ओडिशा सरकार 3,100 रुपये प्रति क्विंटल पर खरीदेगी धान, राज्य के कृषि मंत्री का ऐलान
ओडिशा सरकार ने आगामी खरीफ मार्केटिंग सीजन में किसानों को 3,100 रुपये प्रति क्विंटल का दाम देने की घोषणा की है। राज्य के कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों को उनकी उपज की बिक्री करने के 48 घंटे के भीतर भुगतान किया जाएगा
आगामी खरीफ मार्केटिंग सीजन में ओडिशा सरकार किसानों से 3,100 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ी हुई कीमत पर धान खरीदने कि घोषणा की है। ओडिशा के खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता कल्याण मंत्री कृष्ण चंद्र पात्रा ने 20 जून को यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि किसानों के हित में सरकार ने यह फैसला लिया है। इसके साथ ही आगामी खरीफ मार्केटिंग सीजन से किसानों को उनकी उपज की बिक्री करने के 48 घंटे के भीतर बिना किसी कटौती के तुरंत भुगतान किया जाएगा।
किसानों को नहीं होगी परेशानी
पात्रा ने कहा कि बीजेपी ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान धान का एमएसपी बढ़ाकर 3100 रुपये करने का वादा किया था। सरकार बनने के बाद अब यह प्रतिबद्धता पूरी हो रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा धान के लिए 2,300 रुपये प्रति क्विंटल की घोषणा के बाद राज्य सरकार के लिए बढ़ी हुई कीमत देना थोड़ा सस्ता हो गया है। अन्यथा, राज्य सरकार को हालिया कीमत से 800 रुपये की बजाय 917 रुपये अधिक चुकाने पड़ते। उन्होंने कहा कि सरकार अब धान पर बढ़ी हुई कीमत प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है, ताकि किसानों को कोई परेशानी न हो। किसानों से अनाज संग्रहण में तेजी लाई जाएगी, ताकि उन्हें कई दिनों तक मंडी में इंतजार न करना पड़े।
भुवनेश्वर में खुलेंगे चावल एटीएम
मंत्री कृष्ण चंद्र पात्रा ने ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में चावल एटीएम खोलने की घोषणा भी की। उन्होंने कहा कि आने वाले सप्ताह में राशन कार्ड लाभार्थियों के लिए भुवनेश्वर में चावल एटीएम शुरू किए जाएंगे। लाभार्थी अपना कार्ड स्वाइप करके इन मशीनों से सीधे चावल प्राप्त कर पाएंगे। अन्य जिलों में भी चावल एटीएम की सुविधा देने के लिए कदम उठाए जाएंगे। सरकार इसे बड़े पैमाने पर लागू करने के लिए आवश्यक तकनीकी सहायता प्राप्त करने के लिए विश्व खाद्य कार्यक्रम के अधिकारियों के साथ बातचीत कर रही है। इस बीच, खाद्य आपूर्ति मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार फर्जी राशन कार्डों पर सक्रियता से काम कर रही है। अब तक लगभग 50 लाख फर्जी लाभार्थियों की पहचान की गई है। फर्जी कार्ड वापस लेने और वास्तविक लाभार्थियों को शामिल करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।