तमिलनाडु के गन्ना किसानों को मिली जीत, किसानों से धोखाधड़ी कर थिरु अरूरन शुगर्स ने लिया था 130 करोड़ का कर्ज
तमिलनाडु के तंजावुर स्थित थिरु अरूरन चीनी मिल द्वारा गन्ना किसानों से की गई धोखाधड़ी के मामले में आंदोलनरत किसानों को बड़ी जीत मिली है। किसानों की सहमति के बगैर इस चीनी मिल ने बैंकों से 130 करोड़ रुपये का कर्ज ले लिया था और कागजों में उसे किसानों द्वारा लिया गया कर्ज बताया गया था। किसानों को इस कर्ज से अब मुक्ति मिल गई है। अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) ने तंजावुर के गन्ना किसानों को इस जीत की बधाई दी है।
तमिलनाडु के तंजावुर स्थित थिरु अरूरन चीनी मिल द्वारा गन्ना किसानों से की गई धोखाधड़ी के मामले में आंदोलनरत किसानों को बड़ी जीत मिली है। किसानों की सहमति के बगैर इस चीनी मिल ने बैंकों से 130 करोड़ रुपये का कर्ज ले लिया था और कागजों में उसे किसानों द्वारा लिया गया कर्ज बताया गया था। किसानों को इस कर्ज से अब मुक्ति मिल गई है। अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) ने तंजावुर के गन्ना किसानों को इस जीत की बधाई दी है।
अखिल भारतीय गन्ना किसान संघ, एआईकेएस से संबद्ध तमिलनाडु गन्ना किसान संघ के नेतृत्व में राज्य के प्रमुख निजी चीनी मिल थिरु अरूरन शुगर्स लिमिटेड द्वारा की गई धोखाधड़ी के खिलाफ गन्ना किसान मिल परिसर में पिछले 300 दिनों से अधिक समय से आंदोलन कर रहे थे। उनकी मांग थी कि चीनी मिल द्वारा लिए गए इस कर्ज से किसानों को मुक्ति दी जाए।
26 सितंबर को जिला कलेक्टर के नेतृत्व में आंदोलनरत किसानों और अरूरन शुगर्स का अधिग्रहण करने वाली काल्स डिस्टिलरी लिमिटेड के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत हुई। अरूरन शुगर्स द्वारा किसानों के नाम पर लिया गया 115 करोड़ का कर्ज इस डिफॉल्टर कंपनी के नाम पर ही ट्रांसफर कर दिया गया और इस तरह किसानों को कर्ज से मुक्ति मिल गई। काल्स डिस्टिलरी लिमिटेड गन्ना किसानों का पूरा बकाया भी भुगतान करने पर सहमत हुई है।
थिरु अरूरन शुगर्स तमिलनाडु की सबसे पुरानी चीनी मिलों में से एक है। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) की चेन्नई पीठ ने कथित डिफॉल्ट के लिए भारतीय स्टेट बैंक द्वारा दायर एक मामले के आधार पर 2021 में थिरु अरूरन शुगर्स के परिसमापन का आदेश दिया। काल्स डिस्टिलरीज ने एनसीएलटी के आदेश के आधार पर थिरु अरूरन शुगर्स का अधिग्रण कर लिया और उसकी संपत्ति पर कब्जा कर लिया। हालांकि, किसानों ने नए प्रबंधन के तहत चीनी मिल के कामकाज का विरोध किया।
किसानों ने इस बात पर जोर दिया कि अनुशंसा से पहले किसानों के नाम पर दिए गए कर्ज को अरूरन शुगर्स के प्रबंधन को हस्तांतरित किया जाना चाहिए और किसानों को कर्ज से मुक्त किया जाना चाहिए। किसानों ने यह भी मांग की कि उन्हें अरूरन शुगर्स द्वारा गन्ना बकाया का पूरा भुगतान ब्याज सहित किया जाना चाहिए।
तमिलनाडु गन्ना किसान संघ इन मांगों को उठाते हुए 22 नवंबर 2022 से अरूरन शुगर्स के परिसर में आंदोलन आयोजित कर रहा है। संघर्ष के 300वें दिन तमिलनाडु गन्ना किसान संघ और तमिलनाडु किसान सभा द्वारा तंजावुर जिला कलेक्टरेट के सामने धरना देने का आह्वान किया गया था। अखिल भारतीय गन्ना किसान महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष और एआईकेएस के उपाध्यक्ष डी रवींद्रन, तमिलनाडु एआईकेएस के राज्य सचिव सामी नटराजन के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन में भाग लेने आए गन्ना किसानों को पुलिस ने रोका और जबरन गिरफ्तार कर लिया। उन्होंने तंजावुर जिला कलेक्टर कार्यालय के सामने एकत्र हुए किसानों और पदाधिकारियों को भी गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद जिला कलेक्टर के नेतृत्व में वार्ता हुई और इस मामले का निपटारा किया गया।
एआईकेएस ने एक बयान में कहा है कि यह कॉरपोरेट डिफॉल्टरों के खिलाफ संघर्षरत किसानों की एक बड़ी जीत है जिन्होंने किसानों का शोषण और धोखाधड़ी करके भारी मुनाफा कमाया। तमिलनाडु गन्ना किसान संघ ने अन्य सभी मांगें पूरी होने तक अरूरन के परिसर में आंदोलन जारी रखने का फैसला किया है। उदाहरण के लिए, अरूरन शुगर्स ने वर्ष 2014 और 2015 में बैंकों को फसल कर्ज का भुगतान करने में चूक की थी। चीनी मिल ने किसानों से पैसे तो काट लिए लेकिन उस राशि को विभिन्न राष्ट्रीयकृत बैंकों में जमा करने में विफल रही जहां से किसानों ने कर्ज लिया था। गन्ना किसान संघ की मांग है कि काल्स डिस्टिलरीज को परिचालन शुरू करने से पहले इसका निपटान करना चाहिए।
एआईकेएस के अध्यक्ष अशोक धवले और महासचिव विजू कृष्णन ने कहा, "यह संघर्ष और जीत चीनी उद्योग में विभिन्न चीनी उत्पादक राज्यों में फैले ऐसे ही कॉरपोरेट डिफॉल्टरों के लिए एक चेतावनी है जिन्होंने किसानों को धोखा दिया है। यह अन्य जगहों पर गन्ना किसानों के संघर्ष को प्रेरित करेगा।"