कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट की समिति के सदस्य अनिल घनवत ने समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक करने के लिए मुख्य न्यायाधीश को लिखी चिट्ठी
केंद्र सरकार द्वारा जून, 2020 में लाये तीन नये कृषि कानूनों पर किसानों के आंदोलन का हल निकालने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त की गई समिति के सदस्य अनिल जयसिंग घनवत ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की गुजारिश की है। घनवत का कहना है कि हमने अपनी रिपोर्ट में किसानों के हितों के लिए जो सिफारिशें की हैं वह सरकार को भेजी जाएं और इसे सार्वजनिक किया जाए
केंद्र सरकार द्वारा जून, 2020 में लाये तीन नये कृषि कानूनों पर किसानों के आंदोलन का हल निकालने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त की गई समिति के सदस्य अनिल जयसिंग घनवत ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की गुजारिश की है। घनवत का कहना है कि हमने अपनी रिपोर्ट में किसानों के हितों के लिए जो सिफारिशें की हैं वह सरकार को भेजी जाएं और इसे सार्वजनिक किया जाए। रूरल वॉयस के साथ एक बातचीत में अनिल घनवत ने कहा कि केंद्रीय कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन अभी भी जारी है इसलिए बेहतर होगा कि इस रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दिया जाए ताकि कोई रास्ता निकाला जा सके।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भेजी गई यह चिट्ठी एक सितंबर, 2021 को लिखी गई है। इसमें कहा गया है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने तीन कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगा दी थी और 12 जनवरी, 2021 को एक समिति गठित की थी जिसमें मुझे किसानों के प्रतिनिधि के रूप में सदस्य बनाया गया। समिति को दो माह में अपनी रिपोर्ट देने का समय दिया गया। समिति ने विभिन्न पक्षों के साथ लंबा विचार विमर्श करने के बाद 19 मार्च, 2021 को अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी थी। समिति को भरोसा था कि उसकी सिफारिशें किसानों के आंदोलन को समाप्त करने में सहायक होंगी। लेकिन समिति का सदस्य और खासतौर से किसानों का प्रतिनिधि होने के नाते मुझे इस बात का दुख है कि अभी भी किसानों का आंदोलन जारी है।
घनवत ने चिट्ठी में लिखा है कि मेरी सुप्रीम कोर्ट से गुजारिश है कि रिपोर्ट की सिफारिशों को सार्वजनिक किया जाए ताकि इनको लागू कर किसान आंदोलन का शांतिपूर्ण हल निकाला जा सके।
केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ 27 नवंबर, 2020 से दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन के हल निकालने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 12 जनवरी, 2021 को एक चार सदस्यीय समिति गठित की थी। इसमें शेतकरी संघटना के अध्यक्ष अनिल जयसिंह घनवत, भारतीय किसान यूनियन (मान) के भूपिन्द्र सिंह मान, कृषि अर्थशास्त्री प्रोफेसर अशोक गुलाटी और कृषि विशेषज्ञ डॉ. प्रमोद कुमार जोशी को सदस्य बनाया गया था। पंजाब में किसानों का विरोध देखते हुए मान ने खुद को समिति से अलग कर लिया था। उसके बाद समिति में तीन सदस्य रह गये थे। आंदोलनरत संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य 40 किसान संगठनों ने इस समिति के सामने आने से इनकार कर दिया था। समिति की रिपोर्ट में क्या सिफारिशें हैं यह अभी सार्वजनिक नहीं है।
इस बारे में रूरल वॉयस के साथ बातचीत में अनिल घनवत ने कहा कि वह इस संबंध में पिछले दिनों समिति के बाकी दो सदस्यों के साथ भी बातचीत कर चुके हैं। जब तक समिति की सिफारिशें सार्वजनिक नहीं हो जाती हैं तब तक हमारे काम का आकलन भी नहीं हो सकेगा। इसलिए मैं चाहता हूं कि समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक हो और सरकार को भी भेजी जाए ताकि वह इसकी सिफारिशों पर अमल कर सके। इसके साथ ही अगर इस रिपोर्ट की सिफारिशों के अलावा किसान संगठन और कुछ बदलाव चाहते हैं तो वह सुधार भी तभी संभव है जब सिफारिशें सामने आएंगी।
अनिल घनवत की यह चिट्ठी ऐसे समय में लिखी गई है जब संयुक्त किसान मोर्चा की मुजफ्फरनगर महापंचायत में लाखों किसानों से जुटने के बाद एक राजनीतिक दबाव का माहौल बन रहा है। इस पंचायत की सफलता से उत्साहित संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन तेज करने का कार्यक्रम घोषित कर दिया है जिसमें 27 सितंबर,2021 का भारत बंद शामिल है। साथ ही उत्तर प्रदेश और देश के अन्य हिस्सों में पंचायतें प्रस्तावित हैं। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब सहित पांच राज्यों में आगामी फरवरी- मार्च में विधान सभा के चुनाव होने हैं और जिस तरह से किसानों का आंदोलन तेज हो रहा है उसका राजनीतिक असर पड़ना लगभग तय है। अगर यह आंदोलन जारी रहता है तो यह भारतीय जनता पार्टी के लिए दिक्कतें पैदा कर सकता है। इसलिए यह देखना काफी अहम होगा कि अगर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक हो जाती है तो उस पर सरकार अमल करती है या नहीं।