बजट पूर्व बैठक में कृषि इनपुट पर जीएसटी क्रेडिट और कृषि काउंसिल बनाने का सुझाव

कृषि और किसानो से जुड़े मसलों पर फैसले लेने के लिए जीएसटी काउंसिल की तर्ज पर कृषि काउंसिल गठित करने का सुझाव दिया ताकि केंद्र और राज्यों के बीच तालमेल से बेहतर फैसले लेने की व्यवस्था बन सके।

बजट पूर्व बैठक में कृषि इनपुट पर जीएसटी क्रेडिट और कृषि काउंसिल बनाने का सुझाव

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ शुक्रवार को कृषि से जुड़े विषयों पर बजट पूर्व बैठक हुई। बैठक में कृषि इनपुट और उपकरणों पर लगने वाले गुड्स एवं सर्विस टैक्स (जीएसटी) से बढ़ने वाली लागत को समाप्त करने के लिए किसानों को सीधे जीएसटी क्रेडिट देने का सुझाव दिया गया। साथ ही कृषि और किसानो से जुड़े मसलों पर फैसलों के लिए जीएसटी काउंसिल की तर्ज पर कृषि काउंसिल गठित करने का सुझाव भी दिया गया ताकि केंद्र और राज्यों के बीच तालमेल से बेहतर फैसले लेने की व्यवस्था बन सके। बैठक में उर्वरक सब्सिडी को समाप्त करने से लेकर किसानों को दी जाने वाली सभी तरह की सब्सिडी समाप्त कर उसे किसानों को सीधे देने या उससे एक फंड तैयार कर किसानों को ब्याज मुक्त कर्ज दिलाने जैसे सुझाव भी दिये गये।

बैठक में शामिल हुए प्रतिनिधियों ने रूरल वॉयस को बताया कि बजट पूर्व चर्चा में महाराष्ट्र से आये एक प्रतिभागी ने सुझाव दिया कि किसानों को इनपुट और कृषि उपकरणों पर जीएसटी देना होता है लेकिन अन्य उद्योग की तरह किसानों को इनपुट क्रेडिट मिलने का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए किसानों द्वारा जो जीएसटी दिया जाता है उसे उनके खाते में क्रेडिट किया जाना चाहिए। इसके साथ ही मनरेगा में काम करने वाले मजदूरों को किसानों के खेतों में काम करने के लिए भी उपलब्ध कराया जाना चाहिए ताकि उनका श्रमिकों पर खर्च कम हो सके और किसानों की मजदूर न मिलने की समस्या हल हो सके। 

एक प्रतिभागी ने कहा कि सरकार को उर्वरक सब्सिडी को समाप्त कर देना चाहिए और रिसर्च पर खर्च करना चाहिए या सीधे किसानों के खाते में सब्सिडी का भुगतान करना चाहिए। इस प्रतिभागी ने ही केंद्र और राज्यों के प्रतिनिधित्व वाली जीएसटी काउंसिल की तर्ज पर कृषि काउंसिल गठित करने का भी सुझाव दिया।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की ढांचागत सुविधाओं को सुधारने के लिए पांच हजार करोड़ रुपये का एक फंड बनाने का सुझाव भी दिया गया ताकि देश भर में आईसीएआर के संस्थानों, आईएआरआई और एग्रीकल्चर विश्वविद्यालयों व शोध संस्थानों की स्थिति बेहतर सके। क्योंकि पिछले करीब दो दशकों में इन पर कोई बड़ा खर्च नहीं हुआ है।

इसके साथ ही मिल्क पाउडर, टमाटर, प्याज और आलू समेत अधिकांश कृषि जिंसों का बफर स्टॉक बनाने का सुझाव दिया गया ताकि उत्पादन में गिरावट की स्थिति में बफर स्टॉक का उपयोग कर कीमतों के नियंत्रित किया जा सके। पिछले साल गेहूं और चना के मामले में बफर स्टॉक के जरिए कीमतो को नियंत्रित किया गया था।

बैठक में वित्त मंत्री ने सुझाव मांगा कि केंद्र सरकार द्वारा किसान सम्मान निधि जैसी योजनाओं में दिया जाने वाला पैसा वास्तविक किसानों तक कैसे पहुंचे। इस समय बड़े पैमाने पर किसान ठेके पर खेती करते हैं जबकि सरकारी योजनाओं का पैसा जमीन के मालिकाना हक वाले लोगों को मिलता है।

भारत कृषक समाज के चेयरमैन अजय वीर जाखड़ ने बैठक में कहा कि कृषि शोध के लिए खर्च को दो गुना किया जाना चाहिए। इसके साथ ही इस फंड के उपयोग को सिर्फ आईसीएआर तक ही सीमित नहीं रखना चाहिए। उन्होंने जल संरक्षण और उसके बेहतर उपयोग के भी खर्च दो गुना करने का सुझाव दिया। साथ ही एमएसपी से नीचे फसलों के दाम न आयें इसके लिए आयात शुल्क और गैरटैरिफ बैरियर जैसे कदम उठाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि देश में 85 फीसदी छोटे किसान हैं सरकार की महंगाई पर अंकुश लगाने की नीति इनकी आय पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। उन्होंने एमएसपी कमेटी और कमीशन को भंग कर एक कृषि नीति बनाने का सुझाव दिया।

सहकार भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. डीएन ठाकुर ने सुझाव दिया कि सरकार को सब्सिडी देने बजाय उस पैसे का एक फंड बनाना चाहिए। इस फंड से किसानें को ब्याज मुक्त कर्ज दिया जाए और सरकार उसकी गारंटी दे। यह कदम कृषि में बड़ा सकारात्मक बदलाव ला सकता है।

 

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