निर्यात पर रोक के बाद दो हफ्ते में सिर्फ 3.4 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद, 195 लाख टन के लक्ष्य को पाना मुश्किल
सेंट्रल फूडग्रेन्स प्रोक्योरमेंट पोर्टल पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार 13 मई को निर्यात पर प्रतिबंध के दिन तक 179.89 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद हुई थी। उसके बाद 19 मई तक यह आंकड़ा 181.16 लाख टन और 26 मई तक 183.27 लाख टन तक ही पहुंच सका है। ऐसे में 195 लाख टन खरीद के संशोधित लक्ष्य को हासिल कर पाना भी मुश्किल लग रहा है
गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद इसकी सरकारी खरीद में तेजी नहीं आई है। सरकार ने 13 मई को गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था और सेंट्रल फूडग्रेन्स प्रोक्योरमेंट पोर्टल पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार उस दिन तक 179.89 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद हुई थी। उसके बाद 19 मई तक यह आंकड़ा 181.16 लाख टन और 26 मई की दोपहर तक 183.27 लाख टन तक ही पहुंच सका है। ऐसे में 195 लाख टन खरीद के संशोधित लक्ष्य को हासिल कर पाना भी मुश्किल लग रहा है।
कुल खरीद 183.27 लाख टन
पंजाब |
96.10 लाख टन |
हरियाणा |
40.97 लाख टन |
मध्य प्रदेश |
43.40 लाख टन |
उत्तर प्रदेश |
2.73 लाख टन |
हिमाचल प्रदेश |
2900 टन |
उत्तराखंड |
1943 टन |
बिहार |
982 टन |
राजस्थान |
946 टन |
जम्मू कश्मीर |
255 टन |
गुजरात |
5.9 टन |
(स्रोतः सेंट्रल फूडग्रेन्स प्रोक्योरमेंट पोर्टल)
पिछले साल 434 लाख टन गेहूं खरीद को देखते हुए इस वर्ष पहले सरकार ने 444 लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा था, लेकिन बाद में उसे घटाकर 195 लाख टन कर दिया। हालांकि सरकार ने गेहूं उत्पादन के अनुमान में अभी तक ज्यादा कटौती नहीं की है। पहले 11.13 करोड़ टन गेहूं उत्पादन का अनुमान था, जिसे घटाकर 10.6 करोड़ टन किया गया है। 2020-21 में 10.96 करोड़ टन गेहूं का उत्पादन हुआ था। हालांकि मार्च-अप्रैल में अचानक तापमान बढ़ने के कारण बहुत से किसान उत्पादन में 15 से 20 फीसदी तक गिरावट की बात कह रहे हैं।
सेंट्रल फूडग्रेन्स प्रोक्योरमेंट पोर्टल (सीएफपीपी) के अनुसार पंजाब में गेहूं की खरीद लगभग बंद है। पोर्टल के मुताबिक राज्य में अब तक 96.10 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद हुई है। 19 मई को भी पंजाब में खरीद का आंकड़ा यही थी। मध्य प्रदेश में यह 19 मई के 41.89 लाख टन से बढ़कर 43.40 लाख टन तक पहुंचा है। हरियाणा में खरीद पिछले साल के करीब आधे पर अटक गई है। यहां 19 मई तक 40.64 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद हुई थी, जो अब 40.97 लाख टन तक पहुंची है। यही हाल उत्तर प्रदेश का है जहां आंकड़ा 2.47 लाख टन से मुश्किल से बढ़कर 2.73 लाख टन तक पहुंचा है।
बाकी राज्यों में तो बस खरीद की औपचारिकता ही हुई है। अभी तक हिमाचल प्रदेश में 2900 टन, उत्तराखंड में 1943 टन, बिहार में 982 टन, राजस्थान में 946 टन और गुजरात में सिर्फ 5.9 टन गेहूं की खरीद हुई है। जब निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया था, तब उम्मीद थी कि कुछ किसान सरकारी खरीद में एमएसपी पर गेहूं बेचने आ जाएं। लेकिन खरीद के आंकड़ों को देखकर ऐसा लगता नहीं। खरीद बढ़ाने के लिए सरकार ने 15 मई को नियमों में भी ढील दी थी और कहा था कि 18 फीसदी तक सिकुड़े दाने बिना दाम में कटौती के खरीदे जाएंगे। इसके बावजूद खरीद में तेजी नहीं आई है।
विशेषज्ञों के अनुसार इसके दो कारण हो सकते हैं। एक तो यह कि किसान आगे बेहतर कीमत मिलने की उम्मीद में अभी अपनी उपज नहीं बेचना चाहते। या फिर उनके पास बेचने के लिए गेहूं बचा ही नहीं। इससे यह संकेत भी मिलता है कि आने वाले दिनों में कीमतों में ज्यादा गिरावट की गुंजाइश कम है।
सूत्रों के अनुसार जिन निर्यातक कंपनियों ने गेहूं खरीद कर रखा था, निर्यात पर प्रतिबंध के बाद अब वे अपने सौदे रद्द कर रही हैं। इससे ट्रेडर्स में अनिश्चितता का माहौल बन गया है। कुछ निर्यातक इस उम्मीद में हैं कि द्विपक्षीय व्यापार की संभावना को देखते हुए कुछ देशों को आने वाले दिनों में निर्यात किया जा सकता है।
चावल निर्यात को भी रेस्ट्रिक्टिड कैटेगरी में लाया जा सकता है
रिकॉर्ड महंगाई को ध्यान में रखते हुए सरकार ने पहले 13 मई को गेहूं निर्यात पर रोक लगाई, उसके बाद चीनी निर्यात को नियंत्रित करने के लिए उसे फ्री से रेस्ट्रिक्टिड कैटेगरी में डाल दिया, अब चर्चा है कि चावल निर्यात को भी नियंत्रित किया जा सकता है। खबरों के मुताबिक प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के नेतृत्व में एक समिति सभी आवश्यक वस्तुओं पर एक-एक करके विचार कर रही हैं। इसमें गैर-बासमती चावल भी है। वर्ष 2021-22 के दूसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक इस वर्ष 12.79 करोड़ टन चावल उत्पादन का अनुमान है। यह बीते पांच वर्षों के औसत 11.64 करोड़ टन से 1.15 करोड़ टन अधिक है। भारत चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक है और करीब 150 देशों को निर्यात करता है। वित्त वर्ष 2021-22 में 6.1 अरब डॉलर का गैर-बासमती चावल निर्यात किया गया था।