मक्का के शुल्क मुक्त आयात के लिए पशुपालन व डेयरी सचिव ने खाद्य सचिव से की सिफारिश

मक्का के शुल्क मुक्त आयात के लिए पशुपालन व डेयरी सचिव ने खाद्य सचिव से की सिफारिश

देश में खरीफ की फसल की बुवाई लगभग पूरी हो चुकी है और खरीफ सीजन में मक्का एक महत्वपूर्ण फसल है। करीब डेढ़ माह बाद खरीफ सीजन की मक्का की फसल बाजार में आने लगेगी। ऐसे समय में केंद्रीय पशुपालन व डेयरी विभाग की सचिव अलका उपाध्याय ने खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव संजीव चोपड़ा को  35 लाख टन मक्का के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति देने के लिए सिफारिशी पत्र लिखा है। किसानों के लिए मक्का की बेहतर कीमत के रास्ते में बाधक बनने वाला यह कदम सरकार की कृषि विविधिकरण और मोटे अनाजों को बढ़ावा देने के कदम के भी प्रतिकूल है। 

केंद्रीय पशुपालन व डेयरी विभाग की सचिव अलका उपाध्याय ने खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव संजीव चोपड़ा को पत्र लिखकर मक्का पर आयात शुल्क 15 फीसदी से घटाकर शून्य करने, नेफेड की बजाय प्रोसेसर्स को मक्का के सीधे आयात और जीएम सोयामील के आयात की अनुमति देने का अनुरोध किया है। साथ ही सोयाबीन उत्पादों की एनसीडीईएक्स में फ्यूचर ट्रेडिंग पर प्रतिबंध जारी की सिफारिश की गई है।

केंद्रीय पशुपालन सचिव अलका उपाध्याय ने यह पत्र ऑल इंडिया पोल्ट्री ब्रीडर्स एसोसिएशन (AIPBA) और कंपाउंड लाइवस्टॉक फीड मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (CLFMA) की मांग पर लिखा है। इन संगठनों ने देश में मक्का की उपलब्धता में कमी और बढ़ती कीमतों को देखते हुए सरकार से मक्का पर आयात शुल्क जीरो करने और इंडस्ट्री को सीधे मक्का आयात की अनुमति देने की मांग की है।

मक्का की कमी और कीमतों को लेकर पोल्ट्री और लाइवस्टॉक फीड इंडस्ट्री की अपनी चिंताएं हो सकती हैं। लेकिन उद्योग की मांग पर केंद्रीय सचिव द्वारा मक्का के आयात शुल्क को जीरो करने और आयात को बढ़ावा देने की पैरवी को लेकर सवाल उठ रहे हैं। मध्य प्रदेश कांग्रेस के किसान प्रकोष्ठ के अध्यक्ष केदार शंकर सिरोही का कहना है कि देश की ब्यूरोक्रेसी किसानों की बजाय इंडस्ट्री के हितों के लिए काम कर रही है। जब किसान की फसलों के दाम गिरते हैं तो कोई अधिकारी फ्रिक नहीं करता, लेकिन मक्का के दाम थोड़े बढ़ते ही आयात बढ़ाने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। सरकार के आला अधिकारी खुलेआम इंडस्ट्री की पैरवी कर रहे हैं।

मक्का का इस्तेमाल पोल्ट्री फीड और पशु आहार के अलावा एथेनॉल उत्पादन में भी होता है। पोल्ट्री इंडस्ट्री का मानना है कि इस साल देश में मक्का उत्पादन 360 लाख टन के आसपास रहेगा जबकि एथेनॉल ब्लेंडिंग सहित मक्का की कुल आवश्यकता 410 लाख टन है। इसमें से करीब 234 लाख टन मक्का की आवश्यकता लाइवस्टॉक फीड इंडस्ट्री को है। इस तरह देश में उत्पादित करीब 60 फीसदी से अधिक मक्का का इस्तेमाल पोल्ट्री और फीड इंडस्ट्री में किया जाता है।

टैरिफ रेट कोटा (टीआरक्यू) के तहत पिछले महीने केंद्र सरकार ने नेफेड के जरिए 4.98 लाख टन नॉन-जीएम मक्का के आयात की अनुमति दी थी। इसके लिए 15 फीसदी आयात शुल्क तय किया गया है जबकि मक्का के आयात पर बेसिक आयात शुल्क 50 फीसदी है। उद्योग जगत सरकार से जीरो आयात शुल्क पर 50 लाख टन मक्का आयात की अनुमति देने की मांग कर रहा है। इसी मांग के आधार पर केंद्रीय पशुपालन सचिव ने खाद्य सचिव से टीआरक्यू  के तहत 35 लाख टन मक्का के आयात का आग्रह किया है। साथ  ही मक्का प्रोसेसर्स को सीधे आयात की अनुमति देने की गुजारिश की है क्योंकि नेफेड चैनल जटिल और ज्यादा समय लेने वाली प्रक्रिया है।

वर्ष 2023-24 में मक्का उत्पादक राज्यों में कम बारिश और एथेनॉल उत्पादन में मक्का के इस्तेमाल के कारण लाइवस्टॉक फीड इंडस्ट्री को मक्का की उपलब्धता में कमी और ऊंची कीमतों का सामना करना पड़ रहा है। फिलहाल बाजार में मक्का का दाम 26-28 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया है। हालांकि, देश भर की कृषि मंडियों में जुलाई में मक्का का औसत भाव 2384.75 रुपये प्रति क्विंटल रहा है जो 2225 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से थोड़ा अधिक है।      

देश में मक्का का उत्पादन घटा 

पिछले दो साल से देश में मक्का की बुवाई का क्षेत्र 107 लाख हेक्टेयर के आसपास स्थिर रहा है जबकि मक्का का उत्पादन 2022-23 में 380 लाख टन से घटकर 2023-24 में 357 लाख टन रह गया। इस प्रकार मक्का की पैदावार 35.45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से घटकर 33.21 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रह गई है। पिछले साल मक्का उत्पादक राज्यों में कमजोर मानसून और बारिश में कमी के चलते मक्का की उपज प्रभावित हुई। यही वजह है कि मक्का का उत्पादन घटा और मक्का आयात की नौबत आ गई है।

इस साल उपज बढ़ने के आसार 

चालू खरीफ सीजन 2024-25 में 19 जुलाई तक मक्का की बुवाई करीब 68 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हो चुकी थी जो गत वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 5 लाख हेक्टेयर अधिक है। इस साल सामान्य मानसून के अनुमान और मक्का की बुवाई की प्रगति को देखते हुए मक्का का उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है। लेकिन ऐसे में अगर देश में जीरो ड्यूटी पर मक्का का आयात होता है नई फसल आने पर बाजार में मक्का के दाम गिर सकते हैं। मक्का आयात से जुड़े फैसले लेते हुए सरकार को किसानों के हितों को भी ध्यान में रखना होगा।

 

    

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