्कीम लाने की बात कही गई थी। गेहूं का रकबा भी औसत से 13.3 फीसदी अधिक है।
इसके मुताबिक कोविड-19 महामारी के दौरान कृषि क्षेत्र ने लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है। बुवाई का रकबा बढ़ने के साथ फसलों का विविधीकरण भी हुआ है। इससे बफर स्टॉक मजबूत होगा। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर बड़े पैमाने पर खरीद होने से किसानों को लाभ मिलेगा। इसके अलावा पीएम किसान योजना के तहत किसानों के खाते में ट्रांसफर की जाने वाली रकम का भी उन्हें लाभ मिलेगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि खाद्यान्न भंडार बफर मानकों का 4.1 गुना हो गया है। इससे एमएसपी पर फसलों की लगातार हो रही खरीद का अंदाजा मिलता है। मौजूदा खरीफ मार्केटिंग सीजन में 10 फरवरी तक 40 लाख से अधिक किसान सरकारी खरीद का फायदा उठा चुके हैं। आम बजट में गेहूं और धान की खरीद 1208 लाख रहने की उम्मीद जताई गई है। यह खरीद 163 लाख किसानों से की जाएगी जिसके बदले उन्हें 2.37 लाख करोड़ रुपए का भुगतान किया जाएगा।
एग्रीकल्चर इनपुट की बात करें तो उर्वरकों और ट्रैक्टर की बिक्री पिछले साल से कम रही है। इसके बावजूद रबी फसलों की बुवाई पर फर्क नहीं पड़ा है। यानी ट्रैक्टर की बिक्री कम होने के बावजूद किसानों के लिए उनकी संख्या पर्याप्त थी। फर्टिलाइजर उर्वरकों का स्टॉक भी पर्याप्त था।
इसमें कहा गया है कि आने वाले दिनों में प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम के जरिए मैन्युफैक्चरिंग और कंस्ट्रक्शन क्षेत्र की विकास दर तेज करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा इंफ्रास्ट्रक्चर में सरकारी खर्च की भी अहम भूमिका होगी। हालांकि निजी खपत बढ़ने पर संशय जताया गया है। विश्व अर्थव्यवस्था में सुस्ती नहीं आई तो निर्यात में वृद्धि की दर बनी रहेगी।
आईएमएफ ने जनवरी 2022 में इस वर्ष के लिए वैश्विक विकास के अनुमान में कटौती की है। हालांकि भारत एकमात्र प्रमुख देश है जिसके लिए 2022-23 के अनुमान में आईएमएफ में बढ़ोतरी की है। भारत की अर्थव्यवस्था 2020-21 में 6.6 फीसदी घट गई थी, लेकिन 2022-23 मे इसकी विकास दर सभी प्रमुख देशों की तुलना में अधिक रहने की उम्मीद है। हालांकि इसका प्रमुख कारण बेस इफेक्ट ही होगा।