जीरा ने बनाया नया रिकॉर्ड, हुआ 59 हजारी, सोना के भाव के करीब पहुंचा
राजस्थान के नागौर जिले की मेड़ता कृषि उपज मंडी में जीरे के भाव ने फिर से नया रिकॉर्ड बनाया है। यहां जीरे का भाव 59 हजार रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया है। पिछले दो हफ्ते में जीरे के भाव में 14 हजार रुपये प्रति क्विंटल का उछाल आ चुका है। जानकार बता रहे हैं कि जल्दी ही भाव 60 हजार रुपये प्रति क्विंटल को पार कर जाएगा।
राजस्थान के नागौर जिले की मेड़ता कृषि उपज मंडी में जीरे के भाव ने फिर से नया रिकॉर्ड बनाया है। यहां जीरे का भाव 59 हजार रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया है। पिछले दो हफ्ते में जीरे के भाव में 14 हजार रुपये प्रति क्विंटल का उछाल आ चुका है। जानकार बता रहे हैं कि जल्दी ही भाव 60 हजार रुपये प्रति क्विंटल को पार कर जाएगा। इस लिहाज से देखें तो जीरे का भाव सोने के भाव के करीब पहुंच गया है। 24 कैरेट सोने का भाव फिलहाल 60 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास चल रहा है। हालांकि, सोने से जीरे की तुलना नहीं हो सकती है। यह तुलना सिर्फ सिंबॉलिक है।
जीरा व्यापारियों के मुताबिक, बाजार में लगातार मांग बनी हुई है। इसकी वजह से दो हफ्ते पहले तक 40-45 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक बिकने वाला जीरा 59 हजार रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया है। जानकार बता रहे हैं कि मांग बढ़ने की सबसे बड़ी वजह अंतरराष्ट्रीय मांग का बढ़ना है। चीन में इसकी मांग काफी बढ़ी है। इसके अलावा पश्चिम एशियाई और खाड़ी के देशों की मांग में भी इजाफा हुआ है। पश्चिम एशियाई और खाड़ी के देशों में इससे पहले सीरिया और तुर्किये से जीरे की आपूर्ति होती थी लेकिन इस बार वहां भी भारत की तरह ही मौसम में अचानक परिवर्तन होने की वजह से उत्पादन घटा है जिससे पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति नहीं हो पा रही है। यही वजह है कि घरेलू बाजार में जीरे का भाव लगातार नए रिकॉर्ड बना रहा है।
जीरा किसानों के हितों के लिए काम कर रहे जोधपुर स्थित दक्षिण एशिया जैव प्रौद्योगिकी केंद्र के संस्थापक निदेशक भगीरथ चौधरी ने रूरल वॉयस को बताया, "अंतरराष्ट्रीय मांग का असर जीरे के घरेलू भाव पर साफ दिख रहा है। चीन बड़ी मात्रा में भारत से जीरे का आयात कर रहा है। मौजूदा समय में बाजार में जो उछाल दर्ज किया जा रहा है वह ट्रेडर्स और स्टॉकिस्टों की वजह से है। किसानों ने तो पहले ही अपनी फसल बेच दी है। कुछ किसानों के पास ही स्टॉक पड़ा है जिसे अब वे निकाल रहे हैं। भाव में मौजूदा तेजी का फायदा मुख्य रूप से ट्रेडर्स और स्टॉकिस्ट उठा रहे हैं।"
भगीरथ चौधरी के मुताबिक, नागौर और इसके आसपास के जिलों के जीरे की गुणवत्ता काफी अच्छी है। इसकी वजह से भी मेड़ता मंडी में भाव अच्छा मिल रहा है, जबकि जीरा की सबसे बड़ी मंडी गुजरात के ऊंझा में है। वैसे पिछले दो-तीन साल से किसानों को जीरा का बेहतर भाव मिल रहा है। दो साल पहले किसानों को 15-16 हजार रुपये प्रति क्विंटल का भाव मिलता था जो अब बढ़कर दोगुना हो गया है। इस साल किसानों को औसत 30-35 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक भाव मिला है। राजस्थान में प्रति हेक्टेयर 4-5 क्विंटल का औसत उत्पादन होता है, जबकि गुजरात में यह 7-8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है। जहां तक लागत की बात है तो प्रति हेक्टेयर 20-25 हजार रुपये की औसत लागत है।
इससे पहले जब मंडियों में नई फसल की आवक शुरू हुई थी तो 10 अप्रैल को मेड़ता मंडी में जीरा ने 50 हजार रुपये प्रति क्विंटल का रिकॉर्ड बनाया था। भाव में दोबारा तेजी 8 जून से शुरू हुई है। 8 जून को मेड़ता मंडी में भाव 6 हजार रुपये प्रति क्विंटल बढ़कर 45 हजार से 51 हजार रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया। पांच दिन बाद 13 जून को भाव 4 हजार रुपये की वृद्धि के साथ 55 हजार रुपये और 20 जून को 56 हजार रुपये पर पहुंच गया। 21 जून को जीरे ने पिछले सारे रिकॉर्ड को तोड़ते हुए 59 हजार रुपये प्रति क्विंटल का नया रिकॉर्ड बना डाला।
भारत जीरा उत्पादन में विश्व में पहले नंबर पर है। देश में गुजरात और राजस्थान में ही इसका सबसे ज्यादा उत्पादन होता है। 2022-23 में देश में जीरा उत्पादन घटकर 7 लाख टन रहने का अनुमान है जो 2021-22 में 7.25 लाख टन रहा था। 2020-21 में 7.95 लाख टन और 2019-20 में 9.12 लाख टन जीरे का उत्पादन देश में हुआ था।