रिकार्ड उत्पादन के दावे के बीच क्यों बन रही गेहूं आयात की स्थिति
केंद्र सरकार ने रबी सीजन (2023-24) में रिकार्ड 11.2 करोड़ टन गेहूं उत्पादन का दावा किया है। इसके बावजूद इस साल देश में गेहूं आयात की स्थिति पैदा हो सकती है।
केंद्र सरकार ने रबी सीजन (2023-24) में रिकार्ड 11.2 करोड़ टन गेहूं उत्पादन का दावा किया है। इसके बावजूद इस साल देश में गेहूं आयात की स्थिति पैदा हो सकती है। इसका कारण गेहूं की सरकारी खरीद का पिछले साल के 262 लाख टन के आसपास ही सिमट जाना है जबकि एक अप्रैल, 2024 को केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक 2008 के बाद सबसे कम स्तर 75.02 लाख टन पर रहा है। कीमतों पर नियंत्रण के लिए 2023-24 में सरकार ने ओपन मार्केट सेल स्कीम (ओएमएसएस) के जरिये 100 लाख टन गेहूं खुले बाजार में उतारा था। लेकिन इस साल गेहूं खरीद की स्थिति को देखते हुए सरकार इतनी अधिक मात्रा में गेहूं खुले बाजार में बेचने की हालत में नहीं होगी।
यही कारण है कि इस साल सरकार ने नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट (एनएफएसए) और दूसरी योजनाओं के लिए जरूरी गेहूं की मात्रा में कटौती कर दी है। इसके बाद भी गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार के पास पिछले साल जितनी मात्रा नहीं होगी। वहीं गेहूं की कीमतों में बढ़ोतरी जारी है और ऐसे में लोक सभा चुनाव के बाद सरकार पर शुल्क मुक्त गेहूं आयात का दबाव बन सकता है।
सरकारी खरीद की स्थिति को देखते हुए फ्लोर मिलें सरकार से गेहूं के शुल्क मुक्त आयात की मांग कर रही हैं। लेकिन लोक सभा चुनावों के चलते सरकार शुल्क मुक्त गेहूं आयात का रास्ता खोलकर राजनीतिक रूप से कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है। लेकिन चुनाव के बाद नई सरकार को गेहूं के आयात के बारे में फैसला लेना पड़ सकता है।
खाद्य मंत्रालय ने पीडीएस और दूसरी सरकारी योजनाओं के लिए चालू साल (2024-25) में कुल 590 लाख टन खाद्यान्न में 184.10 लाख टन गेहूं का आवंटन किया है। जबकि 411 लाख टन चावल का आवंटन किया है और 1.6 लाख टन श्री अन्न को इसके तहत रखा गया है। वहीं एक अप्रैल के लिए बफर मानक के तहत केंद्रीय पूल में 74.6 लाख टन गेहूं का प्रावधान है जबकि एक अप्रैल, 2024 को केंद्रीय पूल में 75.02 लाख टन गेहूं था जो पिछले 16 वर्षों में सबसे कम स्तर है। अप्रैल 2008 में केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक 58.03 लाख टन रह गया था।
ऐसे में अगर चालू रबी मार्केटिंग सीजन (2024-25) में गेहूं की सरकारी खरीद 265 लाख टन तक भी पहुंचती है, तो उसके बाद भी सरकार के पास चालू वर्ष में करीब 340 लाख टन गेहूं उपलब्ध होगा। इसमें एक अप्रैल, 2025 में 74.60 लाख टन बफर मानक के तहत होना चाहिए। तो सरकार के पास बाजार में कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए करीब 80 लाख टन गेहूं ही उपलब्ध होगा।
खाद्य महंगाई पर अंकुश लगाने की तमाम कोशिशों के बावजूद ताजा आंकड़ों के मुताबिक, खाद्यान्न महंगाई दर 8.63 फीसदी रही है। वहीं विश्व बाजार में गेहूं की कीमतों में पिछले कुछ दिनों में 25 डॉलर प्रति टन से अधिक का उछाल आया है। सबसे सस्ते रूस के गेहूं की कीमत मार्च में कीमत 199 डॉलर प्रति टन चल रही थी जो अब बढ़कर 225 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई है। इसमें शिपिंग और दूसरे खर्च जोड़ने पर यह कीमत 275 डॉलर पर पहुंच जाती जो डॉलर और रूपये की मौजूदा दर पर गेहूं की आयात लागत 22800 रुपये प्रति टन से अधिक बैठती है। यह कीमत चालू सीजन के लिए सरकार द्वारा तय गेहूं के 2275 रुपये प्रति क्विंटल से मामूली अधिक है। जबकि गेहूं पर 40 फीसदी का आयात शुल्क लागू है। यूरोपीय यूनियन के देशों के गेहूं की कीमत 260 डॉलर और अमेरिकी गेहूं की कीमत 290 डॉलर प्रति टन चल रही है। ऐसे में फिलहाल गेहूं का आयात आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं है।
इस साल गेहूं की सरकारी खरीद उम्मीद से काफी कम रही है। जिससे गेहूं उत्पादन के अनुमानों पर सवाल उठ रहे हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 22 मई तक देश में कुल 261.28 लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी। इसमें सर्वाधिक 123.86 लाख टन खरीद पंजाब में हुई है। हरियाणा में 71.06 लाख टन और मध्य प्रदेश 47.69 लाख टन गेहूं की खरीद हुई। उत्तर प्रदेश में गेहूं खरीद का आंकड़ा 8.92 लाख टन तक पहुंचा है जबकि राजस्थना से 9.60 लाख टन गेहूं की खरीद हुई है। सरकार को उम्मीद थी कि इस साल बेहतर फसल को देखते हुए गेहूं की सरकारी खरीद 310 से 330 लाख टन के बीच रह सकती है।
चार साल पहले गेहूं खरीद में पंजाब को पीछे छोड़ने वाले मध्य प्रदेश में इस साल कम खरीद एक पहेली बन गई है। इसके पीछे गेहूं की फसल पर मौसम की मार और किसानों द्वारा भाव बढ़ने की उम्मीद में गेहूं नहीं बेचने को वजह माना जा रहा है। मध्य प्रदेश सरकार ने इस साल किसानों को गेहूं के एमएसपी के अलावा 125 रुपये का बोनस दिया है जिससे सरकारी खऱीद मूल्य 2400 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। इसके बावजूद गेहूं खरीद कम रहना वहां उत्पादन में गिरावट का साफ संकेत है। राजस्थान में भी राज्य सरकार के बोनस के साथ किसानो को 2400 रुपये प्रति क्विटंल का दाम मिला है। इससे राजस्थान में गेहूं की खरीद में बढ़ोतरी हुई है।