चीन की शिपिंग इंडस्ट्री पर अंकुश लगाना चाहता है अमेरिका, लेकिन इससे अमेरिकी कृषि निर्यात को खतरा
चीन की हिस्सेदारी वैश्विक जहाज निर्माण में 50% और कंटेनर उत्पादन में 95% है, और USTR ने इसे अमेरिकी व्यापार के लिए खतरा बताया है। लेकिन कृषि निर्यातक इन कदमों से उपजे संभावित आर्थिक झटकों को लेकर चिंतित हैं।

अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (USTR) ने वैश्विक जहाज निर्माण और बंदरगाह लॉजिस्टिक्स में चीन के प्रभुत्व को चुनौती देने के लिए ऐसा कदम उठाया है जो आखिरकार अमेरिकी किसानों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। 17 अप्रैल को घोषित इस प्रस्ताव के तहत, सेक्शन 301 के अंतर्गत चीनी जहाजों पर अमेरिकी बंदरगाहों में प्रवेश के लिए भारी शुल्क लगाए जाएंगे। ये शुल्क 14 अक्टूबर 2025 से प्रभावी होंगे और 2028 तक बढ़कर प्रति प्रवेश 15 लाख डॉलर तक हो सकते हैं। इसके साथ ही, कुछ चीन-निर्मित पोर्ट उपकरणों पर 100% तक का शुल्क लगाने का प्रस्ताव भी दिया गया है।
चीन की हिस्सेदारी वैश्विक जहाज निर्माण में 50% और कंटेनर उत्पादन में 95% है, और USTR ने इसे अमेरिकी व्यापार के लिए खतरा बताया है। लेकिन कृषि निर्यातक इन कदमों से उपजे संभावित आर्थिक झटकों को लेकर चिंतित हैं।
शिपिंग लागत में वृद्धि से कृषि निर्यात पर असर
विश्लेषकों के अनुसार, चाइनीज ऑपरेटर वाले जहाजों पर प्रति प्रवेश 10 लाख डॉलर और चीन-निर्मित जहाजों पर 15 लाख डॉलर तक शुल्क लगाए जा सकते हैं। इससे शिपिंग की लागत बढ़ेगी और अमेरिकी कृषि उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा घट सकती है।
नेशनल ग्रेन एंड फीड एसोसिएशन (NGFA) के अनुसार, ये शुल्क अमेरिकी अनाज और तिलहन निर्यात की शिपिंग लागत को प्रति मीट्रिक टन 15 से 40 डॉलर बढ़ा सकते हैं। यानी प्रति बुशल 50 सेंट से 1.25 डॉलर तक इजाफा होगा। संगठन ने चेताया कि इससे सालाना 1.6-4.2 अरब डॉलर का अतिरिक्त खर्च हो सकता है। इससे 65 अरब डॉलर के कृषि व्यापार सरप्लस को भी खतरा हो सकता है।
सोयाबीन, मक्का और गेहूं पर प्रभाव
NGFA, नॉर्थ अमेरिकन एक्सपोर्ट ग्रेन एसोसिएशन और नेशनल ऑयलसीड प्रोसेसर्स एसोसिएशन ने USTR को सौंपी गई अपनी टिप्पणियों में प्रमुख कृषि उत्पादों के निर्यात पर इन प्रस्तावों के असर की चेतावनी दी है। इसमें मुख्य रूप से सोयाबीन, मक्का और गेहूं पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में बताया गया है।
उनके अनुमानों के अनुसार:
-गेहूं उत्पादन में 33% की गिरावट हो सकती है, जो निर्यात में 64% गिरावट के कारण होगी। इससे किसानों को सालाना 3 से 4 अरब डॉलर का नुकसान होगा।
-सोयाबीन उत्पादन 18% घट सकता है, क्योंकि निर्यात में 42% गिरावट की आशंका है। इससे सालाना 10 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है।
-मक्का उत्पादन में 3.6% गिरावट का अनुमान है और इसके निर्यात में लगभग 9% की कमी आ सकती है। इससे किसानों को 3 अरब डॉलर का सालाना नुकसान हो सकता है।
NGFA को डर है कि सोयाबीन निर्यात ब्राजील जैसे प्रतिस्पर्धी देशों के हाथ जा सकता है। ब्राजील का 2025 के लिए अनुमानित सोयाबीन उत्पादन 15.3 करोड़ टन है। 1 अप्रैल 2024 से अप्रैल 2025 के मध्य तक अमेरिका ने 4.5 करोड़ टन सोयाबीन का निर्यात किया है, जिसमें से 226 लाख टन (50.2%) चीन को भेजा गया। वहीं, इस अवधि में मक्का निर्यात 5.48 करोड़ टन रहा, लेकिन चीन को मात्र 10.2 लाख टन (1.86%) गया। विश्लेषकों का कहना है कि अगर व्यापार विवाद बढ़ा, तो 2025-26 में अमेरिका का सोयाबीन निर्यात 81 लाख टन तक घट सकता है।
कृषि मूल्य श्रृंखला पर व्यापक असर
यह नुकसान केवल किसानों तक सीमित नहीं होगा। इसका प्रभाव रेल, अन्य ट्रांसपोर्ट, प्रोसेसिंग प्लांट जैसी पूरे कृषि आपूर्ति श्रृंखला पर पड़ेगा। इथेनॉल, सोयाबीन तेल, मक्का ग्लूटन फीड और सोयाबीन मील जैसे उत्पादों की मांग भी कम हो सकती है। इस स्थिति को देखते हुए, NGFA और अमेरिकन फार्म ब्यूरो जैसे संगठन USTR से कृषि क्षेत्र के लिए विशेष छूट की मांग कर रहे हैं। उनके प्रस्तावों में टैक्स क्रेडिट, अनुदान और शिपबिल्डिंग को समर्थन देने के लिए में रेगुलेशन में राहत शामिल हैं।
वैश्विक व्यापार पर संभावित असर
इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट (IFPRI) की एक रिपोर्ट के अनुसार, दूसरे देशों के साथ भी अमेरिका की टैरिफ वॉर शुरू हुई तो वैश्विक कृषि व्यापार में 3.3%-4.7% की कमी आ सकती है और वैश्विक जीडीपी में 0.3%-0.4% की गिरावट हो सकती है। अमेरिका की GDP में यह गिरावट 1% से 1.2% तक हो सकती है।