सरकार देश में जेनेटिकली मॉडीफाइड तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देः सीओओआईटी
घरेलू उत्पादन से खाद्य तेलों की मांग पूरी नहीं हो पा रही है इसकी एक बड़ी वजह देश में तिहलन फसलों की उत्पादकता का कम होना है। इसमें तेजी से बढ़ोतरी के लिए खाद्य तेल उद्योग एवं कारोबार के केन्द्रीय संगठन, सेंट्रल ऑर्गेनाइज़ेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री एण्ड ट्रेड ने कहा है कि सरकार को देश में जेनेटिकली मॉडीफाईड (जीएम) तिलहन फसलों खेती को बढ़ावा देना चाहिए
इस समय देश की खाद्य तेल मांग को पूरा करने के लिए हमारा तिलहन उत्पादन पर्याप्त नहीं है। इसी के मद्देनज़र तेल उद्योग एवं कारोबार संगठन सेंट्रल ऑर्गेनाइज़ेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री एण्ड ट्रेड (सीओओआईटी) ने सुझाव दिया है कि सरकार को देश में जेनेटिकली मॉडीफाइड (जीएम) तिलहन फसलों की खेती को बढ़ावा देना चाहिए। तिलहन की जीएम फसलों की उत्पादकता अधिक है और यह देश की खाद्य तेल जरूरतों को पूरा करने में मददगार साबित हो सकती हैं।
सीओओआईटी का कहना है कि इसके परिणामस्वरूप देश को ज़रूरी खाद्य तेल क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भर’बनाने में मदद मिलेगी। तिलहन खेती को बढ़ावा देने के लिए, ज़रूरी है कि किसानों के उत्पादों के मद्देनज़र उनके हितों का संरक्षण किया जाए।
1994-95 में भारत की खाद्य तेल आयात निर्भरता मात्र 10 फीसदी थी, जो बढ़ती आबादी एवं बेहतर होती जीवनशैली के चलते मांग बढ़ने लेकिन उसके अनुपात में उत्पादन नहीं बढ़ने से 70 फीसदी हो गई है। इसकी एक बड़ी वजह तिलहन फसलों की कम उत्पादकता है।
देश का खाद्य तेलों का प्रति व्यक्ति सालाना उपभोग 2012-13 में 15.8 किलो से बढ़कर अब 19-19.5 किलो तक पहुंच गया है। हालांकि 1200 किलो/ हेक्टेयर पर, भारतीय तेलबीजों की उत्पादकता, दुनिया के औसत की तकरीबन आधी है और शीर्ष पायदान के उत्पादकों की एक तिहाई से भी कम है।
सीओओआईटी के चेयरमैन बाबू लाल डाटा का कहना है कि अगर स्वदेशी उत्पादकता और उत्पादन बहुत अधिक नहीं बढ़ते, तो हमारी आयातित तेलों पर निर्भरता बढ़ती चली जाएगी। मौजूदा स्थिति को देखते हुए ,उपभोक्ताओं को तुरंत राहत प्रदान करने के लिए सरकार को खाद्य तेलों पर से 5 फीसदी जीएसटी हटाने पर विचार करना चाहिए।
सीओओआईटी 20 और 21 मार्च, 2021 को दिल्ली 41वां अखिल भारतीय रबी सेमिनार आयोजित कर रहा है। इस दौरान तिलहनों से जुड़े कारोबार और अन्य संबंधित मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। सेमिनार का विषय होगा ‘तिलहन, तेल कारोबार एवं उद्योग’।
सेमिनार में तिलहन फसल उत्पादन की संभावनाओं; मांग एवं आपूर्ति की स्थिति; कीमत, विदेशी कारोबार; सरकारी नीतियों, किफ़ायती दरों पर सभी वर्गों के लोगों की पोषण संबंधी ज़रूरतों का पूरा करने के लिए खाद्य तेलों की उचित आपूर्ति जैसे विषयों पर विचार-विमर्श किया जाएगा। 1958 में स्थापित सीओओआईटी वनस्पति तेल सेक्टर के विकास में सक्रिय है जो अर्थव्यवस्था का बेहद महत्वपूर्ण क्षेत्र है। सीओओआईटी राष्ट्रीय स्तर की सर्वोच्च संस्था है जो देश में सम्पूर्ण वनस्पति तेल क्षेत्र और इसके सदस्यों के हितों का प्रतिनिधित्व करती है, जिनमें राज्य स्तरीय संगठन, प्रमुख निर्माता/ उद्योग जगत के कारोबार, कारोबार एवं निर्यात सदन आदि शामिल हैं।