योगी सरकार ने चालू पेराई सीजन के लिए नहीं बढ़ाया गन्ने का मूल्य, छह पेराई सीजन में चार बार गन्ना मूल्य नहीं बढ़ा
यूपी सरकार ने चालू पेराई सत्र 2022-23 के लिए गन्ने का मूल्य पिछले पेराई सत्र 2021-22 के मूल्य पर ही स्थिर रखने का फैसला किया है। मंगलवार को कैबिनेट की हुई बैठक में गन्ने का मौजूदा मूल्य ही बनाए रखने पर सहमति जताई गई। इससे गन्ना किसानों में भारी निराशा है। वैसे भी योगी सरकार ने सत्ता में आने के बाद से छह साल में सिर्फ दो बार गन्ने का एसएपी बढ़ाया है वह भी सिर्फ 35 रुपये प्रति क्विंटल
गन्ने खेती की बेतहाशा बढ़ती लागत को देखते हुए गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) बढ़ाने की मांग कर रहे उत्तर प्रदेश के 45 लाख गन्ना किसानों को योगी आदित्यनाथ सरकार ने झटका दे दिया है। यूपी सरकार ने चालू पेराई सत्र 2022-23 के लिए गन्ने का मूल्य पिछले पेराई सत्र 2021-22 के मूल्य पर ही स्थिर रखने का फैसला किया है। मंगलवार को कैबिनेट की हुई बैठक में गन्ने का मौजूदा मूल्य ही बनाए रखने पर सहमति जताई गई। इससे गन्ना किसानों में भारी निराशा है। वैसे भी योगी सरकार ने सत्ता में आने के बाद से छह साल में सिर्फ दो बार गन्ने का एसएपी बढ़ाया है वह भी सिर्फ 35 रुपये प्रति क्विंटल। पहली बार 10 रुपये प्रति क्विंटल तब बढ़ाया था जब 2017 में भाजपा सत्ता में आई थी। उसके बाद दूसरी बार विधानसभा चुनाव के ठीक पहले यानी 2021-22 के पेराई सत्र के लिए 25 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की थी। अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में इस बात की संभावना ज्यादा है कि अगले पेराई सत्र में एसएपी बढ़ाकर उसका चुनावी फायदा उठाने की फिर से कोशिश की जाए।
हालांकि, एसएपी को पिछले साल के स्तर पर ही रखने के बारे में अभी आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है और न ही इस बारे में कोई अधिसूचना जारी की गई है लेकिन राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह और भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने इस संबंध में ट्वीट कर योगी सरकार पर निशाना साधा है। अपने ट्वीट में जयंत सिंह ने कहा है, “उत्तर प्रदेश में मौजूदा पेराई सत्र में गन्ने के मूल्य निर्धारण में अभूतपूर्व देरी के बाद योगी सरकार ने किसानों को फिर झटका दिया है। किसानों की बढ़ी हुई लागत और दूसरे राज्यों में वृद्धि के बावजूद गन्ने का एसएपी पिछले वर्ष के स्तर पर ही रखा गया है।” राकेश टिकैत ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा है, “यूपी सरकार ने इस वर्ष भी गन्ने का भाव न बढ़ाकर किसानों को छलने का काम किया है। पिछले साल का भी करोड़ों बकाया है। पूंजीपतियों की झोली भरने वाली सरकार का किसान विरोधी चेहरा फिर उजागर हो गया। भाकियू किसान हकों के लिए सड़क पर लड़ाई लड़ेगी।”
2021-22 के लिए अगैती प्रजाति के गन्ने का मूल्य 350 रुपये प्रति क्विंटल, सामान्य प्रजाति के लिए 340 रुपये और अस्वीकृत प्रजाति के लिए 335 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया था। पेराई सत्र 2022-23 के लिए भी गन्ने का यही भाव रहेगा। जबकि पड़ोसी राज्य हरियाणा और पंजाब में गन्ने का एसएपी इससे कहीं ज्यादा है। हरियाणा में किसानों के आंदोलन के बाद चालू पेराई सीजन के लिए गन्ने के एसएपी में 10 रुपये प्रति क्विटंल की बढ़ोतरी कर उसे 372 रुपये प्रति क्विटल कर दिया गया है। वहीं पंजाब में गन्ने का एसएपी 380 रुपये प्रति क्विंटल है। गन्ने का एसएपी पिछले पेराई सीजन के स्तर पर ही रखने से गन्ना किसानों में भारी निराशा है। शामली जिले के भैंसवाल गांव के किसान विनय कहते हैं कि हमें अभी तक पिछले सीजन का भी पूरा गन्ना भुगतान नहीं हुआ है। चालू सीजन के एसएपी में बढ़ोतरी नहीं होने से मायूसी हुई है जबकि डीजल, फर्टिलाइजर, कीटनाशक, बिजली, मजदूरी की लागत बढ़ने से खेती की लागत में बेतहाशा वृद्धि हो चुकी है। भैंसवाल के ही किसान देवराज पंवार कहते हैं कि जिस तरह गन्ना किसानों कि अनदेखी हो रही है वह हमारे लिए बहुत बड़ी मुश्किलें पैदा कर रही है।
रूरल वॉयस ने पहले ही अपनी खबर में संभावना जताई थी कि जिस तरह से एसएपी के निर्धारण में देरी हो रही है उसे देखते हुए इस बात की संभावना ज्यादा है कि शायद चालू सीजन के लिए एसएपी में बढ़ोतरी न हो और पिछले सीजन के एसएपी को ही लागू रखा जाए। वैसे भी 2024 में लोकसभा का चुनाव होना है और सीटों के लिहाज से उत्तर प्रदेश अहम है। ऐसे में अगले सीजन 2023-24 में गन्ने का एसएपी बढ़ाकर उसका चुनावी फायदा उठाने की कोशिश करने की पूरी संभावना है। गन्ने को लेकर हमेशा से राजनीति होती रही है और सभी सरकारें इसका पूरा फायदा उठाने की कोशिशें करती रही हैं।