भारी बारिश से खेतों में आलू की अगेती फसल हुई खराब, आलू की मुख्य फसल की बुवाई में होगी देरी
उत्तर प्रदेश की आलू बेल्ट के कई जिलों में किसानों ने आलू की अगेती फसल की थी लेकिन बेमौसम की भारी बारिश से खेतों में पानी भरने के कारण बीज सड़ गया है। इसके चलते अगेती आलू की फसल के उत्पादन और एरिया में कमी आ सकती है। वहीं मुख्य आलू की फसल की बुवाई में भी 20 दिन की देरी होने की संभावना है जिसका आलू उत्पादन पर प्रतिकूल असर होगा
उत्तर प्रदेश की आलू बेल्ट के कई जिलों में किसानों ने आलू की अगेती फसल की थी लेकिन बेमौसम की भारी बारिश से खेतों में पानी भरने के कारण बीज सड़ गया है। इसके चलते अगेती आलू की फसल के उत्पादन और एरिया में कमी आ सकती है। वहीं मुख्य आलू की फसल की बुवाई में भी 20 दिन की देरी होने की संभावना है जिसका आलू उत्पादन पर प्रतिकूल असर होगा
उत्तर प्रदेश के प्रमुख आलू उत्पादक जिलों आगरा, फर्रुखाबाद, फिरोजाबाद, मथुरा, एटा, कन्नौज, फतेहपुर, बुलंदशहर, अलीगढ़, कानपुर, बदायूं, बरेली, कौशाम्बी, इलाहाबाद, उन्नाव, प्रतापगढ़, लखनऊ, अयोध्या, बाराबंकी, सुल्तानपुर, गोरखपुर, बस्ती और हाथरस जिले के किसानों ने अगेती आलू की फसल की बुवाई की थी। लेकिन खेतों में जलभराव के कारण बड़े पैमाने पर आलू का बीज खेतों में सड़ने की स्थिति बन गई है। इससे अगेती आलू की फसल का उत्पादन और रकबा घट सकता है । वहीं मुख्य आलू की फसल में 20 दिन की देरी होने की संभावना है जिससे आलू का उत्पादन प्रभावित हो सकता है। आलू की बुवाई का सही समय 15 अक्टूबर से माना जाता है। उत्तर प्रदेश में आलू की खेती लगभग 6.3 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में होती राज्य हर साल औसतन 150.30 लाख टन आलू का उत्पादन होता है। देश में कुल आलू उत्पादन का 35 फीसदी उत्तर प्रदेश में होता है।
केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला के क्षेत्रीय केंद्र मोदीपुरम, मेरठ के संयुक्त निदेशक मनोज कुमार और इस केंद्र के मुख्य वैज्ञानिक नेम सिंह ने रूरल वॉयस से बातचीत के दौरान कहा कि इस बारिश के कारण आलू के खेतों में पानी भर जाने से मेड़ की मिट्टी में हवा का अवागमन रुक जाता है और उपरी मिट्टी की कठोर परत बन जाती है, जिससे आलू के अंकुरण में बाधा आती है। वहीं तापमान में वृद्धि होने के कारण आलू के बीज सड़ने लगते हैं। उन्होंने बताया कि अगेती आलू की फसल की बुवाई का समय 15 सितंबर से 10 अक्टूबर तक है। अब समय समाप्त होने के कारण किसान अगेती आलू की बुआई नहीं कर सकते हैं। अब उन्हें आलू की मुख्य फसल बोनी चाहिए, जिसके लिए बुवाई के लिए 15 नवंबर तक का पर्याप्त समय है। बशर्ते कि आने वाले हफ्तों में बारिश नहीं हो। केंद्र के ज्वाइंट डायरेक्टर डॉ. मनोज कुमार ने किसानों को सुझाव दिया है कि अगेती आलू की फसल के खेतों में जहां जलभराव हो उन खेतों से जल निकासी की व्यवस्था करें। अगर खेत चिकनी और दोमट मिट्टी वाले है तो आलू की क्यारियों पर उपरी की मिट्टी की सख्त परत बन जाती है, इसलिए हल्की टिलर या खुरफी से इसे ढीला कर दें। जहां पर ज्यादा नमी है उन खेतों में आलू की बुवाई ना करे ऐसा करने से आलू का बीज सड़ जाएगा। इसके लिए अभी किसान को खेत में उचित नमी का इंतजार करना चाहिए।
फर्रूखाबाद जिले के झिझौटा बुजुर्ग के किसान शैलेन्द्र कुमार ने रूरल वॉयस को बताया कि हम लोग मुख्य रूप से रबी में आलू की खेती बड़े पैमाने पर करते है बाजरा और उर्द मूंग की कटाई के बाद किसान आलू की खेती करते है उन्होंने बताया कि हमने आलू की बुवाई के लिए खेत तैयार किए थे लेकिन खेतों में पानी भरने से बुवाई में दो से तीन सप्ताह की देरी होगी जिसके चलते उत्पादन प्रभावित होगा। शैलेन्द्र ने कहा कि एक तरफ बारिश के कारण खरीफ की बाजरा की फसल खराब हो गई वहीं दूसरी तरफ आलू की मुख्य फसल में देरी होने से कम लाभ मिलेगा।
गांव भिठौली जिला आगरा के किसान विनोद शर्मा ने रूरल वायस से कहा कि हमारे एरिया में किसान बाजरा के बाद आलू, सरसों और गेहूं के खेती करते है लेकिन किसानों ने बाजरा काट कर अभी खेतों मे आलू की बुवाई के लिए खेत तैयार कर रहे थे लेकिन इस बेमौसम की तेज बाऱिश के कारण हमारे खेतों में पानी का भराव हो गया जिसकी वजह से एक तो बाजरा की कटी फसल खराब हो गई वहीं आलू की समय से बुवाई की किसानों की योजना पर पानी फिर गया। उन्होंने बताया कि बहुत से किसानों ने खेत तैयार कर अगेती आलू की फसल लगा रखी थी खेतों में की उसका बीज खराब हो गया।
मथुरा जिला के भूरेखा गांव के किसान सुधीर अग्रवाल ने रूरल वॉयस से कहा कि .हमारे एरिया के किसानों ने अगेती बासमती की धान की खेती की थी उसकी कटाई कर बहुत से किसानों ने खेतों की तैयारी कर अगेती आलू की बुवाई की थी। अगेती आलू की उपज से बेहतर दाम मिलने की उम्मीद थी लेकिन इस बारिश के कारण हमारे खेत में एक से डेढ़ फूट तक पानी का भरने कारण बोये हुए खेतों में आलू का बीज सड़ गया। वहीं दूसरी तरफ बहुत से किसानों के धान और बाजरा की फसल पक गई थी । वह किसान इन फसलों की कटाई कर आलू की खेती की करने की योजना बना रहे थे लेकिन इस बारिश के कारण खेत में पानी भरने रहने से खेतों में फसल गिर गई और अब हम न फसल की कटाई कर सकते हैं न जुताई कर सकते हैं। इसके कारण हमारी आलू खेती में देरी होगी।
चन्द्रशेखर आजाद कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक और कन्नौज केवीके के हेड बी. के. कनौजिया ने रूरल वॉयस को बताया कि इस बारिश के कारण अगेती आलू की फसल के उत्पादन और एरिया में कमी आ सकती है। बहुत से किसान अगेती आलू की बुवाई कर चुके थे लेकिन इस बारिश के कारण खेत में आलू के बीज सड़ गया है जिसके कारण अगेती आलू की बुवाई कर फिर नवम्बर – दिसम्बर में गेहूं की बुवाई या प्याज की बुवाई करते हैं। अब किसान केवल आलू की मुख्य फसल की बुवाई करेगा या गेहूं की बुवाई करेगा। इस तरह से अगेती आलू की फसल का उत्पादन और एरिया घट सकता है। डॉ. कनौजिया का कहना है कि आलू की मुख्य फसल के लिए किसान 15 अक्टूबर से बुवाई की तैयारी करते हैं लेकिन इस बारिश के कारण आलू की खेती की तैयारी में देरी होगी ।