टमाटर के दाम में 233 फीसदी की वृद्धि से बिगड़ा भोजन का जायका, शाकाहारी थाली की कीमत शिखर पर पहुंची

रिपोर्ट के मुताबिक, सामान्य शाकाहारी थाली की कीमत जुलाई में 28% बढ़कर 33.70 रुपये पर पहुंच गई है जो जून में 26.30 रुपये थी। इससे पहले अक्टूबर 2022 में यह 29 रुपये रही थी। ताजा वृद्धि में 22% का श्रेय केवल टमाटर की कीमत को दिया जा सकता है जो महीने-दर-महीने जून के औसत 33 रुपये प्रति किलो से 233% बढ़कर जुलाई में औसत 110 रुपये प्रति किलो  हो गई। प्याज और आलू की कीमतें भी इस दौरान क्रमशः 16% और 9% बढ़ीं जिससे लागत में और वृद्धि हुई है।

टमाटर के दाम में 233 फीसदी की वृद्धि से बिगड़ा भोजन का जायका, शाकाहारी थाली की कीमत शिखर पर पहुंची
सामान्य शाकाहारी थाली की लागत 33.70 रुपये पर पहुंच गई है।

टमाटर की आसमान छूती कीमतों सहित अन्य खाद्य वस्तुओं के बढ़ते दाम ने सामान्य भारतीय थाली को और ज्यादा महंगा कर दिया है। जुलाई में लगातार तीसरे महीने शाकाहारी थाली की कीमत बढ़ी है और चालू वित्त वर्ष में पहली बार साल दर साल आधार पर सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि जून-जुलाई में शाकाहारी और मांसाहारी थालियों की कीमत क्रमशः 28% और 11% बढ़ी है।

रिपोर्ट के मुताबिक, सामान्य शाकाहारी थाली की कीमत जुलाई में 28% बढ़कर 33.70 रुपये पर पहुंच गई है जो जून में 26.30 रुपये थी। इससे पहले अक्टूबर 2022 में यह 29 रुपये रही थी। ताजा वृद्धि में 22% का श्रेय केवल टमाटर की कीमत को दिया जा सकता है जो महीने-दर-महीने जून के औसत 33 रुपये प्रति किलो से 233% बढ़कर जुलाई में औसत 110 रुपये प्रति किलो  हो गई। प्याज और आलू की कीमतें भी इस दौरान क्रमशः 16% और 9% बढ़ीं जिससे लागत में और वृद्धि हुई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि मिर्च और जीरा भी अधिक महंगे हो गए। जुलाई में इनकी कीमतें क्रमशः 69% और 16% बढ़ गईं। हालांकि, थाली में उपयोग की जाने वाली सामग्रियों में इनकी मात्रा बहुत कम रहती है जिसे देखते हुए लागत में इनका योगदान सब्जियों एवं अन्य खाद्य वस्तुओं की तुलना में कम रहता है।

रिपोर्ट के मुताबिक, मांसाहारी थाली की कीमत भी बढ़ी है लेकिन इसकी वृद्धि दर कम है  क्योंकि ब्रॉयलर चिकन की कीमत जुलाई में 3-5 फीसदी घटी है। मांसाहारी थाली में ब्रॉयलर चिकन की लागत का योगदान 50% से अधिक रहता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि खाद्य तेलों की कीमत में महीने-दर-महीने 2% की गिरावट की वजह से दोनों थालियों की लागत में वृद्धि कुछ कम रही है। घरेलू थाली तैयार करने की औसत लागत की गणना उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम भारत में प्रचलित इनपुट कीमतों के आधार पर की जाती है।

टमाटर की कीमतें आमतौर पर जुलाई-अगस्त और अक्टूबर-नवंबर के दौरान बढ़ जाती है क्योंकि आमतौर पर ये कम उत्पादन वाले महीने होते हैं। मानसून की बारिश के कारण आपूर्ति में बाधा से टमाटर की दरों में और वृद्धि हुई है। टमाटर का उत्पादन लगभग सभी राज्यों में अलग-अलग मात्रा में किया जाता है। इसका ज्यादातर उत्पादन भारत के दक्षिणी और पश्चिमी क्षेत्रों में होता है जो अखिल भारतीय उत्पादन में 56-58 प्रतिशत का योगदान देता है।

 

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