एफएओ की रिपोर्टः कृषि खाद्य प्रणालियों में बढ़ी महिला समानता
विश्व स्तर पर महिलाओं को रोजगार देने के मामले में कृषि खाद्य प्रणाली प्रमुख है। कई देशों में तो पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिए यह आजीविका का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है। एफएओ की रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं की उत्पादकता में सुधार के हस्तक्षेप तब सफल होते हैं जब उनकी देखभाल की जाती है, उनके अवैतनिक घरेलू काम के बोझ कम होते हैं, उन्हें शिक्षा और प्रशिक्षण दिया जाता है और उनकी भूमि-काश्तकारी सुरक्षा को मजबूत किया जाता है। बच्चों की देखभाल से भी माताओं के रोजगार पर बड़ा सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
कृषि खाद्य प्रणालियों में आजीविका के लिए लैंगिक असमानताओं को कम करना, संसाधनों तक महिलाओं की पहुंच में सुधार करना और लचीलापन को बढ़ावा देना लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसमें संपत्ति, प्रौद्योगिकी और संसाधनों तक उनकी पहुंच से संबंधित अंतर को खत्म करना शामिल है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) की एक नई रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
विश्व स्तर पर महिलाओं को रोजगार देने के मामले में कृषि खाद्य प्रणाली प्रमुख है। कई देशों में तो पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिए यह आजीविका का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है। एफएओ की रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं की उत्पादकता में सुधार के हस्तक्षेप तब सफल होते हैं जब उनकी देखभाल की जाती है, उनके अवैतनिक घरेलू काम के बोझ कम होते हैं, उन्हें शिक्षा और प्रशिक्षण दिया जाता है और उनकी भूमि-काश्तकारी सुरक्षा को मजबूत किया जाता है। बच्चों की देखभाल से भी माताओं के रोजगार पर बड़ा सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों ने महिलाओं के रोजगार और लचीलेपन को बढ़ाया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि लैंगिक समानता के प्रति परिवर्तनकारी दृष्टिकोण भेदभावपूर्ण मानदंडों में बदलाव दिखाते हैं जो ज्यादा रिटर्न के साथ लागत प्रभावी हैं। एफएओ की रिपोर्ट में लिंग, आयु, सामाजिक और आर्थिक भेदभावों द्वारा अलग किए गए उच्च गुणवत्ता वाले डाटा की निरंतर कमी को दूर करने की सिफारिश की गई है। यह कृषि खाद्य प्रणालियों में लैंगिक समानता की दिशा में प्रगति की निगरानी और तेजी लाने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है। रिपोर्ट में शामिल कुछ प्रमुख निष्कर्षों के मुताबिक दुनिया के 46 में से 40 देशों में महिलाओं की तुलना में पुरुषों के पास कृषि भूमि पर अधिक स्वामित्व है या उन पर उनका सुरक्षित अधिकार है।
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रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017 से 2021 के बीच कम और मध्यम आय वाले देशों में मोबाइल इंटरनेट तक महिलाओं की पहुंच में लैंगिक अंतर 25 फीसदी से घटकर 16 फीसदी हो गया है। जबकि बैंक खातों तक पहुंच का लैंगिक अंतर 9 फीसदी से घटकर 6 फीसदी रह गया है। हालांकि, पुरुषों और महिलाओं के बीच खाद्य असुरक्षा का अंतर 2019 में 1.7 फीसदी अंक था जो 2021 में बढ़कर 4.3 फीसदी अंक हो गया। जबकि 68 देशों के कृषि और ग्रामीण विकास से संबंधित 75 फीसदी नीतिगत दस्तावेजों में महिलाओं की भूमिका एवं कृषि में महिलाओं की चुनौतियों और ग्रामीण विकास को मान्यता दी गई है। इन देशों में केवल 19 फीसदी नीतिगत लक्ष्य लिंग से संबंधित थे।
एफएओ की रिपोर्ट से पता चलता है कि कृषि खाद्य प्रणालियों में लैंगिक असमानताओं से निपटने और महिलाओं को सशक्त बनाने से भुखमरी कम होती है, अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है और जलवायु परिवर्तन एवं कोविड-19 जैसी महामारी के झटकों को झेलने के प्रति मजबूत मिलती है। वर्ष 2010 के बाद एग्रीफूड सिस्टम्स में महिलाओं की स्थिति पर यह अपनी तरह की पहली रिपोर्ट है। यह रिपोर्ट एग्रीफूड सिस्टम (उत्पादन से लेकर वितरण और खपत तक), जो कृषि से इतर है, में काम करने वाली महिलाओं की स्थिति की एक व्यापक तस्वीर प्रदान करती है।
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रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि विश्व स्तर पर कृषि खाद्य प्रणालियों में 36 फीसदी महिलाएं और 38 फीसदी कामकाजी पुरुष हैं। हालांकि, महिलाएं हाशिये पर होती हैं। उनके काम करने की स्थिति पुरुषों की तुलना में खराब रहने की संभावना रहती है। जैसे कि उन्हें अनियमित, अनौपचारिक, अंशकालिक, कम-कुशल, या श्रम आधारित काम मिलता है। इसी तरह, कृषि क्षेत्र में मजदूरी करने वाली महिलाओं को पुरुषों को मिलने वाले प्रत्येक एक डॉलर की तुलना में 82 सेंट ही मजदूरी मिलती है।
साथ ही महिलाओं की भूमि पर कम सुरक्षित कार्यकाल, क्रेडिट और प्रशिक्षण तक पहुंच कम है। उन्हें पुरुषों के लिए डिजाइन की गई तकनीक के साथ काम करना पड़ता है। भेदभाव के साथ-साथ ये असमानताएं समान आकार के खेतों में महिला और पुरुष किसानों के बीच उत्पादकता में 24 फीसदी का लैंगिक अंतर पैदा करती हैं।
यह अध्ययन खासकर इस बात को रेखांकित करता है कि कई देशों में कृषि खाद्य प्रणालियां पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिए आजीविका का अधिक महत्वपूर्ण स्रोत हैं। उदाहरण के लिए उप-सहारा अफ्रीका में 60 फीसदी पुरुषों की तुलना में 66 फीसदी महिलाओं को इस क्षेत्र में रोजगार मिला हुआ है। जबकि दक्षिणी एशिया में महिलाएं कृषि खाद्य प्रणालियों में काफी संख्या में काम करती हैं (71 फीसदी महिलाएं बनाम 47 फीसदी पुरुष)। हालांकि पुरुषों की तुलना में महिला श्रमिक कम हैं।