गेहूं खरीद 7 लाख टन पर पहुंची, फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ने 10.28 करोड़ टन उत्पादन रहने का जताया अनुमान
द रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन के एक कार्यक्रम में मीडिया से मुखातिब अशोक के मीणा ने बताया कि अब तक 7 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है। फेडरेशन की ओर से इस दौरान गेहूं उत्पादन का अनुमान जारी किया गया। फेडरेशन ने चालू रबी सीजन में 10.28 करोड़ टन गेहूं उत्पादन का अनुमान जताया है जो सरकार के अनुमान से 1 करोड़ टन कम है। जबकि केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने रिकॉर्ड 11.2 करोड़ टन उत्पादन रहने का अनुमान जताया है
चालू रबी सीजन (2022-23) में गेहूं के उत्पादन के अनुमान को लेकर सरकार और आटा उद्योग की राय अलग है। कृषि मंत्रालय द्वारा जारी अनुमानों में कहा गया है कि चालू रबी सीजन में गेहूं का उत्पादन 11.2 करोड़ टन रहेगा। वहीं द रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन द्वारा शुक्रवार को एक कार्यक्रम में जारी अनुमान में कहा गया है कि चालू रबी सीजन में गेहूं का उत्पादन 10.28 करोड़ टन रहेगा। फेडरेशन ने पहले 10.4 करोड़ टन उत्पादन रहने का अनुमान लगाया था। सरकार के अनुमानों के मुताबिक पिछले साल 10.7 करोड़ टन गेहूं का उत्पादन हुआ था। फेडरेशन के लिए एग्री वाच संस्था ने गेहूं उत्पादन के यह अनुमान तैयार किए हैं। यह अनुमान केंद्रीय खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव सुबोध कुमार सिंह और भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के चेयरमैन अशोक कुमार मीणा की उपस्थिति में जारी किए गए। पिछले साल के सरकारी अनुमान के मुकाबले भी आटा उद्योग का चालू साल का उत्पादन अनुमान कम है। इस अंतर को लेकर दोनों अधिकारियों ने साफ-साफ कोई टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा कि उत्पादन के कई अनुमान आते हैं। हालांकि हाल के दिनों में बारिश से फसल को हुए नुकसान के बावजूद पिछले साल से बेहतर उत्पादन, उपलब्धता और कीमतों में स्थिरता रहने की बात उन्होंने कही।
पिछले रबी सीजन में गेहूं की सरकारी खरीद लक्ष्य से आधा रहने को देखते हुए चालू रबी सीजन में सरकारी एजेंसियों ने खरीद को लेकर आक्रामकता बढ़ा दी है। यही वजह है कि खरीद शुरू होने के एक हफ्ते में ही पिछले साल के मुकाबले तीन गुना से ज्यादा की खरीद की जा चुकी है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के चेयरमैन अशोक के मीणा ने शुक्रवार को मीडिया से बातचीत में बताया कि अब तक 7 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है। पिछले साल की इसी अवधि तक 2 लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी। गेहूं की सरकारी खरीद 1 अप्रैल से शुरू हुई है।
एफसीआई चेयरमैन ने कहा कि गेहूं के उम्मीद से बेहतर उत्पादन अनुमान और बेमौसम बारिश के चलते भारत सरकार द्वारा किसानों की मदद के आश्वासन के चलते एफसीआई अभी तक 7 लाख मीट्रिक टन गेंहू की खरीद कर चुकी है और इस साल 342 लाख टन खरीद की ओर अग्रसर है। हम सभी के लिए यह महत्वपूर्ण है – सरकार और निजी क्षेत्र यह सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करें कि वैश्विक प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद गेहूं और आटे की कीमतें स्थिर रहें। उन्होंने कहा कि गेहूं निर्यात पर पिछले साल सीजन के बीच में प्रतिबंध लगाया गया था लेकिन इस साल पहले से ही निर्यात पर प्रतिबंध लागू है।
रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ने चालू रबी सीजन में 10.2 करोड़ टन गेहूं उत्पादन का अनुमान जताया है जो सरकार के अनुमान से 1 करोड़ टन कम है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने रिकॉर्ड 11.2 करोड़ टन उत्पादन रहने का अनुमान जताया है। फेडरेशन के मुताबिक पिछले रबी सीजन में 10.2 करोड़ टन गेहूं का उत्पादन होने का अनुमान है। केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के अतिरिक्त सचिव सुबोध कुमार सिंह ने बताया कि उत्पादन के अनुमान कृषि मंत्रालय जारी करता है। अगर में इसमें कुछ बदलाव होगा तो वह दूसरे अग्रिम अनुमान में ही किया जा सकता है।
पिछले रबी सीजन में केंद्र सरकार ने 444 लाख टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा था लेकिन बाजार भाव ज्यादा होने की वजह से सरकार 195 लाख टन गेहूं ही खरीद पाई थी। किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं बेचने की बजाय निजी व्यापारियों और कंपनियों को गेहूं बेचने को तवज्जो दी थी। इस बार सरकार ने 342 लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा है।
केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के अतिरिक्त सचिव सुबोध कुमार सिंह ने इस दौरान कहा कि बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि को देखते हुए कई राज्यों ने मध्य प्रदेश की तरह गेहूं खरीद के मानकों में छूट देने की मांग की है। सरकार इस पर गंभीरता से विचार कर रही है। मध्य प्रदेश को दी गई छूट के मुताबिक, गेहूं की चमक 10 फीसदी तक कम रहने के बावजूद एमएसपी पर ही खरीद की जाएगी और कीमतों में कोई कटौती नहीं की जाएगी। जबकि 10 फीसदी से ज्यादा और 80 फीसदी तक कम चमक वाले गेहूं की कीमतों में कटौती की जाएगी।
मार्च के दूसरे पखवाड़े में देश के कई राज्यों में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि की वजह से गेहूं की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है। इसे देखते हुए अंदेशा जताया जा रहा है कि उत्पादन पिछले साल के स्तर पर ही अटक सकता है। राज्य सरकारें फसल को हुए नुकसान का आकलन कर रही हैं।