गेहूं उत्पादन में गिरावट, फिर भी निर्यात बढ़ाने के लिए 9 देशों में प्रतिनिधि भेजेगी सरकार

मंत्रालय के अनुसार वह मोरक्को, ट्यूनीशिया, इंडोनेशिया, फिलीपींस, थाईलैंड, वियतनाम, तुर्की, सीरिया और लेबनान को प्रतिनिधि भेजेगा। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद विश्व बाजार में भारत के गेहूं की मांग काफी बढ़ गई है

गेहूं उत्पादन में गिरावट, फिर भी निर्यात बढ़ाने के लिए 9 देशों में प्रतिनिधि भेजेगी सरकार

इस बार रबी सीजन में गेहूं के उत्पादन में भले गिरावट आई हो, भारत ने गेहूं निर्यात बढ़ाने के लिए 9 देशों में प्रतिनिधि भेजने का फैसला किया है। सरकार ने 2022-23 में एक करोड़ टन गेहूं निर्यात का लक्ष्य रखा है। वाणिज्य मंत्रालय ने गेहूं निर्यात पर एक टास्क फोर्स का गठन किया है जिसमें वाणिज्य के अलावा शिपिंग और रेलवे मंत्रालय के प्रतिनिधि और निर्यातकों के प्रतिनिधि शामिल हैं। यह टास्क फोर्स एपीडा के तहत बनाई गई है। मंत्रालय पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में निर्यात पर कई बैठकें भी आयोजित करने पर विचार कर रहा है।

मंत्रालय के अनुसार वह मोरक्को, ट्यूनीशिया, इंडोनेशिया, फिलीपींस, थाईलैंड, वियतनाम, तुर्की, सीरिया और लेबनान को प्रतिनिधि भेजेगा। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद विश्व बाजार में भारत के गेहूं की मांग काफी बढ़ गई है। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) के अनुसार भारत ने 2021-22 में 70 लाख टन गेहूं का निर्यात किया, जिसका मूल्य 2.05 अरब डॉलर था। पिछले साल कुल गेहूं निर्यात का लगभग आधा बांग्लादेश को भेजा गया।

मिस्र दुनिया के सबसे बड़े गेहू आयातकों में है और हाल ही वह भारत से गेहूं खरीदने पर राजी हुआ है। मिस्र कई देशों से गेहूं का आयात करता है लेकिन पिछले वर्ष तक वह भारत से गेहूं नहीं खरीदता था। वह अपनी जरूरत का लगभग 80 फ़ीसदी रूस और यूक्रेन से खरीदता था।

गौरतलब है कि इस वर्ष मौसम का तापमान अचानक बढ़ने के कारण कई राज्यों में गेहूं के उत्पादन में गिरावट आई है। सरकार को अपनी खरीद का लक्ष्य भी आधे से कम करना पड़ा है। पहले सरकार ने 444 लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा था लेकिन अब उसे घटाकर 200 लाख टन से भी कम कर दिया है।

 

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