चीन को पछाड़ कर भारत 2023 में सबसे बड़ी आबादी वाला देश बन जाएगा
विश्व जनसंख्या प्रास्पेक्ट्स रिपोर्ट 2022 के अनुसार 15 नवंबर 2022 तक दुनिया की जनसंख्या 8 अरब तक पहुंचने का अनुमान है। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2023 में चीन से आगे निकलकर भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। इस वर्ष विश्व जनसंख्या दिवस की थीम, सभी 8 अरब लोगों के लिए लचीला भविष्य, अवसर, अधिकार और विकल्प सुनिश्चित करना है। रिपोर्ट में चिंता व्यक्त की गई है कि आठ अरब लोगों में धिकारों और समानता से बड़ी जनसंख्या दूर है जिसको दूर करने की जरूरत है

विश्व जनसंख्या प्रास्पेक्ट्स रिपोर्ट 2022 के अनुसार 15 नवंबर 2022 तक दुनिया की जनसंख्या 8 अरब तक पहुंचने का अनुमान है। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2023 में चीन से आगे निकलकर भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। इस वर्ष विश्व जनसंख्या दिवस की थीम, सभी 8 अरब लोगों के लिए लचीला भविष्य, अवसर, अधिकार और विकल्प सुनिश्चित करना है। रिपोर्ट में चिंता व्यक्त की गई है कि आठ अरब लोगों में धिकारों और समानता से बड़ी जनसंख्या दूर है जिसको दूर करने की जरूरत है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ल्ड पापुलेशन डे पर जारी की गई वर्ल्ड पॉपुलेशन प्रॉस्पेक्ट्स 2022 में यह जानकारी दी गई है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतरेस ने कहा है कि इस साल का वर्ल्ड पॉपुलेशन डे ऐसे एक माइलस्टोन साल में आ रहा जब दुनिया का आठ अरबवां निवासी पैदा होने वाला है। यह हमारी विविधता, एकरूप मानवता के रूप में पहचान के साथ ही स्वास्थ्य के मोर्चे पर सफलता के साथ मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाकर जीवन काल को बढ़ाने की उपलब्धि हासिल करने का मौका है। उन्होंने कहा कि हम जिस ग्रह यानि पृथ्वी पर रहते हैं यह हम सबकी साझा जिम्मेदारी है कि पृथ्वी को सुरक्षित रखने के लिए सब मिलकर काम करें। इसलिए यह हम सभी लोगों की सोचने की जिम्मेदारी है कि हम एक दूसरे के प्रति जिम्मेदारी को निभाएं।
दुनिया की जनसंख्या 1950 के बाद अभी तक की अपनी सबसे धीमी दर से बढ़ रही है जो 2020 की तुलना में एक फीसदी कम हो गई है। संयुक्त राष्ट्र के नवीनतम अनुमानों से पता चलता है कि दुनिया की आबादी साल 2030 में लगभग 8.5 अरब और 2050 में 9.7 अरब हो सकती है। 2080 के दशक के दौरान लगभग 10.4 अरब होने का अनुमान है। विश्व जनसंख्या संभावव्यता रिपोर्ट 2022 में यह भी कहा गया है कि हाल के दशकों में कई देशों में प्रजनन क्षमता में उल्लेखनीय गिरावट आई है। आज पूरी दुनिया का दो-तिहाई आबादी ऐसे देशों में रहती है जहां कम मृत्यु दर वाली आबादी है। वहां पर प्रति महिला आजीवन प्रजनन क्षमता 2.1 से कम है। 61 देशों की आबादी में 2022 और 2050 के बीच प्रजनन क्षमता के निरंतर निम्न स्तर के कारण एक फीसदी या उससे अधिक की कमी होने का अनुमान है।
साल 2050 तक वैश्विक जनसंख्या में अनुमानित वृद्धि का आधे से अधिक आठ देशों में केंद्रित होगा। जिसमें भारत, कांगो लोकतत्रिक गणराज्य, मिस्र, इथियोपिया, नाइजीरिया, पाकिस्तान, फिलीपींस और संयुक्त गणराज्य तंजानिया हैं। अफ्रीका के देशों से आधे से अधिक जनसंख्या के योगदान की उम्मीद है। संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामलों के अवर महासचिव लियू जेनमिन ने कहा कि जनसंख्या वृद्धि और सतत विकास के बीच संबंध जटिल है। तेजी से जनसंख्या वृद्धि गरीबी उन्मूलन, भूख और कुपोषण का मुकाबला करना और स्वास्थ्य और शिक्षा प्रणालियों के कवरेज को और अधिक कठिन बना देती है। इसके विपरीत सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करना विशेष रूप से स्वास्थ्य, शिक्षा और लैंगिक समानता से संबंधित, प्रजनन स्तर को कम करने और वैश्विक जनसंख्या वृद्धि को धीमा करने में योगदान देगा।
अफ्रीका के अधिकांश देशों में साथ ही साथ एशिया, लैटिन अमेरिका और कैरिबियन के कुछ हिस्सों में काम करने की उम्र (25 से 64 वर्ष के बीच) में जनसंख्या का हिस्सा प्रजनन क्षमता में कमी के कारण बढ़ रहा है। दुनिया में 65 वर्ष और उससे अधिक आयु में वैश्विक जनसंख्या का हिस्सा 2022 में 10 प्रतिशत से बढ़कर 2050 में 16 प्रतिशत होने का अनुमान है। उस समय यह उम्मीद की जाती है कि 65 वर्ष या उससे अधिक आयु के व्यक्तियों की संख्या दुनिया भर में दोगुने से अधिक होगी। 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की संख्या और 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों की संख्या के बराबर होगी।
कोराना महामारी ने जनसंख्या परिवर्तन के सभी तीन घटकों को प्रभावित किया है। जन्म के समय वैश्विक जीवन प्रत्याशा 2021 में गिरकर 71 वर्ष हो गई। कुछ देशों में, महामारी की लगातार लहरों ने गर्भधारण और जन्म की संख्या में अल्पकालिक कमी पैदा की है। पिछले कई दशकों में यह दिन एक उत्सव के रूप में मनाया जाता था और निरंतर विकास की दुहाई दी जाती थी। लेकिन,अब लगातार बढ़ रही आबादी के चलते यह दिन चिंता जताने और जागरूकता फैलाने का अवसर बन गया है।
इस साल की वर्ल्ड पॉपुलेशन डे थीम भी इसी पर केंद्रित है। इस दिन पूरी दुनिया में जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न उपायों से लोगों को परिचित कराया जाता है। साथ ही परिवार नियोजन के मुद्दे पर भी गहरी और सार्थक बातचीत की जाती है। इस दिन जगह-जगह जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम होते हैं और उन कार्यक्रमों के जरिये लोगों को जागरूक करने की हर संभव कोशिश की जाती हैजिससे बढ़ती हुई जनसंख्या पर लगाम लगाई जा सके।