ग्राम उन्नति ने एक लाख एकड़ भूमि को गरमा धान से वसंतकालीन मक्का की खेती में परिवर्तित करने को यूपी सरकार से किया समझौता
एकीकृत कृषि समाधान कंपनी ग्राम उन्नति ने घोषणा की है कि फसलों के विविधीकरण के उद्देश्य से एक व्यापक परिवर्तनकारी पहल के लिए उसने उत्तर प्रदेश सरकार के साथ रणनीतिक साझेदारी की है। इसके तहत प्रदेश की एक लाख एकड़ भूमि को गरमा धान की खेती से वसंतकालीन मक्का की खेती में तब्दील किया जाएगा। फसल विविधीकरण की इस परियोजना से प्रदेश के छह जिलों अमरोहा, बरेली, बुलंदशहर, मुरादाबाद, रामपुर और संभल जिलों के किसानों को लाभ होगा।
एकीकृत कृषि समाधान कंपनी ग्राम उन्नति ने घोषणा की है कि फसलों के विविधीकरण के उद्देश्य से एक व्यापक परिवर्तनकारी पहल के लिए उसने उत्तर प्रदेश सरकार के साथ रणनीतिक साझेदारी की है। इसके तहत प्रदेश की एक लाख एकड़ भूमि को गरमा धान की खेती से वसंतकालीन मक्का की खेती में तब्दील किया जाएगा। फसल विविधीकरण की इस परियोजना से प्रदेश के छह जिलों अमरोहा, बरेली, बुलंदशहर, मुरादाबाद, रामपुर और संभल जिलों के किसानों को लाभ होगा।
उत्तर प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त एवं अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह और मुख्यमंत्री के आर्थिक सलाहकार डॉ. के.वी. राजू की मौजूदगी में लखनऊ स्थित आईआईए भवन में इस परियोजना का अनावरण किया गया। इस परियोजना को आईएफसी के इंडिया एगटेक एडवाइजरी प्रोजेक्ट (आईएएपी) का भी समर्थन प्राप्त है। इसका लक्ष्य पश्चिमी यूपी के छह जिलों अमरोहा, बरेली, बुलंदशहर, मुरादाबाद, रामपुर और संभल में 1,00,000 एकड़ भूमि को ग्रीष्मकालीन धान से वसंत मक्का में स्थानांतरित करना है। साथ ही तीन से पांच साल की अवधि में इसके जरिये किसानों की आय बढ़ाना और महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना है।
इस परियोजना की शुरुआत पर मनोज कुमार सिंह ने कहा, “यह पहल पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कृषि स्थिरता और सामाजिक आर्थिक विकास में मील का पत्थर है। हम ग्राम उन्नति को एक महत्वपूर्ण परियोजना के लिए एक मूल्यवान भागीदार के रूप में पाकर बेहद खुश हैं, जो टिकाऊ कृषि की दिशा में एक परिवर्तनकारी यात्रा के लिए आधार तैयार करेगा। यह परियोजना फसल विविधीकरण के माध्यम से सामाजिक-आर्थिक प्रगति की क्षमता को प्रदर्शित करेगी और उत्तर प्रदेश के इन छह जिलों के किसानों को वित्तीय लाभ दिलाएगी।”
इसका प्राथमिक उद्देश्य किसानों की आय को 15% से 25% तक बढ़ाना और महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना है। इसमें सिंचाई के लिए पानी के उपयोग को 60% से 80% तक कम करना शामिल है।
ग्राम उन्नति के सीईओ और संस्थापक अनीश जैन ने कहा, "विभिन्न हितधारकों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के महीनों के प्रयास को साकार होता देख हम बहुत सम्मानित महसूस कर रहे हैं। हमारी प्रतिबद्धता हितधारकों के बीच तालमेल पैदा करना है। एक मॉडल जो न केवल किसानों की समृद्धि को बढ़ावा देता है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण का भी समर्थन करता है। सरकार, मक्का प्रोसेसर, इनपुट आपूर्तिकर्ताओं और कृषि पारिस्थितिकी तंत्र में अन्य आवश्यक हितधारकों के बीच साझेदारी को सुविधाजनक बनाना परियोजना की सफलता के लिए महत्वपूर्ण है।"
ग्राम उन्नति एक एग्रीटेक कंपनी है जो सलाहकार सेवाएं प्रदान करने के साथ-साथ कम लागत में उच्च गुणवत्ता वाले इनपुट तक किसानों की पहुंच बनाने, सीमांत किसानों को बाजार से जोड़ने, कृषि उपज के अनुकूलित उत्पादन, लॉजिस्टिक्स और एंड-टू-एंड गुणवत्ता नियंत्रण के साथ संस्थागत खरीदार है। इसकी स्थापना आईआईटी खड़गपुर के स्नातक अनीश जैन ने 2013 में की थी