20 फ़ीसदी तक सिकुड़े दाने के गेहूं की मिल सकती है पूरी कीमत, सरकार कर रही है विचार
केंद्र सरकार में इस प्रस्ताव पर विचार हो रहा है कि अगर कुल गेहूं में सिकुड़े हुए दाने की मात्रा 20 फ़ीसदी तक है, तो दाम में कोई कटौती नहीं की जाएगी और किसानों को पूरा एमएसपी दिया जाएगा। सूत्रों के अनुसार इस बारे में जल्दी ही कोई निर्णय लिया जा सकता है
अचानक मौसम गर्म होने से गेहूं की क्वालिटी को लेकर परेशान किसानों को कुछ राहत मिलने की उम्मीद है। खास कर उत्तर भारत में मौसम में अचानक आए इस बदलाव से बहुत से इलाकों में गेहूं का दाना सिकुड़ गया है, जिन्हें बेचने में किसानों को परेशानी आ रही है। इस बात को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार में इस प्रस्ताव पर विचार हो रहा है कि अगर कुल गेहूं में सिकुड़े हुए दाने की मात्रा 20 फ़ीसदी तक है, तो दाम में कोई कटौती नहीं की जाएगी और किसानों को पूरा एमएसपी दिया जाएगा। सूत्रों के अनुसार इस बारे में जल्दी ही कोई निर्णय लिया जा सकता है।
इस बीच, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि मौसम की मार को देखते हुए राज्य में गेहूं खरीदने के नियम में ढील दी जाए और सिकुड़े दाने के लिए दाम में कोई कटौती न की जाए। समय से पहले तेज गर्मी के कारण दाना सिकुड़ गया है और पैदावार भी घट गई है। मान के अनुसार उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल से इस बारे में बात की है और फील्ड डाटा के आधार पर नियमों में ढील देने का आग्रह किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय टीम ने एक सप्ताह पहले स्थिति का जायजा लिया था और मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। उस रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र था कि कुल गेहूं उत्पादन में कितना हिस्सा दाना सिकुड़ा है। मान के अनुसार, इसके बावजूद केंद्र सरकार ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया जो चिंताजनक है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दाना खराब होने के लिए किसानों को दोष देना और उन्हें दंडित करना ठीक नहीं होगा क्योंकि हालात उनके नियंत्रण से बाहर थे। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार की तरफ से गेहूं खरीद नियमों में ढील ना देने के कारण भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) सिकुड़े दाने वाला गेहूं नहीं खरीद रहा है, जिससे मंडियों में खरीद एक तरह से अटक गई है।
इस बार खरीद सामान्य वर्षों की तुलना में कुछ पहले शुरू हुई है। पंजाब में 23 अप्रैल तक 71.5 लाख टन गेहूं की खरीद हुई है। यह पिछले साल के बराबर है, लेकिन हरियाणा और मध्य प्रदेश में खरीद पिछले साल का लगभग आधा है। उत्तर प्रदेश में तो सिर्फ 77 हजार टन गेहूं की खरीद हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक छह लाख टन से अधिक गेहूं खरीदा जा चुका था।
हालांकि इस बार अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की मांग के चलते घरेलू स्तर पर निजी ट्रेडर्स निर्यात के लिए ज्यादा गेहूं खरीद रहे हैं। इसका नतीजा यह है कि किसानों को एमएसपी की तुलना में काफी अच्छी कीमत मिल रही है। गेहूं का एमएसपी 2,015 रुपए प्रति टन है जबकि मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात में ट्रेडर्स के 2,600 से 2,700 रुपए प्रति क्विंटल तक के भाव पर गेहूं खरीदने की खबरें हैं।
पिछले साल गेहूं की सरकारी खरीद लगभग 434 लाख टन की हुई थी। इस वर्ष सरकार ने 444 लाख टन खरीद का लक्ष्य रखा है। लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए इस लक्ष्य को पाना बहुत मुश्किल लग रहा है।