चीनी उद्योग रिकवरी में गिरावट से चिंतित, यूपी के मुख्य सचिव को लिखा पत्र
यूपी के मुख्य सचिव को लिखे पत्र में यूपी इस्मा ने कहा है कि पिछले साल की तुलना में चीनी रिकवरी में लगभग एक फीसदी तक की गिरावट आई है, जिससे चीनी उत्पादन की लागत 140 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ गई है।
इस साल गन्ने की फसल पर रोगों व मौसम की मार के चलते पैदावार प्रभावित हो रही है। इसका असर चीनी उद्योग पर भी पड़ रहा है। चीनी रिकवरी में गिरावट से चिंतित यूपी शुगर मिल्स एसोसिएशन (यूपीइस्मा) ने प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह को पत्र लिखकर उत्पादन लागत में बढ़ोतरी की आशंका जताई है।
उधर, उत्तर प्रदेश सरकार ने अभी तक गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) घोषित नहीं किया है जिसे लेकर गन्ना किसानों की नाराजगी बढ़ रही है। संभावना है कि जल्द ही राज्य सरकार गन्ना मूल्य में कुछ बढ़ोतरी कर सकती है। इस संभावित बढ़ोतरी के मद्देनजर चीनी उद्योग रिकवरी में कमी और लागत में बढ़ोतरी को लेकर अपनी चिंताएं जाहिर कर रहा है।
यूपी के मुख्य सचिव को लिखे पत्र में यूपी इस्मा ने कहा है कि पिछले साल की तुलना में चीनी रिकवरी में लगभग एक फीसदी तक गिरावट आई है, जिससे चीनी उत्पादन की लागत 140 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ गई है। पिछले साल गन्ना मूल्य में बढ़ोतरी के बावजूद चीनी की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं हुई। चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य (MSP) वर्ष 2019 से नहीं बढ़ाया गया है।
यूपी इस्मा का कहना है कि माल ढुलाई की लागत अधिक बढ़ने के बावजूद परिवहन छूट की दर बेहद कम है। इसके अलावा, एथेनॉल से होने वाली आय पिछले दो वर्षों में गन्ने मूल्य में हुई वृद्धि के मुकाबले नहीं बढ़ी है। चीनी उद्योग का कहना है कि गन्ने के एसएपी में बढ़ोतरी से उन पर वित्तीय दबाव पड़ेगा, क्योंकि उद्योग किसी भी वृद्धि को वहन करने की स्थिति में नहीं हैं। संगठन ने सरकार से चीनी के एमएसपी और एथेनॉल के दाम बढ़ाने का आग्रह किया है।
गन्ना मूल्य बढ़ाने का दबाव
पिछले सीजन में यूपी सरकार ने गन्ने मूल्य 20 रुपये बढ़ाकर अगैती किस्मों के लिए 370 रुपये, सामान्य किस्मों के लिए 360 रुपये और अस्वीकृत किस्मों के लिए 355 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था। पड़ोसी राज्य हरियाणा में पिछले साल ही इस सीजन के लिए गन्ने का दाम 400 रुपये तय कर दिया था जबकि पंजाब सरकार ने 401 रुपये प्रति क्विंटल का भाव घोषित किया है। ऐसे में यूपी सरकार पर भी गन्ना मूल्य बढ़ाने का दबाव है।
भाजपा के सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी ने मीरापुर विधान सभा उपचुनाव के दौरान गन्ने मूल्य 400 पार होने की बात कही थी। जबकि किसान यूनियनें गन्ने का भाव 450 रुपये प्रति क्विंटल करने की मांग उठा रही हैं। पिछले दिनों यूपी के चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने जनवरी के दूसरे सप्ताह में होने वाली कैबिनेट बैठक में गन्ने मूल्य पर निर्णय होने का संकेत दिया था।
चीनी रिकवरी और उत्पादन में कमी
सहकारी चीनी मिलों के संगठन नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज लिमिटेड (एनएफसीएसएफ) के आंकड़ों के अनुसार, चालू पेराई सत्र 2024-25 में 31 दिसंबर तक देश का चीनी उत्पादन पिछले साल की तुलना में करीब 16 फीसदी कम है। इस गिरावट का प्रमुख कारण गन्ने की कमजोर फसल और चीनी मिलों का देर से चलना है।
चालू सीजन के पहले तीन महीनों में गन्ने से चीनी की रिकवरी घटकर 8.68 फीसदी रह गई जो पिछले साल 31 दिसंबर तक 9.23 फीसदी थी। यूपी में चीनी रिकवरी 9.65 फीसदी से घटकर 8.90 फीसदी रही है जबकि महाराष्ट्र में चीनी रिकवरी 8.95 फीसदी से घटकर 8.60 फीसदी रही है।
यूपी के चीनी उत्पादन में करीब 2 लाख टन और महाराष्ट्र के चीनी उत्पादन में 8 लाख टन से अधिक की कमी आई है। देश में कुछ चीनी उत्पादन करीब 17.70 लाख टन घटा है।